पुराने पैन कार्ड के इस्तेमाल को लेकर सीपीआई को मिला आयकर विभाग का नोटिस
कांग्रेस पर आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद अब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी या सीपीआई को आयकर विभाग ने नोटिस भेजा है। हालांकि अभी किसी तरह के जुर्माने की खबर नहीं है।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) महासचिव डी राजा ने बताया है, कि उनकी पार्टी की कुछ राज्य इकाइयों द्वारा पुराने पैन कार्ड के उपयोग के कारण आयकर विभाग से नोटिस मिला था।
यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी को किसी विशेष राशि के संबंध में आयकर विभाग से कोई नोटिस मिला है? इसपर राजा ने स्पष्ट करते हुए कहा कि "उन्हें पैसे के संबंध में आईटी से कोई नोटिस नहीं मिला है।
आयकर से जुड़े मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद गुरुवार को आयकर विभाग ने कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका दिया था। आयकर विभाग ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाते हुए उसे 1700 करोड़ रुपये का नोटिस दिया है। इसके कारण लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस की परेशानी बढ़ा गई है। आयकर विभाग की यह नई मांग 2017-2018 से लेकर 2020-21 के लिए है। इसमें जुर्माना और ब्याज दोनों की राशि शामिल है।
आयकर विभाग के नए नोटिस के बाद शुक्रवार को कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि आयकर के जिन नियमों की आड़ में कांग्रेस को परेशान किया जा रहा है, उन्हीं नियमों को लेकर भाजपा को छूट दी जा रही है।
कांग्रेस का 14 लाख रुपए का वायलेशन बताकर आयकर विभाग' ने कांग्रेस के 135 करोड़ रुपए ले लिए। लेकिन भाजपा के 42 करोड़ रुपए का चंदा देने वालों का न कोई नाम है, न कोई पता है, उसपर कोई एक्शन नहीं लिया।
कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा था कि, आयकर विभाग ने भाजपा के 42 करोड़ रुपए के वायलेशन पर तो आंख पर पट्टी बांध ली, लेकिन कांग्रेस के 14 लाख रुपए जो कि हमारे 23 नेताओं ने दिए हैं, जिनके नाम और पते भी हैं, उसके आधार पर हमारे 135 करोड़ रूपए छीनकर ले गए।
अजय माकन ने शुक्रवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि आयकर विभाग और चुनाव आयोग बीजेपी की कमी पर आंख बंद कर बैठे हुए हैं, उन्हें सिर्फ कांग्रेस नजर आती है।
बीजेपी ने जिस तरह से आयकर विभाग के नियमों का उल्लंघन किया, उसकी समीक्षा से पता चलता है कि बीजेपी पर सात साल में 4,600 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगती है।
लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर आयकर विभाग ने 5 साल का नोटिस भेजकर कांग्रेस से 1,823 करोड़ रुपए की मांग की है।
उन्होंने कहा था कि जब लोकसभा चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं, तो ऐसे समय में आयकर विभाग द्वारा कांग्रेस पर गलत तरीके से पेनल्टी लगाई जा रही है और पैसों की मांग की जा रही है।
ये बातें साफ इशारा करती हैं कि आयकर विभाग को बीजेपी की कमियां नजर नहीं आ रही हैं। इसलिए हमारी मांग है कि आयकर विभाग द्वारा बीजेपी को 4,600 करोड़ रुपए का नोटिस दिया जाना चाहिए।
धन की कमी का सामना कर रही कांग्रेस
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक आयकर अधिकारियों द्वारा 200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने और उसके फंड को फ्रीज करने के बाद कांग्रेस पहले से ही धन की कमी का सामना कर रही है। पार्टी को इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली है और अब वह सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है।कांग्रेस पार्टी ने भाजपा पर 19 अप्रैल से शुरू होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले उसे आर्थिक रूप से दबाने और उसके खिलाफ कर अधिकारियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
आयकर विभाग की ओर से मिले इस नए नोटिस के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश, अजय माकन और पवन खेड़ा ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हमें आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं। यह टैक्स आतंकवाद है और इसका इस्तेमाल कांग्रेस पार्टी पर हमला करने के लिए किया जा रहा है, इसे रोकना होगा।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने इस मौके पर कहा था कि आगामी संसदीय चुनावों के लिए कांग्रेस का अभियान जारी रहेगा और पार्टी अपनी गारंटी देश के लोगों तक पहुंचाएगी। हम इन नोटिसों से नहीं डरेंगे। हम और अधिक आक्रामक होंगे और ये चुनाव लड़ेंगे।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी में आयकर विभाग ने पार्टी के टैक्स रिटर्न में गड़बड़ी पाई थी और 200 करोड़ रुपये की मांग की थी। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) ने पार्टी को बकाया भुगतान करने को कहा था और उनके खाते फ्रीज कर दिए थे।
कांग्रेस ने कहा कि टैक्स ट्रिब्यूनल का उसके फंड को रोकने का आदेश "लोकतंत्र पर हमला" है क्योंकि यह आदेश लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आया है।
गुरुवार को, दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस द्वारा उसके खिलाफ चार साल की अवधि के लिए कर पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
रिपोर्ट कहती है कि इस चुनाव में राजनीतिक दलों के लिए फंडिंग एक केंद्रीय मुद्दा बनता जा रहा है, खासकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बांड को रद्द करने के बाद।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने फैसले का स्वागत किया था। विपक्षी दलों का आरोप है कि इलेक्टोरल बॉन्ड योजना से भाजपा को सबसे अधिक फायदा हुआ था।