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राजस्थान में बीजेपी को झटका, कांग्रेस प्रत्याशी से चुनाव हारे मंत्री

राजस्थान में बीजेपी को झटका, कांग्रेस प्रत्याशी से चुनाव हारे मंत्री

राजस्थान में हाल ही में सत्तारुढ़ हुई बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। आख़िर बीजेपी के मंत्री कैसे चुनाव हार गए? क्या सरकार बनने के एक महीने में ही लोगों का बीजेपी से मोहभंग हो गया?

राजस्थान की करणपुर विधानसभा सीट बीजेपी हार गई। कांग्रस के प्रत्याशी ने मौजूदा बीजेपी सरकार में मंत्री को हरा दिया। यह बीजेपी के लिए चौंकाने वाला नतीजा है क्योंकि आम तौर पर जिसकी सत्ता होती है उसकी जीत तय मानी जाती है। लेकिन यहाँ तो मंत्री ही चुनाव हार गए।

कांग्रेस ने इस जीत पर कहा है कि श्रीकरणपुर की जनता ने भाजपा के घमंड को तोड़ दिया है और कांग्रेस प्रत्याशी रुपिन्दर सिंह कुन्नर की जीत हुई है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया, 'श्रीकरणपुर उपचुनाव के बीच बीजेपी ने सत्ता के अहंकार में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी को मंत्री बनाकर आचार संहिता का मज़ाक बना दिया था।' उन्होंने कहा कि भाजपा के अहंकारी नेताओं को यह समझना होगा कि वे भले ही किसी को 'मंत्री' बना दें लेकिन 'जनप्रतिनिधि' तो जनता ही बनाती है।

सोमवार को घोषित चुनाव नतीजों में इस जीत के साथ राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस की संख्या 69 से बढ़कर 70 हो जाएगी। भाजपा ने 115 विधानसभा सीटें जीती थीं।

कांग्रेस उम्मीदवार रूपिंदर सिंह कुन्नर ने भाजपा के सुरेंद्रपाल सिंह को 12,000 से अधिक वोटों से हराया। एक्स पर एक पोस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुन्नर को बधाई दी और इस जीत को उनके पिता और विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर के सार्वजनिक सेवा कार्यों को समर्पित किया। पिछले साल नवंबर में करणपुर विधानसभा चुनाव के दौरान गुरमीत सिंह के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया था।

गहलोत ने कहा कि करणपुर की जनता ने 'भारतीय जनता पार्टी के घमंड को चूर कर दिया है। चुनाव के दौरान अपने उम्मीदवार को मंत्री बनाकर आचार संहिता और नैतिकता की धज्जियां उड़ाने वाली भाजपा को जनता ने सबक सिखाया है।'

कांग्रेस ने भाजपा के कदम पर चुनाव आयोग में विरोध दर्ज कराया था और उस पर सिंह को विधायक बनने से पहले ही मंत्री बनाकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करने का आरोप लगाया था।

विधानसभा चुनावों में भाजपा द्वारा अपनी जीत दर्ज करने के बाद सिंह को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शामिल किया गया और उन्हें इंदिरा गांधी नाहर के साथ-साथ अल्पसंख्यक मामलों और वक्फ विभाग सहित चार विभाग सौंपे गए।

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