कांग्रेस रायपुर सत्रः सोनिया गांधी भाव विह्वल...क्या संन्यास लेंगी
रायपुर में कांग्रेस सम्मेलन के दूसरे दिन पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी काफी इमोशनल हो गईं। उनके भाषण का सीधा संदेश है कि पार्टी को अब नए नेतृत्व को संभालना है। वो अब राजनीतिक रूप से विदा ले रही हैं। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने शनिवार को राजनीति से संन्यास का इशारा करते हुए कहा कि वह खुश हैं कि उनकी "पारी भारत जोड़ो यात्रा के साथ खत्म हो रही है। उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा को पार्टी के लिए "एक महत्वपूर्ण मोड़" बताया।
सोनिया ने पार्टी के तीन दिवसीय मंथन सम्मेलन के दूसरे दिन 15,000 प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा- भारत जोड़ो यात्रा ने साबित कर दिया है कि भारत के लोग सद्भाव, सहिष्णुता और समानता चाहते हैं। यह यात्रा महत्वपूर्ण मोड़ पर हुई है।"
कांग्रेस का 85वां पूर्ण अधिवेशन शुक्रवार 24 फरवरी को शुरू हुआ था और उम्मीद की जा रही है कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए जाएंगे, जिसमें अन्य विपक्षी दलों के साथ चुनावी गठबंधन भी शामिल है।
सोनिया गांधी ने कहा -
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कांग्रेस सिर्फ एक राजनीतिक दल नहीं है, हम वह वाहन हैं जिसके माध्यम से भारत के लोग स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और सभी के लिए न्याय की लड़ाई लड़ते हैं। ये देश और पार्टी के लिए चुनौती का वक्त है।
-सोनिया गांधी, रायपुर कांग्रेस सम्मेलन, 25 फरवरी 2023
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया ने कहा -
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मोदी सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा किया, नफरत की आग भड़काई जा रही है। देश के प्रधानमंत्री अपने मित्रों की मदद में जुटे हुए हैं।
-सोनिया गांधी, रायपुर कांग्रेस सम्मेलन, 25 फरवरी 2023
उन्होंने कहा -
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बीजेपी अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं को निशाना बनाकर नफरत की आग भड़का रही। पार्टी को इन वर्गों के साथ खड़े होना होगा।
-सोनिया गांधी, रायपुर कांग्रेस सम्मेलन, 25 फरवरी 2023
यह आयोजन भारत जोड़ो यात्रा के ठीक बाद रहा है। राहुल गांधी के नेतृत्व में आयोजित भारत जोड़ो तीन महीने तक चली। राजनीतिक विश्लेषकों ने इस कामयाब यात्रा बताया है। राहुल ने कांग्रेस को कार्यकर्ताओं और मतदाताओं से पार्टी को फिर से जोड़ने की कोशिश की है। इस यात्रा के जरिए बीजेपी-आरएसएस के हिन्दुत्व के एजेंडे के खिलाफ पार्टी संदेश देने में सफल रही।
सत्र के पहले दिन, कांग्रेस संचालन समिति ने पार्टी की शीर्ष परिषद, कार्य समिति के लिए चुनाव नहीं कराने का फैसला किया और नए पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे को अपने सदस्यों को नामित करने के लिए अधिकृत किया।
एक के बाद एक चुनावी हार के बाद, कई कांग्रेसी नेताओं के पलायन के बाद, सोनिया गांधी ने अक्टूबर में परिवार के वफादार मल्लिकार्जुन खड़गे को 137 वर्षीय संगठन की बागडोर सौंपी। पार्टी के पहले परिवार माने जाने वाले गांधी परिवार की इस पर अभी भी मजबूत पकड़ है।