यदि चुनाव में उम्मीदवारों को चुनाव-प्रचार करने की छूट नहीं हो तो वह कैसा चुनाव होगा यही सवाल जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री पूछ रहे हैं। उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती भी। दूसरे कई नेता भी। सवाल क्या पूछ रहे हैं सीधे-सीधे चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी करने का बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं।
दरअसल, यह मामला जुड़ा है जम्मू-कश्मीर में डिस्ट्रिक्ट डवलपमेंट काउंसिल यानी डीडीसी के चुनाव का। चुनाव में अब सिर्फ़ गिनती के कुछ दिन रह गए हैं। लेकिन आरोप लगाए जा रहे हैं कि घाटी में इस चुनाव के लिए नामाँकन दाखिल करने वाले उम्मीदवारों को तुरंत ही पुलिस की निगरानी में ले जाया जा रहा है और वहीं रखा जा रहा है। आरोप है कि उन्हें वहाँ से निकलने नहीं दिया जा रहा है। इसी को लेकर आरोप लगाए जा रहे हैं कि जो बीजेपी के उम्मीदवार नहीं हैं उन्हें चुनाव प्रचार नहीं करने दिया जा रहा है। हालाँकि रिपोर्टों में प्रशासन ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
ये आरोप तब लगाए जा रहे हैं जब दो दिन पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने इस चुनाव में जम्मू-कश्मीर के प्रमुख दलों के गठबंधन को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने उनके गठबंधन को 'गुपकार गैंग' कहकर हमला किया है। जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म किए जाने के ख़िलाफ़ और राज्य के दर्जे की पूर्व स्थिति की बहाली के लिए प्रमुख दलों ने गठबंधन किया है। उन्होंने इसके लिए साथ काम करने की घोषणा की है। श्रीनगर में एक गुपकार रोड है और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला का यहीं पर आवास है। यहीं पर 4 अगस्त 2019 को 8 दलों ने एक साथ बैठक की थी और साझा प्रयास की बात की। इसीलिए गठबंधन को 'गुपकार घोषणा' कहा गया है।
बहरहाल, जम्मू कश्मीर में राजनीतिक दलों की चिंताएँ चुनाव प्रक्रिया को लेकर अलग ही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती ने चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें कथित तौर पर एक उम्मीदवार नामाँकन के बाद एक बिल्डिंग में बंद रखे जाने का दावा कर रहा है। इस वीडियो को रिट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा है, 'डीडीसी चुनावों के लिए ग़ैर-भाजपा उम्मीदवारों को स्वतंत्र रूप से प्रचार करने की अनुमति नहीं दी गई है और सुरक्षा के बहाने बंद किया जा रहा है। लेकिन बीजेपी और उसके समर्थकों को घूमने-फिरने के लिए पूरा बंदोबस्त दिया गया है। क्या यही वह लोकतंत्र है जिसे बढ़ावा देने का भारत सरकार ने कल के फ़ोन कॉनवो में भावी अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने दावा किया है'
पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ़्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने भी ऐसा ही हमला किया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'जम्मू-कश्मीर में किस तरह के चुनाव हो रहे हैं जहाँ उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार से रोका जा रहा है क्या यही वह सुरक्षित, आतंक मुक्त जम्मू-कश्मीर है जिसके बारे में गृह मंत्री कल ट्वीट कर रहे थे'
मुख्यधारा की पार्टियों के साथ ही उम्मीदवारों ने भी इसके लिए केंद्र को दोषी ठहराया और उन्हें एक आवास से बाहर नहीं होने देने के लिए प्रशासन पर सवाल उठाया। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, बडगाम ज़िले के नेशनल कांफ्रेंस के दो उम्मीदवार - मोहम्मद अशरफ लोन और रईस मट्टू - जिन्होंने क्रमशः बीरवाह और खग क्षेत्रों में अपना नामांकन दाखिल किया, उन्होंने कहा कि वे प्रचार करने में असमर्थ थे, और अपनी अनिच्छा के बावजूद श्रीनगर के होटलों में रखे गए। अख़बार ने रिपोर्ट दी है कि श्रीनगर के बाहरी इलाक़े के पंपोर में ईडीआई कंप्लेक्स में कई दलों के उम्मीदवारों को रखा गया है और पुलिस कर्मी वहाँ तैनात किए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो अंदर हैं उन्हें सख़्ती से आदेश दिया गया है कि बाहर नहीं जा सकते हैं। एक ने शिकायत की कि एक दिन पहले ही उनको पार्टी की बैठक में भी नहीं जाने दिया गया।
गुपकार घोषणा में शामिल दलों के उम्मीदवारों को ही उन होटलों में नहीं रखा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजेपी के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि उनके क़रीब-क़रीब सभी उम्मीदवार सुरक्षित जगहों पर हैं।
नेशनल कॉन्फ़्रेंस के बीरवाह प्रत्याशी रईस मट्टू ने कहा कि उन्होंने 16 नवंबर को नामांकन फॉर्म भरा था और उसी दिन श्रीनगर के एक होटल में एक पुलिस गार्ड के साथ भेजा गया था, जिसने उन्हें बाहर न जाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा, 'मैं एक उम्मीदवार हूँ जिसे प्रचार करने की अनुमति नहीं दी जा रही है; यह कैसा लोकतंत्र है'
खग उम्मीदवार अशरफ लोन ने कहा कि पुलिस कभी-कभी एक वाहन भेजती है और एक स्थान पर सभी उम्मीदवारों से एक वाहन में अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाने और शाम 4 बजे तक वापस आने के लिए कहती है। उन्होंने कहा, 'अगर वे मुझे दोपहर 12 बजे या 1 बजे तक एक वाहन भेजते हैं, तो मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र के 40 गाँवों में कैसे जाऊँगा और शाम 4 बजे तक लौटूँगा। वह भी विभिन्न क्षेत्रों से अन्य उम्मीदवारों को साथ लेने के बाद।'
उम्मीदवारों ने कहा कि उन्हें अपने ख़ुद के वाहनों में भी प्रचार करने की अनुमति नहीं थी। मट्टू ने कहा, 'हमारे मतदाता ही नहीं, इससे हमारे परिवार भी चिंतित हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि हमें गिरफ्तार तो नहीं कर लिया गया है।'
नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रांतीय अध्यक्ष (कश्मीर), नासिर असलम वानी ने कहा,
'हमारे कई उम्मीदवारों ने हमें बताया है कि उन्हें प्रचार करने की अनुमति नहीं दी जा रही है जबकि उनके विरोधियों को दी जा रही है। जब वे भी इतने प्रतिबंधित हैं तो प्रचार करने के लिए कैसे जाते हैं। मैंने इसे प्रशासन के सामने उठाया है लेकिन मुझे अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।'
हालाँकि रिपोर्टों में प्रशासन ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से कहा जा रहा है कि जिन उम्मीदवारों ने सुरक्षा को लेकर आशंका जताई है उन्हें सुरक्षा दी जा रही है। कहा गया है कि ऐसे ही लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा जा रहा है और वे प्रचार भी कर रहे हैं।
वैसे, डीडीसी चुनाव के लिए सुरक्षा के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने 25 हज़ार अतिरिक्त सुरक्षा कर्मियों को तैनात करने का आदेश दिया है। इन सुरक्षा कर्मियों में सीआरपीएफ़, बीएसएफ़, सीआईएसएफ़, आईटीबीपी और एसएसबी के जवान शामिल होंगे। चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने की सुरक्षा चिंताओं के मद्देनज़र ऐसा किया जा रहा है।