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बिहार में दलित उत्पीड़न : पीटा, उठक-बैठक कराई, थूक चटवाया 

बिहार में दलित उत्पीड़न : पीटा, उठक-बैठक कराई, थूक चटवाया 

नीतीश कुमार के बिहार में दलितों की क्या स्थिति है, यह जानना चाहते हैं तो यह ख़बर ज़रूर पढ़ें। खुद देंखें, क्या है मामला।

दलितों, पिछड़ों, वंचितों और समाज के हाशिए पर धकेल दिए गए लोगों की राजनीति करने का दावा करने वाले जनता दल यूनाइटेड की सरकार वाले बिहार में दलितों की क्या स्थिति है, इसका एक ताज़ा उदाहरण सामने आया है। 

राज्य के औरंगाबाद ज़िले में दबंग जाति के एक उम्मीदवार को मुखिया चुनाव में वोट नहीं देने की वजह से दो दलितों को कथित तौर पर कान पकड़ कर उठक-बैठक करने को मजबूर किया गया। इतना ही नहीं, उन्हें थूक चाटने को मजबूर किया गया है। इस मामले में अभियुक्त बलवंत सिंह को गिरफ़्तार कर लिया गया है। 

वायरल वीडियो का सच!

सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके एक वीडियो में देखा जा सकता है कि दो लोगों को कान पकड़ कर उठक-बैठक कराया जा रहा है। 

वीडियो में उन्हें गालियाँ दी जा रही हैं और उनकी पिटाई की जा रही है। इसके अलावा उन्हें बैठ कर ज़मीन पर फेंके गए थूक को चाटने के लिए मजबूर भी करते हुए देखा जा सकता है।

लेकिन क्यों?

इन लोगों के नाम अनिल कुमार और मंजीत कुमार हैं। ये दोनों दलित हैं। यह वारदात औरंगाबाद ज़िले के कुटुम्बा प्रखंड के डुमरी पंचायत के सिंघना गाँव की है। 

वीडियो से पता चलता है कि अभियुक्त बलवंत सिंह ने मुखिया चुनाव में वोट देने के लिए इन युवकों को पैसे दिए थे। इन दलितों ने उसे वोट नहीं दिए और बलवंत सिंह मुखिया का चुनाव हार गए।

 - Satya Hindi

क्या कहना है अभियुक्त का?

अभियुक्त बलवंत सिंह ने इससे इनकार किया है। उनका कहना है कि दोनों युवक शराब पीकर हंगामा कर रहे थे। इसलिए नशा टूटने के बाद उन लोगों से उठक-बैठक लगवाई गई ताकि वे भविष्य में ऐसा फिर न करें। 

वीडियो के वायरल होते ही बिहार पुलिस हरकत में आ गई। औरंगाबाद के पुलिस सुपरिटेंडेंट कांतेश कुमार मिश्रा के निर्देश पर अंबा पुलिस ने बलवंत सिंह को गिरफ़्तार कर लिया है। 

उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न

दलित उत्पीड़न की इस तरह की वारदातें देश के दूसरे हिस्सों में भी हुई हैं। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में अगस्त 2020 में एक नाबालिग लड़की के साथ दो लोगों ने बलात्कार किया और हैवानियत की हदें पार करते हुए उसके बदन को सिगरेट से दाग भी दिया। 

साल 2020 में उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में हुई दलित उत्पीड़न की एक घटना में सत्यमेव जयते नाम के ग्राम प्रधान की हत्या कर दी गई थी। बांसगांव में हुई इस घटना में आरोप लगा था कि कथित रूप से गांव के सवर्णों ने दलित प्रधान की हत्या कर दी। 

सत्यमेव जयते के भतीजे लिंकन ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि यह हत्या जातीय नफ़रत की वजह से हुई। लिंकन के मुताबिक़, सवर्ण लोग एक दलित के प्रधान बनने और उनके सामने उसके तन कर खड़े होने को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। 

कर्नाटक 

इसी तरह पिछले साल कर्नाटक के बेंगलुरु में हुई एक वारदात में एक सवर्ण की मोटर साइकिल छू लेने के कारण एक दलित को कथित तौर पर नंगा कर बुरी तरह पीटा गया था। उसके परिवार वालों को भी नहीं बख्शा गया और उन्हें भी बुरी तरह मारा-पीटा गया था। इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था। 

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