मेरा बस चले तो मैं किसी पद पर ना रहूं: गहलोत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार को दिल्ली पहुंचे हैं। गहलोत ने कहा है कि वह बहुत पदों पर रह चुके हैं और उनका बस चले तो अब वह किसी पद पर ना रहें। बताना होगा कि इस बात की जोरदार चर्चा है कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में उम्मीदवार होंगे और जल्द ही अपना नामांकन दाखिल करेंगे।
गहलोत ने बुधवार रात को कांग्रेस विधायकों के साथ बैठक की। बैठक के बाद गहलोत के करीबी और कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि अशोक गहलोत राजस्थान नहीं छोड़ रहे हैं।
लेकिन जब गहलोत दिल्ली पहुंचे तो उन्होंने पत्रकारों के इस सवाल के जवाब में कि क्या वह राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहेंगे, कहा कि वह कहां रहेंगे या कहां नहीं रहेंगे, यह समय बताएगा। उन्होंने कहा कि वह उस जगह रहना पसंद करेंगे जहां उनके रहने से कांग्रेस को फायदा मिलता हो और वह पीछे नहीं हटेंगे।
गहलोत ने अपनी बात को और साफ करते हुए कहा, वह चाहे एक पद पर, दो पद पर या तीन पद पर या किसी भी पद पर नहीं रहें, उनका बस चले तो वह किसी पद पर ना रहें क्योंकि वह कई पदों पर रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि वह मैदान में उतरें, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ दौरे करें और यात्रा करें।
गहलोत ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव सबके लिए खुला हुआ है और इस चुनाव में पार्टी के 9000 मतदाता हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी नेता अध्यक्ष के चुनाव में उम्मीदवार बन सकता है।
गहलोत ने कुछ दिन पहले भी कहा था कि संकट की घड़ी में पार्टी उन्हें जो हुकुम देगी वह उसका पालन करेंगे।
रखेंगे शर्त?
खबरों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पिछले महीने ही अशोक गहलोत से आग्रह कर चुके हैं कि वह कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालें। लेकिन यहां बड़ा सवाल यह है कि अशोक गहलोत क्या राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ देंगे। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अशोक गहलोत ने कांग्रेस नेतृत्व से कहा है कि वह कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद भी कुछ वक्त तक राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं और अगर उन्हें पूरी तरह राष्ट्रीय राजनीति में लाया जाता है तो वह चाहते हैं कि उनका कोई करीबी राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए 24 सितंबर से नामांकन शुरू होने हैं और कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत 26 सितंबर को नामांकन दाखिल करेंगे। यह देखना होगा कि कांग्रेस आलाकमान राजस्थान के संकट को कैसे सुलझाता है। क्या राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अशोक गहलोत का कोई करीबी नेता बैठेगा या फिर पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलेगी।
निश्चित रूप से कांग्रेस आलाकमान के लिए अशोक गहलोत को राष्ट्रीय राजनीति में लाना और राजस्थान के सियासी संकट को सुलझाना एक कठिन लक्ष्य है देखना होगा कि वह कैसे इससे पार पाता है।
पायलट समर्थकों में उत्साह
दूसरी ओर, जब से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस का अध्यक्ष बनने को लेकर चर्चाएं शुरू हुई हैं, राजस्थान में उनके सियासी प्रतिद्वंद्वी और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट के समर्थकों में जबरदस्त उत्साह है। पायलट खेमे को उम्मीद है कि अशोक गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष बनेंगे और मुख्यमंत्री की कुर्सी उनके नेता सचिन पायलट को मिलेगी लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा। क्या अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए तैयार होंगे?