ऐसे समय में जब कोरोना महामारी के कारण विश्व अर्थव्यवस्था चौपट हो गई, करोड़ों लोग बेरोज़गार हो गए, दुनिया की कोई अर्थव्यवस्था इसकी चपेट में आने से नहीं बच सकी, आख़िर कैसे अरबपतियों की संख्या पाँच गुणे बढ़ गई और सबसे ज़्यादा फ़ायदा उठाने वाले व्यक्ति की जायदाद में 100 अरब डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई? यह पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का सामान्य नतीजा है, आपदा में अवसर तलाशने का फल है या कुछ लोगों की मजबूरी का लाभ उठा कर करोड़ों कमाने की कोशिशों का नतीजा है?
इसे हम ऐसे समझ सकते हैं कि कोरोना से लड़ने, उससे तबाह लोगों की मदद करने और इसकी चपेट में आई कंपनियों की मदद करने के लिए दुनिया के देशों और उनके केंद्रीय बैंकों ने कुल मिला कर लगभग 9 खरब डॉलर के आर्थिक पैकेज दिए। यानी लगभग 650 खरब रुपए इसलिए दिए गए कि कोरोना से उबरा जा सके और निरुपाय हो चुके लोगों की मदद की जा सके।
धन्ना सेठों की जेब में ग़रीबों का पैसा?
अंतरराष्ट्रीय पत्रिका फ़ोर्ब्स के अनुसार, जिस समय कोरोना अपने चरम पर था, उस दौरान यानी पिछले 12 महीने में दुनिया के अरबपतियों की कुल परिसंपत्ति में पाँच अरब डॉलर का इजाफ़ा हुआ और यह बढ़ कर 13 अरब डॉलर पर पहुँच गया।
कोरोना से लड़ने के लिए दिए गए पैसे का बड़ा हिस्सा वित्तीय बाज़ारों में खप गया और अंत में पहले से ही धनी लोगों की जेबों में पहुँच गया।
इस दौरान अरबपतियों की संख्या भी बढ़ी, यानी पहले से ज़्यादा लोग अरबपति बन गए। इस दौरान 700 नए अरबपति बने और अरबपतियों की कुल संख्या 2,700 हो गई।
टेस्ला प्रमुख एलन मस्क
चीन के अरबपति!
इसमें सबसे ज़्यादा अरबपति चीन में हैं, वहां 626 अरबपति हैं, जिनमें से 238 अरबपति एक साल में बने हैं, यानी कम्युनिस्ट देश चीन में हर 36 घंटे में एक नया आदमी अरबपति बन गया।
इसके बाद अमेरिका का नंबर है, जहाँ 724 अरबपति हैं, जिनमें से 110 अरबपति एक साल में बने हैं।
जिस भारत में बड़ी संख्या में लोग करीबी रेखा के नीचे हैं और जीवन जीने की बुनियादी सुविाधाओं से भी वंचित हैं, उसी देश में 140 अरबपति हैं। इसमें से 38 लोग पिछले साल अरबपति बने हैं।
आपदा में अवसर?
कोरोना के दौरान सबसे ज़्यादा पैसा कमाने वालों में जो चोटी पर हैं, उनकी संपत्ति में साल भर में ही दसियों अरब डॉलर अरब का इजाफा हुआ है। पहले की स्थिति में इतना पैसा कमाने में इन्हें शायद पूरी जीवन ही लग जाता है, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान ही उन्होंने यह धन इकट्ठा कर लिया।
इनमें टेस्ला के मालिक एलन मस्क सबसे ऊपर हैं। उनकी जायदाद में साल भर में ही 25 अरब डॉलर की बढोतरी हुई है। उनकी कुल परिसंपत्ति बढ़ कर 150 अरब डॉलर पर पहुँच चुकी है।