+
अदालत ने नारायण राणे को चेताया, गिरफ़्तारी को सही ठहराया

अदालत ने नारायण राणे को चेताया, गिरफ़्तारी को सही ठहराया

रायगढ़ कोर्ट ने मंगलवार देर रात को राणे को 15 हज़ार के निजी मुचलके पर जमानत तो दे दी लेकिन उनकी गिरफ़्तारी को जायज ठहराया।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के ख़िलाफ़ दिए गए बयान के कारण शिव सैनिकों के निशाने पर आए केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को अदालत ने भी चेताया है। रायगढ़ कोर्ट ने मंगलवार देर रात को राणे को 15 हज़ार के निजी मुचलके पर जमानत तो दे दी लेकिन उनकी गिरफ़्तारी को जायज ठहराया। लेकिन अदालत ने यह भी कहा कि केंद्रीय मंत्री को हिरासत में रखने की कोई ज़रूरत नहीं है। 

थप्पड़ वाले बयान के लिए राणे के ख़िलाफ़ शिव सैनिकों ने कई जगहों पर एफ़आईआर दर्ज कराई थी और इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया था। 

राणे से अदालत ने यह भी कहा है कि वे 2 सितंबर को नासिक में पुलिस के सामने पेश हों। यहां भी उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज हुई है। इसके अलावा राणे से 31 अगस्त और 13 सितंबर को भी पुलिस के सामने पेश होने के लिए कहा गया है। 

राणे को पुलिस ने उस वक़्त गिरफ़्तार किया जब वे लंच कर रहे थे। उनके वकील ने रायगढ़ की अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल को बिना नोटिस के गिरफ़्तार किया गया है। साथ ही उनके केंद्रीय मंत्री होने और उनकी तबीयत का भी हवाला दिया। 

‘फिर न हो ऐसा अपराध’

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राणे को इस तरह का अपराध दोबारा नहीं करना चाहिए। उन्हें निर्देश दिया गया कि वे सबूतों के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ की कोशिश न करें या इस मामले से जुड़े किसी भी शख़्स से किसी तरह का वादा न करें और लालच भी नहीं दें। सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र पुलिस ने अदालत से राणे की 7 दिन की पुलिस हिरासत मांगी थी और कहा था कि यह इस बात की जांच के लिए ज़रूरी है कि क्या मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुंचाने के लिए किसी तरह की साज़िश की जा रही है। 

हाई कोर्ट का किया रूख़ 

राणे अपने ख़िलाफ़ दर्ज की गई एफ़आईआर को रद्द करवाने को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट जा रहे हैं। राणे ने अपने वकीलों के साथ इस मामले में बैठक भी की है। उनके ख़िलाफ़ पुणे, नासिक, थाणे और महाड़ में मुक़दमे दर्ज किए गए हैं। 

 - Satya Hindi

बताना होगा कि राणे बीते 20 साल में पहले ऐसे केंद्रीय मंत्री हैं, जिनकी गिरफ़्तारी हुई है। मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी उनकी याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया था। याचिका में राणे के ख़िलाफ़ दर्ज तीन एफ़आईआर को रद्द करने की मांग की गई थी। राणे के वकील ने अदालत को बताया था कि पुलिस उनके मुवक्किल को गिरफ़्तार करने पहुंच चुकी है और दरवाज़े पर इंतजार कर रही है। इस पर हाई कोर्ट ने कहा था कि वे तय प्रक्रिया का पालन करें। 

बयान का किया बचाव 

राणे ने अपने बयान का बचाव किया और कहा था कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है। उन्होंने मीडिया को चेताते हुए कहा था कि आपको पहले जांच कर लेनी चाहिए और फिर इसे टीवी पर दिखाना चाहिए वरना मैं आपके ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर दूंगा। उन्होंने कहा था कि मीडिया ऐसा सोचता है कि वे कोई साधारण आदमी हैं। 

क्या है मामला?

जन आशीर्वाद यात्रा पर निकले नारायण राणे का काफिला सोमवार को जब महाराष्ट्र के रायगढ़ पहुंचा तो राणे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राणे पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे तभी किसी ने राणे से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लेकर एक सवाल पूछ लिया। जवाब देते वक़्त राणे की जुबान फिसल गई और उन्होंने कहा, “जब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे 15 अगस्त के दिन भाषण दे रहे थे तो वह यह बात भूल गए कि देश को आज़ादी मिले कितने साल हुए हैं। उनको आज़ादी के साल पूछने के लिए अपने सहयोगियों का सहारा लेना पड़ा था।” राणे ने कहा कि अगर वह वहां मौक़े पर होते तो उद्धव ठाकरे के कान के नीचे एक थप्पड़ लगा देते।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें