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कोरोना ज़्यादा संक्रामक पर कम घातक; 20 अप्रैल तक ही बढ़ेगा!

कोरोना ज़्यादा संक्रामक पर कम घातक; 20 अप्रैल तक ही बढ़ेगा!

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पहले से ज़्यादा तेज़ गति से बढ़ता दिख रहा है। कोरोना के आँकड़े ही यह दिखा रहे हैं। तो क्या पहले से ज़्यादा डरने या चिंता करने की बात भी है? 

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पहले से ज़्यादा तेज़ गति से बढ़ता दिख रहा है। कोरोना के आँकड़े ही यह दिखा रहे हैं। 22 मार्च को जहाँ एक दिन में क़रीब 40 हज़ार मामले आए थे वहीं 10 दिन में यानी एक अप्रैल को यह आँकड़ा दोगुने से ज़्यादा होकर 81 हज़ार पहुँच गया। तो क्या पहले से ज़्यादा डरने या चिंता करने की भी बात है? कम से कम संक्रमण के मामले तो ऐसा ही बताते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या काफ़ी कम हुई है तो एक उम्मीद की किरण भी बंधी है। यदि संक्रमण के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं तो इस मामले में भी ज़्यादा चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है। वैज्ञानिकों ने ही एक शोध कर कहा है कि जल्द ही दूसरी लहर धीमी पड़ने लगेगी।

कोरोना संक्रमण के मामले कब तक कम होने लगेंगे, यह जानने से पहले यह जान लें कि दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण किस गति से फैल रहा है और यह कितना घातक है। 

यह देखने के लिए सबसे पहले कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर के बीच के अंतर को समझना होगा। 30 जनवरी को देश में कोरोना का पहला मामला आया था और सितंबर में यह अपने चरम पर था। इसके बाद संक्रमण के मामले कम होने शुरू हो गए और 8-9 फ़रवरी तक ऐसा ही चला। इसके बाद संक्रमण के मामले बढ़ने लगे। यानी कह सकते हैं कि यही वह दौर था जब कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत हुई। अब ऐसी स्थिति है कि कुछ अपवाद को छोड़कर क़रीब-क़रीब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में संक्रमण के मामले बढ़ गए हैं। महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश और चंडीगढ़ जैसे राज्यों में तो दूसरी लहर में औसत रूप से हर रोज़ संक्रमण के मामले पहली लहर से ज़्यादा आने लगे हैं। 

देश में इस साल 22 मार्च को क़रीब 40 हज़ार संक्रमण के मामले थे और 1 अप्रैल को 81 हज़ार से ज़्यादा आए हैं। यानी 10 दिन में ही संक्रमण के मामले दोगुने से ज़्यादा हो गए। पिछले साल जब पहली लहर थी तब संक्रमण के मामले 39 हज़ार से दोगुना से ज़्यादा बढ़कर 82 हज़ार पहुँचने में 45 दिन लगे थे। तब 19 जुलाई को संक्रमण के मामले क़रीब 39 हज़ार से बढ़कर 2 सितंबर को क़रीब 82 हज़ार हो गए थे। 

40 हज़ार से 80 हज़ार संक्रमण बढ़ने के आँकड़ों को देखने से लगता है कि कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण में तेज़ी पहली लहर की अपेक्षा चार गुनी से भी ज़्यादा है।

संक्रमण में कितनी तेज़ी है इसको अलग-अलग राज्यों से भी समझा जा सकता है। महाराष्ट्र में पहली लहर 9 मार्च 2020 को शुरू हुई थी। 'टीओआई' ने आँकड़ों का विश्लेषण कर बताया है कि 22 दिसंबर के दिन महाराष्ट्र के हर रोज़ के कोरोना संक्रमण का औसत सबसे कम पहुँच गया था। यानी इस 288 दिनों की अवधि में क़रीब 19 लाख संक्रमण के मामले आए थे। हर रोज़ के संक्रमण के मामले का औसत 6606 हुआ। दूसरी लहर में तब से 31 मार्च तक 99 दिनों में 9.1 लाख केस आए। इसका हर रोज़ का औसत 9197 हुआ। 

इसी तरह पहली लहर में पंजाब में हर रोज़ संक्रमण के मामले का औसत 532 केस था जबकि दूसरी लहर में यह 1069 हो गया है। गुजरात, मध्य प्रदेश, चंडीगढ़ में भी दूसरी लहर में औसत ज़्यादा है। 

 - Satya Hindi

लेकिन राहत की बात यह है कि कोरोना संक्रमितों की मृत्यु दर महाराष्ट्र में क़रीब 75 फ़ीसदी, पंजाब में 41 फ़ीसदी, गुजरात में 83 फ़ीसदी, मध्य प्रदेश में 72 फ़ीसदी और चंडीगढ़ में 65 फ़ीसदी कम हुई है। इससे साफ़ तौर पर ज़ाहिर होता है कि यह पहले से कम घातक हुआ है। 'टीओआई' की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के होली फैमिली अस्पताल में क्रिटिकल केयर मेडिसिन के प्रमुख डॉ. सुमित रे ने कहा, 'ऐसा लगता है कि वायरस अधिक संक्रामक और कम घातक है, क्योंकि अखिल भारतीय स्तर पर समग्र मृत्यु दर लगभग एक तिहाई है।' 

उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना के कम घातक होने की एक वजह यह भी हो सकती है कि वायरस इस बार अधिक युवाओं को संक्रमित कर रहा है। ऐसा संभवतः इसलिए कि बुजुर्गों की एक बड़ी संख्या को टीका लगाया जा चुका है और इसलिए भी कि युवा अधिक इधर-उधर जाते हैं और इसलिए कोरोना से संक्रमित होने का ख़तरा अधिक होता है। युवाओं में कोरोना से मृत्यु दर हमेशा काफ़ी कम रही है। इसके अलावा, कोरोना की शुरुआत की तुलना में अब पैथोफिजियोलॉजी की बेहतर समझ का मतलब है कि मरीजों का इलाज अधिक उचित तरीक़े से किया जा रहा है।

'20 अप्रैल तक शिखर पर होगी दूसरी लहर'

अब यदि आप कोरोना संक्रमण के तेज़ी से फैलने से ही चिंतित हैं तो भी अच्छी ख़बर यह है कि यह लहर अपने शिखर पर 20 अप्रैल तक ही हो सकती है। इसके बाद यह कम पड़ जाएगी। एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। यानी इस दौरान मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने में यदि आपने थोड़ी ज़्यादा सावधानी बरती तो यह बेहतर होगा। 

वैज्ञानिकों ने गणितीय मॉडल के आधार पर कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बारे में अध्ययन किया है। राष्ट्रीय स्तर पर 'सुपर मॉडल' के नाम से किए गए इस अध्ययन के बारे में आईआईटी कानपुर के मनिंद्र अग्रवाल ने टीओआई से कहा कि कोरोना के शिखर पर रहने के दौरान प्रति दिन 80,000-90,000 नए संक्रमण के मामले आने की संभावना है। उन्होंने कहा, 'यह 10-15% तक कम हो सकता है, लेकिन समग्र शिखर अप्रैल 15-20 के दौरान होने की संभावना है... हम ग़लत हो सकते हैं, लेकिन मुझे यक़ीन है कि हम बहुत ग़लत नहीं हो सकते हैं। 

इसका मतलब साफ़ है कि यदि अप्रैल के इस एक पखवाड़े के दौरान सावधानी ज़्यादा बरती तो बाद में संक्रमण कम होने पर इतना ज़्यादा सचेत होने की ज़रूरत नहीं भी रह सकती है!

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