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कोरोना: कर्मचारी काम पर क्यों नहीं जा रहे, क्या सिर्फ़ वायरस का ही डर?

कोरोना: कर्मचारी काम पर क्यों नहीं जा रहे, क्या सिर्फ़ वायरस का ही डर?

अब तालाबंदी में ढील की घोषणा तो हो गई लेकिन ज़मीनी असलियत क्या है? लोगों में मौत का डर इतना गहरा बैठ गया है कि कारखानेदार, दुकानदार और बड़े अफ़सर अपने कर्मचारियों को अपने दफ्तरों में बुला रहे हैं लेकिन वे आने को ही तैयार नहीं हैं।

अब तालाबंदी में ढील की घोषणा तो हो गई लेकिन ज़मीनी असलियत क्या है? लोगों में मौत का डर इतना गहरा बैठ गया है कि कारखानेदार, दुकानदार और बड़े अफ़सर अपने कर्मचारियों को अपने दफ्तरों में बुला रहे हैं लेकिन वे आने को ही तैयार नहीं हैं। चंडीगढ़ में हरियाणा सरकार के ऊँचे अफ़सर अपनी-अपनी कुर्सी पर कल आ बैठे लेकिन बाबू लोग ग़ायब हैं। नागरिक भी आस-पास नहीं दिखाई पड़ रहे हैं। 

दिल्ली के पास के कुछ गाँवों में बड़े-बड़े कारख़ाने हैं लेकिन उनके मालिकों को यही समझ में नहीं आ रहा है कि उन्हें चालू कैसे करें। एक गाँव के कारख़ानों में 22 हज़ार मज़दूर काम करते हैं लेकिन उनमें से कल सौ भी दिखाई नहीं पड़े। उनमें से ज़्यादातर तो अपने गाँवों में भाग गए हैं। वे अब वापस कैसे आएँ? न रेल चल रही है, न बसें। जो मज़दूर कारख़ानों से 5-10 किमी की दूरी में रहते हैं, वे कैसे पैदल आएँ-जाएँ और पुलिस के ग़ुस्से से कैसे बचें? 

जो प्रवासी मज़दूर रास्तों में फँसे हुए हैं, उनके लिए कोटा के छात्रों की तरह या तो उनके गाँवों या उनके कारख़ानों की तरफ़ लौटने का इंतज़ाम तुरंत किया जाना चाहिए। उन 10 हज़ार छात्रों में से एक भी कोरोना का मरीज़ नहीं निकला है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान ने सही रास्ता पकड़ा है। यह समस्या सारे भारत में है। इसके अलावा जो कुछ जगहें खोली गई हैं, उनमें इतनी ज़्यादा भीड़ टूटी पड़ रही है कि पुलिसवाले घबरा रहे हैं। बैंकों, सब्जी मंडियों और सड़क-नाकों पर लगी भयंकर भीड़ कोरोना को बुलाती-सी लग रही है। 

लोगों की सहूलियत के लिए सरकार ने ये ढील दी है लेकिन डर यही है कि लोग-बाग ढील के इस रस्से को ही न उखाड़ डालें।

इसी दृष्टि से केरल ने कल जो ज़रूरत से ज़्यादा ढील दे दी थी, वह वापस ले ली है। उसने भोजनशालाएँ, होटलें, रेस्तराँ वगैरह बंद कर दिए हैं। केंद्र सरकार ने ज़िला-स्तर पर जाँच के लिए समितियाँ बना दी हैं। राज्य सरकारें, चाहे जिस पार्टी की हों, उन्हें इस कार्य में सहयोग करना चाहिए। देश में कोरोना की मार धीरे-धीरे शिथिल हो रही है। 

दिल्ली, मुंबई, जयपुर, इंदौर- जैसे शहरों में स्थानीय सरकारें काफ़ी मुस्तैदी दिखा रही हैं। यदि महाराष्ट्र के पालघर में तीन लोगों की हत्या-जैसी हृदय विदारक घटनाएँ हो रही हैं तो देश में कई जगह हमारे पुलिस, अफ़सर, डाॅक्टर, नर्स वगैरह अपनी जान पर खेलकर लोगों की जान बचा रहे हैं। आज भी कोरोना से लड़ने में भारत दुनिया में सबसे आगे है। आम लोगों से यही उम्मीद है कि वे अपने दिल से मौत का डर निकाल दें। अपने मन को बुलंद रखें। कोरोना के ख़िलाफ़ पूरी सावधानी रखें और अपने काम में जुट जाएँ।

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