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ग्रेटर नोएडा: जलालपुर गांव में 14 दिन में 18 मौतें, कई गांवों में हालात ख़राब

ग्रेटर नोएडा: जलालपुर गांव में 14 दिन में 18 मौतें, कई गांवों में हालात ख़राब

यह बात बार-बार कही जा रही है कि कोरोना का संक्रमण गांवों में फैल चुका है। किसी एक राज्य के नहीं, कई राज्यों के गांवों में। लेकिन बावजूद इसके सरकारें चेतने को तैयार नहीं दिख रही हैं।

यह बात बार-बार कही जा रही है कि कोरोना का संक्रमण गांवों में फैल चुका है। किसी एक राज्य के नहीं, कई राज्यों के गांवों में। लेकिन बावजूद इसके सरकारें चेतने को तैयार नहीं दिख रही हैं। दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के जलालपुर गांव में बीते 14 दिनों में 18 लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन टेस्टिंग न होने के कारण पता नहीं चल पाता कि मौत होने का कारण कोरोना था या कुछ और जबकि लक्षण कोरोना वाले ही होते हैं। इस गांव के कुछ आसपास के गांवों में भी मौतें हो रही हैं। 

दो बेटों की मौत

गांव के रहने वाले अतर सिंह के परिवार पर जबरदस्त कहर टूटा है। दो दिन में अतर सिंह के दो बेटों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को अतर सिंह के बेटे पंकज की मौत हुई और जब वे श्मशान घाट से घर लौटे तो उनके दूसरे बेटे दीपक की मौत हो चुकी थी। इससे पूरा परिवार बुरी तरह टूट चुका है। परेशानी वही है कि बिना टेस्टिंग के कह पाना मुश्किल है कि दोनों कोरोना से संक्रमित थे लेकिन कब तक बिना टेस्टिंग और इलाज के लोग इस वायरस से मरते रहेंगे। 

इस गांव के ग्रामीणों ने इंडिया टुडे को बताया कि बीते कुछ दिनों में कम से कम 18 लोगों की मौत हो चुकी है, इनमें 6 महिलाएं भी शामिल हैं। पहली मौत 28 अप्रैल को हुई थी। ग्रामीणों के मुताबिक़, जो भी लोग मरे, उन्हें पहले बुखार आया, उसके बाद उनका ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा। इस वजह से ग्रेटर नोएडा वेस्ट के गांवों में जबरदस्त दहशत का माहौल है। 

65 लोगों की मौत

हिंदुस्तान अख़बार के मुताबिक़, ग्रेटर नोएडा वेस्ट के गांव खैरपुर गुर्जर, जलालपुर, मिलक लच्छी और सैनी में पिछले 20 दिन में 65 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और इनमें अधिकांश बुजुर्ग हैं। हालांकि बुजुर्ग पहले से बीमार थे। इन गांवों में अभी भी दर्जनों लोग बुखार से पीड़ित हैं। 

उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए पंचायत चुनावों ने बहुत बेड़ागर्क किया है। ग्रामीण इस बात को कहते भी हैं कि चुनाव के बाद से ही लोग बीमार पड़ने लगे और मौतों का सिलसिला शुरू हुआ। राज्य के कई गांवों से ख़बरें आ रही हैं कि लोग खांसी-बुखार, सिरदर्द-बदन दर्द से बुरी तरह परेशान हैं और गांवों में मौतें भी बहुत हो रही हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या ऐसे लोगों की टेस्टिंग हो रही है और क्या गांवों में बुखार से होने वाली सभी मौतों को कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़े में गिना जा रहा होगा?

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा वेस्ट से लेकर बुलंदशहर और आगरा और पूर्वी उत्तर प्रदेश में जौनपुर से लेकर बलिया और ग़ाज़ीपुर से लेकर भदोही, सोनभद्र, मऊ तक में खांसी-बुखार फैल चुका है। हालात ख़राब हैं और स्वास्थ्य महकमे किसी गांव में तब पहुंचता है, जब हालात बेहद ख़राब हो चुके होते हैं। 

ग़ाज़ीपुर जिले की सौरम ग्राम पंचायत की प्रधान सीमा जायसवाल ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर 16 लोगों के नाम लिखे हैं, जो उनके गांव के हैं और जिनकी मौत बीते कुछ दिनों में हो चुकी है। बाक़ी इलाक़ों से भी इसी तरह की ख़बरें हैं कि यहां टेस्टिंग और इलाज सिर्फ भगवान भरोसे है। 

ऐसे में जब दिल्ली से सटे और आधुनिक माने जाने वाले ग्रेटर नोएडा में इतनी मौतें हो रही हैं तो समझा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के पिछड़े जिलों में क्या हालात होंगे। लखनऊ से लेकर कानपुर और वाराणसी से लेकर प्रयागराज और आगरा तक कई बड़े शहर पहले से ही कोरोना की चपेट में हैं। 

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