जिस हाइवे पर साइरस मिस्त्री की जान गई उस पर 1 साल में 62 मौतें
टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की कार की दुर्घटना महाराष्ट्र के पालघर जिले में हुई थी। वह अहमदाबाद-मुंबई राजमार्ग से लौट रहे थे। इसी 100 किलोमीटर लंबे हाइवे पर इस साल अब तक ढाई सौ से ज़्यादा हादसे हो चुके हैं। इन हादसों में 62 लोगों की जानें गई हैं। क़रीब 200 लोग हादसों में घायल हुए। पीटीआई की एक रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से यह आँकड़ा दिया गया है। तो सवाल है कि उस हाइवे पर एक के बाद एक इतने हादसों की वजह क्या है?
इस तरह के हाइवे या फिर दूसरे मार्गों पर लगातार हो रहे हादसों पर सड़कों के डिजाइन पर सवाल उठते हैं। कई बार ऐसे मार्गों पर रोड साइन बोर्ड सही नहीं होने, सड़कों पर ठीक संकेतक नहीं होने, ज़ेब्रा क्रॉसिंग ठीक नहीं होने, सही डिवाइडर नहीं होने जैसी शिकायतें आती रही हैं।
साइरस मिस्त्री के कार हादसे की ख़बर आई तो इसके कयास लगाए जाने लगे थे कि रोड डिजाइन में कुछ गड़बड़ी तो नहीं थी! इस पर ज़्यादा कयास लगाया जाता उससे पहले ही सूत्रों के हवाले से रिपोर्टें आईं कि साइरस मिस्त्री पीछे की सीट पर बैठे थे और उन्होंने सीट बेल्ट नहीं लगाई हुई थी।
कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि चूँकि सीट बेल्ट नहीं लगाई गई थी इसलिए पीछे की सीटों पर एयर बैग नहीं खुल पाये और हादसे में जानें चली गईं।
ऐसे ही उठते सवालों और ऐसी ही रिपोर्टों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री नितिन गडकरी का भी एक सुझाव आया। उस हादसे के तीन दिन बाद गडकरी ने कहा कि कार में बैठने वाले सभी लोगों के लिए अब सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य होगा। गडकरी ने कहा कि टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की मौत के बाद सरकार ने कार में पिछली सीट पर बैठे यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए इस अहम फैसले को लिया है।
4 सितंबर को साइरस मिस्त्री का महाराष्ट्र में एक सड़क हादसे में निधन हो गया था। यह हादसा डिवाइडर पर कार के टकराने की वजह से हुआ था। उस वक्त कार में कुल 4 लोग सवार थे और इसमें से दो लोगों की मौत हो गई थी।
तब एयर बैग को लेकर बहस तेज हो गई थी। गाड़ियों में एयर बैग होने के बावजूद इस तरह की घटनाओं के होने को लेकर भी सवाल उठा था। साइरस मिस्त्री जिस कार में थे वह बेहद सुरक्षित मर्सिडीज बेंज कार थी।
उन विवादों और बहसों के बीच ही अब उस हाइवे पर हादसों का आँकड़ा सामने आया है जिस पर साइरस मिस्त्री की कार का हादसा हुआ था। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस अधिकारियों ने कहा कि ठाणे के घोडबंदर और पालघर जिले के दपचारी के बीच मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग के 100 किलोमीटर लंबे हिस्से में इस साल 262 दुर्घटनाएँ हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार इसमें कम से कम 62 लोगों की मौत हुई है और 192 लोग घायल हुए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र राजमार्ग पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि चरोटी के पास जहां साइरस मिस्त्री की कार 4 सितंबर को दुर्घटनाग्रस्त हुई थी इस साल की शुरुआत से अब तक 25 गंभीर दुर्घटनाओं में 26 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि इसी अवधि के दौरान चिंचोटी के पास 34 गंभीर दुर्घटनाओं में 25 लोगों की मौत हुई है, जबकि मनोर के पास 10 दुर्घटनाओं में 11 लोगों की मौत हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार इनमें से कई घटनाओं में गाड़ी की अधिक गति और ड्राइवर के निर्णय की त्रुटि अहम रही है। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि सड़क का खराब रखरखाव, उचित संकेतों की कमी और गति पर अंकुश लगाने के उपायों की कमी भी दुर्घटनाओं की अधिक संख्या के लिए ज़िम्मेदार हैं।
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि सड़क सूर्य नदी के पुल से पहले मुड़ जाती है क्योंकि कोई मुंबई की ओर जाता है और तीन लेन का कैरिजवे दो लेन में संकरा हो जाता है। अधिकारी ने कहा, 'लेकिन कोई प्रभावी सड़क संकेत या गति रोकने वाले रंबलर वाहन चालकों को पुल पर पहुँचने से पहले चेतावनी नहीं देते हैं।'
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि ऐसा लगता है कि भारतीय सड़क कांग्रेस के सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देशों की अनदेखी की गई है। उन्होंने कहा कि सड़क भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के दायरे में आती है, लेकिन टोल वसूलने वाली निजी एजेंसी के पास रखरखाव की जिम्मेदारी है।
अधिकारी ने कहा कि दिशानिर्देशों के अनुसार, हर 30 किलोमीटर पर एक एम्बुलेंस को स्टैंड-बाय पर रखा जाना चाहिए, और एक क्रेन और गश्त करने वाले वाहन भी होने चाहिए।