आंबेडकर मुद्दे पर एनडीए नेताओं के साथ बैठक क्यों, परेशान हैं अमित शाह?
अमित शाह-आंबेडकर मुद्दे ने क्या बीजेपी को गंभीर परेशानी में डाल दिया है? आख़िर कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी हमलों के बीच अमित शाह और जेपी नड्डा एनडीए गठबंधन सहयोगियों के नेताओं के साथ बैठक क्यों की? क्या उसे राजनीतिक नुक़सान होने की आशंका है?
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बुधवार को एनडीए गठबंधन के नेताओं के साथ बैठक की और विपक्ष के हमले का मुक़ाबला करने के लिए एनडीए को एकजुट मोर्चा पेश करने की ज़रूरत पर चर्चा की। शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने एनडीए नेताओं के साथ एक घंटे तक मुलाकात की। द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि मुख्य विषय अमित शाह की टिप्पणियों, जाति जनगणना और सामाजिक न्याय की राजनीति पर बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का हमला था।
एनडीए की इस बैठक में क्या हुआ, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर आंबेडकर पर अमित शाह की टिप्पणी को लेकर विपक्ष किस तरह हमलावर है और उसे किस तरह के नुक़सान होने की आशंका है।
कांग्रेस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान पर हंगामा खड़ा कर दिया है जिसमें उन्होंने राज्यसभा में कहा था- 'अभी एक फैशन हो गया है– आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर... इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।' आंबेडकर पर बयान देकर गृहमंत्री अमित शाह बुरे फँस गए हैं। कांग्रेस ने पहले माफी मांगने की मांग की, फिर उनका इस्तीफा मांगा और बर्खास्त किए जाने की मांग की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दलित नेता पर भरोसा है तो उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर देना चाहिए।
राज्यसभा में डॉ. बीआर आंबेडकर पर अपनी टिप्पणी को लेकर अमित शाह सफाई देते फिर रहे हैं। उन्होंने सफाई में कहा कि वह एक ऐसी पार्टी से आते हैं जो कभी भी आंबेडकर की विरासत का अपमान नहीं करेगी। उन्होंने कांग्रेस पर उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया। इस मुद्दे और विपक्ष के हमलों ने बीजेपी को किस कदर आघात पहुँचाया है यह इससे जाहिर होता है कि अमित शाह ने चार अन्य केंद्रीय मंत्रियों- जेपी नड्डा, किरण रिजिजू, पीयूष गोयल और अश्विनी वैष्णव के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया से अपनी पूरी टिप्पणी की रिपोर्ट करने की अपील की।
इस बीच राहुल ने कहा था, 'भाजपा-आरएसएस की सोच संविधान विरोधी और आंबेडकर विरोधी है। वे उनकी विरासत को खत्म करना चाहते हैं। उनके मंत्री ने सबके सामने अपनी मानसिकता दिखाई। हमने कहा कि माफी मांगनी चाहिए।'
विपक्षी दलों के हमलों के बीच अभी तक बीजेपी की गोद में बैठे बसपा समेत लगभग सारे गैर-भाजपाई दल अचानक बाबा साहब के अपमान को मुद्दा बना रहे हैं और उसका असर जमीन पर भी दिखता है। बसपा ही नहीं एनडीए में शामिल गैर भाजपा दल भी इस सवाल पर उसको समर्थन नहीं दे रहे हैं, बल्कि चिराग पासवान और राम दास आठवले जैसे नेता तो अपनी नाराजगी दिखाने में किसी से पीछे नहीं हैं।
अभी तक इंडिया और एनडीए से दूर रहने वाले दल भी इस सवाल पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने में देर नहीं कर रहे हैं।
इस तरह के भारी दबाव के बीच ही अमित शाह और जेपी नड्डा ने एनडीए नेताओं के साथ बैठक की है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बताया जाता है कि अमित शाह ने नेताओं से कहा कि कांग्रेस झूठी कहानी गढ़ने की कोशिश कर रही है। संदेश स्पष्ट था कि एनडीए को एकजुट होकर विपक्ष के नैरेटिव का मुकाबला करना होगा।
उस बैठक में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू भी शामिल थे। अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नड्डा के आवास पर हुई बैठक में अनुपस्थित रहे। हालाँकि जद(यू) का प्रतिनिधित्व केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और शिवसेना का प्रतिनिधित्व केंद्रीय राज्य मंत्री प्रतापराव गणपतराव जाधव ने किया। इस बैठक में केंद्रीय मंत्री और जद(एस) नेता एच डी कुमारस्वामी, नागरिक उड्डयन मंत्री, टीडीपी नेता के राममोहन नायडू और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, जीतन राम मांझी और संजय निषाद भी मौजूद थे।
अख़बार ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि अमित शाह ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान हुई घटनाओं और उससे मिली सीख सहित हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने नेताओं से कहा कि कांग्रेस ने कभी आंबेडकर का सम्मान नहीं किया, लेकिन अब वह अपने पक्ष में एक नैरेटिव गढ़ने की कोशिश कर रही है, जिसका मजबूती से और एकजुट होकर मुकाबला किया जाना चाहिए।