लोकपाल ने बुच को तलब किया, लेकिन मौखिक सुनवाई क्यों?
भ्रष्टाचार की शिकायतों की सुनवाई करने वाले लोकपाल ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा सहित अन्य शिकायतकर्ताओं को अगले महीने "मौखिक सुनवाई" के लिए बुलाया है। जिसमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट में माधबी पर लगे आरोप भी हैं। इससे पहले लोकपाल ने 8 नवंबर को लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा और दो अन्य द्वारा दायर शिकायतों पर बुच से "स्पष्टीकरण" मांगा था। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया था कि यह हितों के टकराव का मसला है। सेबी प्रमुख और उनके पति की कंपनी की सेवाएं अडानी समूह ले रहा है। भारत के लोकपाल इस समय जस्टिस एएम खानविलकर हैं, जो कई चर्चित और विवादित फैसलों के लिए जाने जाते हैं।
सेबी जिसे पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड भी कहा जाता है, ने उसकी अध्यक्ष माधबी बुच को चार हफ्ते के अंदर अपना जवाब देने को कहा था। लोकपाल ने कहा कि नामित आरपीएस (प्रतिवादी लोक सेवक) यानी माधबी पुरी बुच ने "07.12.2024 को शपथ पत्र के जरिये समय पर अपना जवाब दाखिल किया है, प्रारंभिक मुद्दों को उठाने के साथ-साथ आरोप-वार स्पष्टीकरण भी दिया है।"
लोकपाल जस्टिस एएम खानविलकर और पांच अन्य सदस्यों ने 19 दिसंबर के इस आदेश में कहा है कि “इसके अलावा, हम इसे उचित मानते हैं कि आरपीएस (माधबी पुरी बुच) के साथ-साथ शिकायतकर्ताओं को शिकायतों या उनके हलफनामे को स्पष्ट करने के लिए मौखिक सुनवाई का अवसर दिया जा सकता है।”
इस तरह लोकपाल ने रजिस्ट्री से आरपीएस के साथ-साथ शिकायतकर्ता को भी 28 जनवरी को मौखिक सुनवाई के अवसर का लाभ उठाने के लिए नोटिस जारी करने को कहा है। आदेश में कहा गया है, "आरपीएस के साथ-साथ शिकायतकर्ता महुआ मोइत्रा मौखिक सुनवाई के समय अगर चाहें तो अपने साथ एक वकील को भी अपने मामले का समर्थन करने के लिए ला सकती हैं।" लोकपाल ने सेबी प्रमुख के जवाब की कॉपी शिकायतकर्ता महुआ मोइत्रा को देने को कहा है।
लोकपाल ने आदेश में कहा- “हालांकि, शिकायतकर्ताओं को यह तय करना होगा कि प्रक्रिया और हलफनामे की गोपनीयता बनाए रखी जाए।” सेबी प्रमुख बुच और शिकायतकर्ता, "यदि (वे) किसी भी रिपोर्ट किए गए निर्णय पर भरोसा करना चाहते हैं, तो उन्हें ऐसे निर्णयों को 18 जनवरी 2025 तक दाखिल करना होगा। मामले को 28 जनवरी सुबह 11:30 बजे के लिए लिस्ट किया जाता है।“ यानी दोनों पक्षों से कहा गया है कि ऐसे मामले में अगर पहले कोई फैसला आया है तो उसकी प्रति वे लोकपाल दफ्तर में जमा करा सकते हैं।
अपनी रिपोर्ट में, अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया कि बुच और उनके पति के पास अडानी समूह से जुड़े कथित मनी-सिपिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। बुच और अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को खारिज कर दिया।
13 सितंबर को एक्स पर एक पोस्ट में, टीएमसी सांसद मोइत्रा ने कहा कि उन्होंने सेबी प्रमुख के खिलाफ लोकपाल में शिकायत दर्ज की है और कहा है कि भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल को इसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या केंद्रीय जांच ब्यूरो को आगे जांच के लिए भेजना चाहिए। शिकायतकर्ता के नाम का जिक्र किए बिना, लोकपाल ने अपने 20 सितंबर के आदेश में “10 अगस्त, 2024 को प्रकाशित हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट में दावों की प्रामाणिकता और विश्वसनीयता को सत्यापित करने के लिए संबंधित शिकायतकर्ता से विवरण मांगा था।”
इसके बाद मामले को 17 अक्टूबर और बाद में 8 नवंबर को सुनवाई के लिए पोस्ट किया गया। लोकपाल के 8 नवंबर के आदेश के अनुसार, 14 अक्टूबर को "एक और शिकायतकर्ता ने एक बार फिर वही मुद्दे उठाते हुए" तीसरी शिकायत भी दर्ज कराई थी।
अडानी समूह सिर्फ सेबी और सेबी प्रमुख से जुड़े मामले में ही आरोपों से नहीं घिरा है। उसके खिलाफ अमेरिकी फेडरल कोर्ट में अभियोग दर्ज कराया गया है, जिसमें कहा गया है कि अडानी समूह ने सोलर पावर अनुबंध पाने के लिए भारत में वहां के सरकारी अधिकारियों को दो हजार करोड़ से ज्यादा की रिश्वत दी थी। फेडरल कोर्ट में यह आरोप अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी, भतीजे सागर अडानी सहित सात लोगों पर लगाया गया है। अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई ने सागर अडानी का मोबाइल भी जब्त किया था। एफबीआई ने कोर्ट में दाखिल दस्तावेजों में कहा कि सागर अडानी के वाट्सऐप संदेशों को डिकोड करके रिश्वत के आरोपों की पुष्टि हुई।