कर्नाटक चुनाव में जीत के बाद उत्साहित कांग्रेस राजस्थान में दुबारा सत्ता प्राप्ति के लिए कर्नाटक की तरह ही चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती है। अटकले लगाई जा रही है कि कांग्रेस चुनाव से दो महीने पहले ही अपने 100 उम्मीदवार मैदान में उतार सकती है। इस चर्चा को हवा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एक बयान से मिली है। अशोक गहलोत ने हाल ही में यूथ कांग्रेस के एक कार्यक्रम में कहा था कि 'दिल्ली में लंबी बैठकों का सिस्टम बंद होना चाहिए। दो महीने पहले टिकट फाइनल कर दें, जिसे टिकट मिलना है, उसे इशारा कर दें। वो लोग काम में लग जाएं। हमने प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को भी कहा है, दो महीने पहले टिकट तय हो जाएं। जिन्हें टिकट मिलना है, वह दो महीने पहले ही तय हो जाएं।'
तो प्रचार करने का ज्यादा मौका मिलेगा
माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसी भी तरह राजस्थान में कांग्रेस की दुबारा सरकार बनवाना चाहते हैं। इसके लिए वह सभी जरुरी कदम उठा रहे हैं। वह विभिन्न मंचों से सरकार के लगातार दूसरी बार सत्ता में आने की बात कह कर एक नैरेटिव सेट करने में लगे हैं। उनकी कोशिश है कि आम लोगों से लेकर पार्टी के अंदर तक यह भरोसा बढ़े कि कांग्रेस फिर से सत्ता में फिर लौट रही हैं। इसके लिए अशोक गहलोत अलग-अलग जिलों का दौरा कर रहे हैं। राजस्थान की राजनीति पर नजर रखने वाले कहते हैं कि अशोक गहलोत का मानना है कि यदि चुनाव से दो महीने पहले टिकट घोषित कर दिए जाते हैं तो कांग्रेस उम्मीदवारों को अपने क्षेत्र में प्रचार करने का ज्यादा मौका मिलेगा। वहीं टिकट घोषणा के बाद कहीं कोई बगावत होती है तो समय रहते उससे भी निबटा भी जा सकेगा। इससे पूर्व चुनाव के ऐन वक्त पर टिकट घोषित होने से बगावत को रोकने में कांग्रेस कमजोर पड़ जाती है। पिछले चुनाव में भी कई सीटों पर उसे इसके कारण नुकसान हो चुका है। माना जाता है कि इन्हींं कारणों से अशोक गहलोत ने चुनाव से दो माह पहले ही टिकट तय करने का फॉर्मूला पार्टी के सामने रखा है।
कर्नाटक में कामयाब रह चुका है यह फॉर्मूला
कांग्रेस ने हाल ही में हुए कर्नाटक चुनाव से करीब डेढ़ माह पहले अपने ज्यादातर उम्मीदवार घोषित कर दिए थे। कांग्रेस ने पहली और दूसरी सूची तो चुनाव की घोषणा होने से भी पहले ही जारी कर दी थी। यहां 10 मई को मतदान होना था, जबकि कांग्रेस ने उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची 25 मार्च को घोषित करके 124 उम्मीदवारों को करीब डेढ़ माह पहले ही मैदान में उतार दिया था। माना जाता है कि कांग्रेस ने इस घोषणा के साथ ही भाजपा पर रणनीतिक रूप से बढ़त हासिल कर ली थी। इसके कुछ ही दिनों बाद 6 अप्रैल को उसने 42 उम्मीदवारों की दूसरी सूची भी चुनाव घोषणा से पहले ही जारी कर दी थी। जब चुनाव आयोग ने 13 अप्रैल को चुनाव की अधिसूचना जारी की थी तब तक कांग्रेस अपने 166 उम्मीदवारों को जनता के समक्ष पेश कर चुकी थी। बचे हुए उम्मीदवारों की भी घोषणा अधिसूचना आने के दो-तीन दिन में कांग्रेस ने घोषित कर दिए थे। इसका चुनाव में कांग्रेस को फायदा मिला। वहीं भाजपा ने अपने उम्मीदार घोषित करने में देरी करने की थी, चुनाव की घोषणा के दो दिन पहले 11 अप्रैल को उसने 189 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी, माना जा रहा है कि इसके कारण भी भाजपा को नुकसान झेलना पड़ा।