नई पीढ़ी को शायद यह पता भी ना हो कि पहले भी ऐसा हुआ है, जब क्रिकेट एक हफ्ते या एक महीने या एक साल नहीं बल्कि कई सालों के लिए खिलाड़ियों और फैंस से दूर हो गया था। भारत और दक्षिण अफ़्रीका के बीच 3 मैचों की वन-डे सीरीज़ के अचानक रद्द होने के साथ ही अब इस बात की संभावना और तेज़ी से बढ़ती जा रही है कि आने वाले वक्त में क्रिकेट को शायद लंबा ब्रेक मिले।
1914 में पहले विश्व-युद्ध के चलते टेस्ट क्रिकेट करीब 6 साल तक रुका रहा। तब तसल्ली इस बात की रही कि इस दौरान भारत समेत कुछ मुल्कों में फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट चलती रही। एक अनुमान के मुताबिक़ 210 क्रिकेट खिलाड़ियों ने विश्व युद्ध में हिस्सा लिया था और इसमें 34 की जान चली गयी थी। दूसरे विश्व युद्ध के चलते 1939 से लेकर 1946 तक टेस्ट क्रिकेट फिर थम गया। इस दौरान भी भारत को छोड़कर बाक़ी सभी मुल्कों में फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट भी नहीं खेली गयी थी।
यूं तो कोरोना वायरस के चलते फैली दहशत का असर पूरी दुनिया और अलग-अलग खेलों पर पड़ता दिख रहा था लेकिन ऐसा लग रहा था कि भारतीय क्रिकेट, विश्व-युद्द के दौर की ही तरह इस बार भी अप्रभावित ही रहेगा। इसकी वजह थी आईपीएल। दरअसल, आईपीएल की इकोनॉमिक्स ऐसी है कि इसे रद्द करने के बारे में सोचा ही नहीं जा सकता है। पूरी दुनिया की क्रिकेट इकोनॉमिक्स पर इस टूर्नामेंट का व्यापक असर है।
शायद आपको याद होगा कि 2009 में लोकसभा चुनाव के चलते आईपीएल टूर्नामेंट की तारीखों में फेरबदल की बात हुई थी तो उस वक्त के आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी इस टूर्नामेंट को सात समुंदर पार दक्षिण अफ्रीका ले गये थे। लेकिन, इस बार भारतीय क्रिकेट के पास ऐसा कोई प्लान बी नहीं है।
ताज़ा हालात में एक के बाद एक क्रिकेट दौरे और टूर्नामेंट रद्द होते जा रहे हैं। इंग्लैंड क्रिकेट टीम ने आनन-फानन में अपना श्रीलंका दौरा बीच में ही छोड़ दिया तो आईपीएल 15 अप्रैल तक टल गया है।
कोरोना महामारी के चलते सबसे पहले बांग्लादेश का पाकिस्तान दौरा खटाई में पड़ता दिखा। लेकिन भारत-दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेट बोर्ड ने इस पर कोई गंभीरता नहीं जताई और सीरीज़ खेलने पर अड़े रहे। नेपाल में होने वाली एवरेस्ट प्रीमियर लीग जिसमें क्रिस गेल जैसे दिग्गज भी शामिल होने वाले थे, स्वाहा हो गयी। 21 और 22 मार्च को बांग्लादेश में हाई प्रोफ़ाइल एशिया इलेवन और वर्ल्ड इलेवन के मैच भी स्थगित कर दिये गये। यही हाल कीनिया में होने वाले पहले अफ्रीकी टी20 कप के आयोजन का भी हुआ।
बिना दर्शकों के खेला गया फ़ाइनल
सौराष्ट्र और बंगाल के बीच रणजी ट्रॉफी फ़ाइनल का आखिरी दिन अभूतपूर्व तरीके से बिना दर्शकों के खेला गया तो पाकिस्तान में चल रही टी20 क्रिकेट लीग की भी तारीख़ों में बदलाव किया गया। यह टूर्नामेंट 4 दिन छोटा करना पड़ा है। एक टीम, पेशावर ज़ाल्मी के कोच जेम्स फ़ोस्टर ने अचानक टूर्नामेंट से हटने का फ़ैसला किया और इसके बाद दूसरे विदेशी खिलाड़ी भी इस लिस्ट में शामिल हो गये। जितनी तेज़ी से घटनाक्रम में बदलाव होता दिख रहा है, उससे इस बात की भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि शायद इस टूर्नामेंट का फ़ाइनल भी ना हो।
बीसीसीआई को होगा नुक़सान
क्रिकेट के प्रभावित होने से अगर सबसे ज़्यादा असर किसी एक बोर्ड पर पड़ेगा तो वह बीसीसीआई है क्योंकि विश्व क्रिकेट की कमाई का 70 फीसदी हिस्सा भारत से ही निकलता है। आईपीएल के 5 साल के लिए स्टार स्पोर्ट्स ने बीसीसीआई से 16347 करोड़ रुपये का करार किया है। यानी सिर्फ ब्रेक-ईवन करने के लिए स्टार को हर साल लगभग 3270 करोड़ रुपये की कमाई करनी होगी। पिछले सीज़न में तमाम कोशिशों के बावजूद 2000 करोड़ की ही कमाई हो पायी थी। अगर इस साल भी घाटा (2000 करोड़ तक का अंदेशा है) बरकरार रहा तो चाहकर भी यह नेटवर्क अगले तीन साल में मुनाफा तो दूर की बात ब्रेक-ईवन करने के लिए भी जूझेगा।
ऐसे हालात में अगर आईपीएल ही नहीं हुआ तो फिर क्या होगा, इसका सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है। इस समस्या से कैसे निपटा जायेगा और कौन संकटमोचक बनेगा, फिलहाल इसका जवाब किसी के पास दूर-दूर तक नहीं है।