विवेक तन्खा का बीजेपी पर तंज- वापसी के लिए कश्मीरी पंडित परिवहन नहीं मांग रहे
कश्मीरी पंडितों के पुराने ज़ख्मों को फिर हरा कर देने वाली ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को लेकर छिड़ी बहस और मचे बवाल के बीच मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और कांग्रेस नेता विवेक तन्खा अब इस पर भिड़ गए हैं। नरोत्तम मिश्रा ने सोमवार को कहा कि मध्य प्रदेश की सरकार विस्थापित कश्मीरी पंडितों की कश्मीर वापसी कराएगी। नरोत्तम मिश्रा शिवराज सरकार के प्रवक्ता भी हैं। उन्होंने कहा, ‘जो जाना चाहते हैं, उनकी लिस्ट दें। वापसी करने वालों को प्रदेश की सरकार कश्मीर जाने में मदद करेगी।’
उनके इस बयान पर कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने कहा है कि कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए माहौल तैयार करने की ज़रूरत है, न कि परिवहन में किसी सहायता की दरकार।
विवेक तन्खा एक अप्रैल को संसद में प्राइवेट बिल लेकर आ रहे हैं। उनके द्वारा लाया जा रहा बिल विस्थापित कश्मीरी पंडितों की कश्मीर वापसी और पुख्ता सुरक्षा समेत अन्य मसलों से जुड़ा हुआ है। तन्खा के इसी प्रस्तावित बिल को लेकर मध्य प्रदेश के गृहमंत्री मिश्रा ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों की लिस्ट विवेक तन्खा से मांगी है।
विवेक तन्खा खुद भी कश्मीरी ब्राम्हण हैं। हालाँकि उनके पूर्वज 100 वर्ष पूर्व कश्मीर छोड़ मध्य प्रदेश में आकर बस गए थे।
तन्खा ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘कश्मीरी पंडितों के दर्द से वे और उनका परिवार बावस्ता है। उनके बहुतेरे रिश्तेदारों ने दर्द को भोगा है। लिहाजा ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को देखने की ज़रूरत वह महसूस नहीं करते हैं।’
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बयान के संदर्भ में राज्यसभा सांसद तन्खा ने कहा, ‘कश्मीरी पंडितों को परिवहन व्यवस्था की ज़रूरत नहीं, बल्कि सुरक्षा और पुनर्वास की नीति चाहिए।’
@OfficeOfDrNM ji आपके सहायता के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए विनम्र निवेदन करता हूँ की कश्मीरी पंडितो को सुरक्षा और पुनर्वास की नीति चाहिए परिवहन नहीं। वो व्यवस्था तो मप्र और अन्य सरकारों बखूबी कोविद समय में हम सब के अनुरोध में की थी। KPs के लिए क़ानून बनने में आपकी और समस्त १/२ pic.twitter.com/fzrLosKgW6
— Vivek Tankha (@VTankha) March 28, 2022
उन्होंने कहा, ‘मैं मिश्रा जी से कहना चाहता हूँ कि समस्या वापस जाने की नहीं है। कश्मीरी पंडित सक्षम हैं, वापस तो वे खुद जा सकते हैं। समस्या है वापस जाकर उनके सामने आने वाली परेशानियों की। समस्या है उनकी सम्पत्ति की, जो चली गई है, वो उनको कैसे वापस मिलेगी या कैसे उसका मुआवजा मिलेगा? समस्या है, वहां जाकर वो करेंगे क्या, उनकी नौकरियों की समस्या है, जब वो पहुंचेंगे तो क्या शासन में उनको स्थान मिलेगा? उनके जो तमाम मंदिर हैं, अन्य स्थान हैं उनकी देखरेख कौन करेगा? उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर कौन रहेगा? कौन उनकी सुरक्षा करेगा?’
विवेक तन्खा ने कहा, ‘इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर एक बिल तैयार किया है, जो एक अप्रैल को प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में संसद में रखा जाएगा।’
उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि विस्थापित कश्मीरी ब्राम्हणों का भला चाहने वाले बीजेपी के लोग उस बिल का समर्थन करें, अगर आगे चलकर वो बिल कानून बन गया तो लोग खुद उस कानून के सहारे वापस चले जाएंगे। उन्हें किसी की मदद की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।’
तन्खा ने आगे कहा, ‘हम चाहते हैं कि विस्थापित कश्मीरी ब्राम्हणों को उनके अधिकार वापस मिल जाएं, ताकि वे खुद अपने घर जा सकें।’