घरेलू गैस के दाम फिर बढ़ाए गए हैं। 14.2 किलो वाले घरेलू एलपीजी सिलेंडर की क़ीमत में बुधवार से 50 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। इस तरह अब ताज़ा बढ़ोतरी के बाद घरेलू सिलेंडर की कीमत दिल्ली में प्रति सिलेंडर 1103 रुपये हो गई है। अब तक यह सिलेंडर 1153 रुपये में मिलता रहा था।
इसके साथ ही पेट्रोलियम और तेल विपणन कंपनियों ने बुधवार से तत्काल प्रभाव से वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 350.50 रुपये प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की है। संशोधित दरों के अनुसार, वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर की कीमत अब दिल्ली में 2,119.50 रुपये प्रति यूनिट होगी। इस साल वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में यह दूसरी बढ़ोतरी है। इससे पहले 1 जनवरी को कमर्शियल सिलेंडर की कीमतों में 25 रुपये प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की गई थी।
स्थानीय करों के कारण घरेलू रसोई गैस की कीमतें एक राज्य से दूसरे राज्य में अलग-अलग होती हैं। हर महीने की शुरुआत में एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में संशोधन किया जाता है।
इस ताज़ा बढ़ोतरी के बाद अब मुंबई में घरेलू गैस सिलेंडर 1052.50 रुपये के बजाय 1102.5 रुपये में बेचा जाएगा। कोलकाता में इसकी कीमत 1079 रुपये के बजाय 1129 रुपये और चेन्नई में 1068.50 रुपये के बजाय 1118.5 रुपये होगी।
पिछली बार घरेलू गैस के दाम में बढ़ोतरी पिछले साल जुलाई में की गई थी। तब 14.2 किलो वाले घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 50 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी और इसकी कीमत दिल्ली में 1053 रुपये हो गई थी। उससे पहले पिछले साल मई में भी 3.5 रुपये और 50 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी।
आज से कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर कोलकाता में 1870 रुपये के बजाय 2221.5 रुपये में मिलेगा। मुंबई में इसकी कीमत 1721 रुपये से बढ़कर अब 2071.50 रुपये हो गई है। चेन्नई में 1917 रुपये का सिलेंडर अब 2268 रुपये में मिलेगा।
बता दें कि खुदरा महंगाई जनवरी में फिर से बढ़ गई। यह तीन महीने के उच्च स्तर 6.52 प्रतिशत पर पहुँच गई है। यह दिसंबर महीने में एक साल के निचले स्तर 5.72 प्रतिशत पर आ गई थी। दिसंबर का यह आँकड़ा रिज़र्व बैंक द्वारा तय महंगाई की ऊपरी सीमा से कम था, लेकिन जनवरी में फिर से यह पार कर गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने मार्च 2026 को समाप्त होने वाली पाँच साल की अवधि के लिए खुदरा मुद्रास्फीति को 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ 4 प्रतिशत पर बनाए रखने का लक्ष्य रखा है। यानी सीधे कहें तो महंगाई को 2-6 फ़ीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य है। लेकिन यह लक्ष्य पाया जाता हुआ नहीं दिखता है। नवंबर और दिसंबर 2022 को छोड़ दिया जाए तो खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी 2022 से आरबीआई के 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा के पार बनी हुई है।