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महाराष्ट्र-केरल के संकेत, लापरवाही की तो कोरोना होगा बेकाबू!

महाराष्ट्र-केरल के संकेत, लापरवाही की तो कोरोना होगा बेकाबू!

पूरे देश में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति भले ही चिंताजनक नहीं दिखे, लेकिन महाराष्ट्र और केरल की स्थिति दूसरी कहानी बयाँ करती है। पिछले दो हफ़्ते से महाराष्ट्र में संक्रमण बढ़ता दिख रहा है।

पूरे देश में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति भले ही चिंताजनक नहीं दिखे, लेकिन महाराष्ट्र और केरल की स्थिति दूसरी कहानी बयाँ करती है। पिछले दो हफ़्ते से महाराष्ट्र में संक्रमण बढ़ता दिख रहा है और इसलिए राज्य सरकार ने लोगों के इकट्ठा होने और सभा करने पर कुछ पाबंदियाँ दुबारा लगाई हैं। यहाँ तक कि राज्य सरकार ने चेतावनी दे दी है कि ज़रूरी होने पर फिर से लॉकडाउन लगाया जा सकता है। केरल में भी कुछ वैसे ही हालात हैं। जो राज्य दुनिया भर में कोरोना को नियंत्रण करने के लिए वाहवाही बटोर रहा था वहाँ अब 10 लाख से ज़्यादा मामले आ चुके हैं। महाराष्ट्र के बाद दूसरा राज्य हैं जहाँ इतने संक्रमण के मामले आए हैं। रविवार को तो राज्य में एक दिन में 4600 से ज़्यादा नये संक्रमण के मामले आए। इसके क्या मायने हैं? ऐसे में क्या कोरोना की दूसरी लहर आने की आशंका से इनकार किया जा सकता है? सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की अनदेखी करना क्या घातक नहीं हो सकता है?

कोरोना संक्रमण पर सावधानी बरते जाने की बात इसलिए हो रही है कि महाराष्ट्र में संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं। पिछले हफ़्ते हर रोज़ 3000 से ज़्यादा संक्रमण के नये मामले आ रहे थे। जनवरी मध्य के बाद पहली बार है कि इतने ज़्यादा संक्रमण के मामले आए। इस रविवार को ख़त्म हुए सप्ताह में 20 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले आए हैं जबकि इससे पहले वाले हफ़्ते में 17 हज़ार 600 से ज़्यादा मामले आए थे। उससे भी पहले वाले हफ़्ते में 17 हज़ार 200 केस आए थे। 

राज्य में संक्रमण के मामले आख़िर क्यों बढ़ रहे हैं? इसके लिए अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं। कुछ लोग तो मुंबई में लोकल ट्रेनों को फिर से चालू करने को कारण बता रहे हैं। लेकिन विदर्भ जैसे जिन क्षेत्रों में लोकल ट्रेनें नहीं चलतीं वहाँ भी मामले बढ़ रहे हैं। 

जानकार कहते हैं कि हाल में ग्राम पंचायत चुनाव के कारण भी ऐसा हुआ होगा। पिछले एक साल से शादी समारोह नहीं हुए थे तो अब फिर से शादी समारोह शुरू हुए हैं और यह एक कारण हो सकता है।

क्या लगाई गईं पाबंदियाँ?

  • समारोहों में सीमित संख्या में ही लोग इकट्ठे हो सकते हैं। 
  • अब ऐसे समारोहों में 50 से ज़्यादा लोग नहीं इकट्ठा हो सकते हैं। 
  • जुलूस निकालने, प्रदर्शन और रैलियों पर पाबंदी है। 
  • यदि कई मामले आए तो बिल्डिंग को सील किया जाएगा। 
  • सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क के नियमों की पालना नहीं होने पर सख़्ती से जुर्माना लगेगा।

केरल में केस बढ़े

केरल देश में सबसे ज़्यादा कोरोना संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर है। दस लाख से ज़्यादा मामले आ चुके हैं। फ़िलहाल देश में सबसे ज़्यादा सक्रिए केस राज्य में ही हैं। यहाँ 60 हज़ार से ज़्यादा सक्रिए केस हैं। इसके बाद महाराष्ट्र में 38 हज़ार से ज़्यादा केस हैं।

शुरुआत में कोरोना संक्रमण को काफ़ी अच्छे तरीक़े से नियंत्रण करने के बाद अब जब केस बढ़े तो सरकार की आलोचना भी बढ़ी। इस पर सरकार का कहना है कि उसका ध्यान मौत के मामलों में कमी लाने पर है। राज्य में 4 हज़ार से ज़्यादा मौतें हुई हैं। केरल में ही सबसे पहले देश का पहला मामला 30 जनवरी को आया था। लेकिन उसके बाद स्थिति वहाँ ज़्यादा नहीं बिगड़ी थी। लेकिन जब पूरे देश में कोरोना नियंत्रण में आता दिख रहा था तो केरल में मामले बढ़ने लगे। लेकिन केस बढ़ने के कारण साफ़ तौर पर पता नहीं चल पाए हैं। हालाँकि, एक सामान्य कारण यह हो सकता है कि सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का सही से पालन नहीं हुआ हो। 

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इससे यह तो सवाल उठता है कि क्या देश में कोरोना संक्रमण सच में ख़त्म होने की ओर है? या फिर से मामले बढ़ेंगे। उस तरह जिस तरह से अमेरिका और यूरोप के कई देशों में दूसरी लहर आई थी।

यह डर इसलिए बना हुआ है क्योंकि देश के अधिकतर ज़िलों में अभी कोरोना संक्रमण पीक यानी शिखर पर नहीं पहुँचा है। देश में फ़िलहाल कोई भी ज़िला अपने पीक पर नहीं है। 

भारत में अभी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर नहीं आई है जबकि दुनिया भर के कई देशों में ऐसा देखा गया है। इसमें अमेरिका व ब्राज़ील के अलावा, इंग्लैंड, स्पेन, इटली, फ्रांस, रूस जैसे यूरोपीय देश भी शामिल हैं।

ये वे देश हैं जहाँ पहली लहर आने के बाद पूरे देश में लॉकडाउन किया गया था और ज़िंदगियाँ थम सी गई थीं। लेकिन जब हालात सुधरे तो स्थिति ऐसी आ गई कि कई देशों में स्कूल तक खोल दिए गए और स्थिति सामान्य सी लगने लगी। लेकिन जब संक्रमण की दूसरी लहर आई तो फिर से कई देशों में लॉकडाउन लगाना पड़ा। पहले से भी ज़्यादा सख़्त। इंग्लैंड जैसे यूरोपीय देश इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। अमेरिका में तो जब दूसरी लहर आई तो हर रोज़ संक्रमण के मामले कई गुना ज़्यादा हो गए। पहली लहर में जहाँ हर रोज़ सबसे ज़्यादा संक्रमण के मामले क़रीब 75 हज़ार के आसपास थे तो दूसरी लहर में हर रोज़ संक्रमण के मामले 3 लाख से भी ज़्यादा आ गए। 

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कोरोना टीकाकरण।

ये वे देश हैं जो निश्चिंत हो गए थे कि स्थिति अब संभल गई है और लोगों ने मास्क उतारकर फेंक दिए थे। उसके नतीजे भी उन्हें भुगतने पड़े। अब तक के हालात यही संकेत देते हैं कि कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी की ख़बर राहत देने वाली हो सकती है, लेकिन निश्चिंत होने की वजह नहीं। वैसे भी, कई राज्यों में दूसरी लहर नहीं आई है और इसकी आशंका से इनकार भी नहीं किया जा सकता है। हालाँकि कोरोना टीकाकरण एक राहत की ख़बर है, लेकिन टीके अभी भी काफ़ी कम लोगों को लगे हैं। 

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