कोरोना: दुनिया में रिकॉर्ड 5 लाख केस, कमजोर नहीं हुआ वायरस
भले ही कोरोना संक्रमण के प्रति आप ऐसे अभ्यस्त हो गए हों कि आपको इससे फर्क नहीं पड़ता दिखता हो, लेकिन पूरी दुनिया अब पहले से ज़्यादा गंभीर चपेट में है। कोरोना संक्रमण दुनिया में फिर से नया रिकॉर्ड बना रहा है। पहली बार एक दिन में 5 लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले आए। पहली बार पिछले एक हफ़्ते में क़रीब 32 लाख संक्रमण के मामले आए। एक हफ़्ते में ये मामले उतने हैं जितना जनवरी से लेकर अप्रैल महीने तक भी मामले नहीं आए थे। यूरोप में रिकॉर्ड 2 लाख 45 हज़ार पॉजिटिव केस आए। अमेरिका में रिकॉर्ड 81 हज़ार 500 से ज़्यादा संक्रमण के मामले आए। मौत के मामले भी बढ़ने लगे हैं। फ्रांस में फिर से दूसरी बार पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया है। जर्मनी में भी क़रीब-क़रीब ऐसा ही है। दूसरे यूरोपीय देशों में भी क़रीब-क़रीब ऐसी ही स्थिति है। पूरी दुनिया में पहले से स्थिति कितनी बदतर हो गई है इसको इसी से समझा जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने इस पर चिंता जाहिर की है।
डब्ल्यूएचओ ने एक साप्ताहिक विश्लेषण पेश करते हुए कहा है कि लगातार दूसरे सप्ताह यूरोपीय क्षेत्र में नए मामले सबसे ज़्यादा आए। एक रिपोर्ट के अनुसार एक हफ़्ते में यूरोप में 13 लाख से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं, जो दुनिया भर में आए कुल मामलों का 46 प्रतिशत है। वर्ल्डओमीटर की रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ़ एक दिन में ही 28 अक्टूबर को यूरोप में 2 लाख 45 हज़ार मामले सामने आए। यह भी एक रिकॉर्ड है। यह दुनिया भर में आ रहे मामलों के क़रीब आधा है।
दरअसल, पूरे यूरोप में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आ गई है। और इस बार पहले से यह कहीं ज़्यादा तेज़ी से फैल रहा है। चीन, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में भी पहले संक्रमण के मामले बढ़े थे तो कहा जा रहा था कि शायद दूसरी लहर आ गई है, लेकिन उन जगहों पर कोरोना को फिर से नियंत्रित कर लिया गया। लेकिन यूरोप के मामले में ऐसा नहीं है। यह उस यूरोप की स्थिति है जहाँ के कई देशों में मई, जून और जुलाई के आसपास कोरोना संक्रमितों की संख्या घटकर एक दिन में क़रीब 100 से 500-600 तक रह गई थी।
अब दुनिया भर में इस हफ़्ते हर रोज़ 4 लाख से ज़्यादा मामले आए हैं। यानी एक हफ़्ते में 32 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा मामले आ गए हैं।
अब स्थिति का अंदाज़ा इससे भी लगाया जा सकता है कि इस एक हफ़्ते में जितनी संख्या है उतनी तो शुरुआत के 4 महीने में भी नहीं आई थी। चीन में संक्रमण का पहला मामला आने के बाद से 30 अप्रैल तक क़रीब 31 लाख ही मामले सामने आए थे।
यूरोपीय देशों में लॉकडाउन
रिपोर्ट के अनुसार, डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोरोना की वजह से यूरोप में भी मौतें बढ़ रही हैं। इसमें पिछले सप्ताह से क़रीब 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। अमेरिका में भी अब हर रोज़ क़रीब 1 हज़ार मौतें होने लगी हैं। अमेरिका में मौजूदा समय में राष्ट्रपति चुनाव चल रहे हैं और वहाँ तो लॉकडाउन नहीं लगाया गया है लेकिन कई यूरोपीय देशों में लॉकडाउन दुबारा लगा दिया गया है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि यूरोप भर के 21 देशों में अस्पतालों में कोरोना मरीज़ों की संख्या बढ़ी है और आईसीयू भी भरे हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह अनुमान है कि लगभग 18 प्रतिशत कोरोना संक्रमण के मामलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिनमें से लगभग 7 प्रतिशत को आईसीयू या फिर ऑक्सीजन की मशीनों की आवश्यकता होती है।
'ग़लतफहमी न पालें'
यदि इसके बावजूद कोरोना के प्रति लोग सचेत नहीं होते हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते हैं, मास्क नहीं लगाते हैं तो ऐसा लोगों में ग़लत धारणा के कारण ही हो सकता है। उन्हें शायद यह लग रहा होगा कि कोरोना कमज़ोर पड़ गया है और कोरोना ख़त्म हो गया है तो ऐसे लोगों को ग़लतफहमी है। यूनिवर्सिटी और ऑफ़ मेरिलैंड मेडिकल सिस्टम में संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ एमडी फहीम यूनुस ने भी ऐसी ही बात कही है।
उन्होंने कहा है, 'मिथक: वायरस कमज़ोर है। COVID ख़त्म हो गया
गति:
पहले 500,000 मामले = 140 दिन
पिछले 5 लाख मामले = 1-2 दिन
पहली 100,000 मौतें = 100 दिन
आख़िरी एक लाख मौतें = 20 दिन
वायरस कमज़ोर नहीं हुआ है; हम इसके प्रति अभ्यस्त हो गए हैं
सतर्क रहें: हाथ धोएँ, मास्क पहनें, भीड़ से बचें।'
Myth: Virus is weak. COVID’s gone
— Faheem Younus, MD (@FaheemYounus) October 28, 2020
Speed:
First 500,000 cases =140 days Last 500k cases = 1-2 days
First 100,000 deaths = 100 days
Last 100k deaths = 20 days
The virus hasn’t weakened; we’ve become numb to it
Stay cautious: wash hands, wear masks, avoid crowds
डॉ. फहीम का साफ़ शब्दों में यह संदेश भारतीयों के लिए सबक़ होना चाहिए। यह इसलिए कि यूरोपीय देशों में जब संक्रमण कम हो गया था तो लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग को त्याग दिया, मास्क उतार फेंका और भीड़ लगानी शुरू कर दी थी। उसका नतीजा अब सामने दिख रहा है कि स्थिति कितनी गंभीर हो गई है। भारत में अब संक्रमण के मामले 50 हज़ार से नीचे आ गए हैं तो सावधानी को और भी बनाए रखनी होगी। क्योंकि इस बार लापरवाही बरती गई तो यूरोप की तरह ही पहले से ज़्यादा संक्रमण के मामले आने पर स्थिति कितनी गंभीर होगी इसका अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सकता है। भारत में तो अभी ही संक्रमण के मामले 80 लाख से ज़्यादा हो गए और मृतकों की संख्या 1 लाख 20 हज़ार से ज़्यादा हो गई है।