उत्तर प्रदेश के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य पर एफ़आईआर दर्ज की जाएगी। लखनऊ की एक अदालत ने इसके लिए आदेश दिया है। यह कार्रवाई हिंदू देवी-देवता के ख़िलाफ़ विवादास्पद बयान के लिए की जा रही है।
लखनऊ की एक विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने वजीरगंज पुलिस स्टेशन को देवी लक्ष्मी के खिलाफ एक बयान से हिंदू भावनाओं को आहत करने के आरोप में पूर्व समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
यह कार्रवाई रागिनी रस्तोगी नाम की एक शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद की जा रही है। उनका आरोप है कि पिछले साल 15 नवंबर को अखबारों में छपे स्वामी प्रसाद मौर्य के एक बयान से करोड़ों हिंदुओं की भावनाएँ आहत हुई हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी उस बयान को पोस्ट किया था। उनकी शिकायत के अनुसार, मौर्य ने एक्स पर एक पोस्ट में देवी लक्ष्मी को लेकर विवादास्पद बयान दिया था।
मौर्य ने पिछले साल जब यह बयान दिया था तब वह समाजवादी पार्टी में थे। इसको लेकर सपा में भी तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। तब सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने इसे उनका निजी विचार बताया था और पार्टी को उनके बयान से किनारा कर लिया था। उन्होंने कहा था कि सपा सभी धर्मों को मानती है। पार्टी के अन्य नेताओं ने भी स्वामी प्रसाद के बयान को बकवास बताया था। तब सपा में रहे मनोज पांडेय ने कहा था कि 'जब 2017 से लेकर 2022 तक वह सत्ता की मलाई चाट रहे थे, केसरिया पहन कर उचक-उचक के जो नारे लगा रहे थे, उसे प्रदेश के लोगों ने देखा है। सपा का उनके बयानों से कोई लेना देना नहीं है।'
शिकायत में कहा गया कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसके पहले भी कई बार हिंदू धर्म व हिंदुत्व का अपमान करने वाला वक्तव्य देकर हिंदू धर्मावलंबियों की भावनाएँ आहत की हैं। इसमें यह भी कहा गया कि मौर्य जानबूझकर लगातार देश और समाज के वर्गों को तोड़कर विद्वेष फैलाने का आपराधिक षड्यंत्र रच रहे हैं।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि मौर्य ने कई मौकों पर इसी तरह के बयान देकर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुँचाई है।
विशेष अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंबरीश कुमार श्रीवास्तव ने मौर्य के खिलाफ एक्स के साथ-साथ मीडिया में दिए गए बयान पर जांच का आदेश दिया।