कर्नाटक के यादगिर में तबादले के बाद एक दलित पुलिसकर्मी की आत्महत्या को लेकर कांग्रेस विधायक और उनके बेटे फँस गए हैं। कांग्रेस विधायक चन्नारेड्डी तन्नूर और उनके बेटे पंपनागौड़ा तन्नूर के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की गई है। उनपर अपमान करने, आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे आरोप लगाए गए हैं। शिकायत की गई है कि तबादला से बचने के लिए पुलिसकर्मी से लाखों रुपये मांगे गए थे। दलित पुलिसकर्मी की आत्महत्या के बाद दलित संगठनों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए।
यह मामला कांग्रेस शासित कर्नाटक के यादगिर जिले की है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार सात महीने के भीतर ही तबादले के बाद दलित सब-इंस्पेक्टर की कथित तौर पर आत्महत्या के बाद विधायक और उनके बेटे पर आरोप लगा। एफ़आईआर के अनुसार उनपर शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करने, आत्महत्या के लिए उकसाने और संयुक्त आपराधिक गतिविधि के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार परशुराम की पत्नी श्वेता एन वी ने शिकायत की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अगर उनके पति उसी स्थान पर बने रहना चाहते तो पिता-पुत्र की जोड़ी ने उनसे 30 लाख रुपये मांगे थे। श्वेता का कहना है कि परशुराम का तबादला होने के बाद से ही वह रो रहे थे और उन्होंने बताया कि वह आत्महत्या करने के बारे में सोच रहे थे। गर्भवती श्वेता अपने बच्चे के जन्म के लिए अपने माता-पिता के घर रायचूर गई थीं, तो उन्हें पता चला कि परशुराम को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उसके नाक और मुंह से खून बह रहा है।
शहर के पुलिस थाने में कार्यरत पीएसआई परशुराम को संसदीय चुनाव के दौरान यादगिर टाउन थाने से तबादला कर दिया गया था और शहर लौटने के बाद भी वे यहीं कार्यरत थे। अब उन्हें फिर से साइबर क्राइम थाने में तबादला कर दिया गया और वे वहां से भी मुक्त हो गए।
मृतक अधिकारी की पत्नी और अन्य दलित कन्नड़ संगठन के नेताओं ने पुलिस अधीक्षक संगीता की मौजूदगी में उनकी मौत की गहन जांच की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने तर्क दिया कि पीएसआई की मौत मानसिक दबाव के कारण हुई क्योंकि उनसे तबादला रोकने के लिए पैसे मांगे गए थे। दलित संघर्ष समिति, कन्नड़ संगठनों और भाजपा नेताओं ने शनिवार को भी चित्तपुर रोड पर सड़क जाम कर नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
भाजपा नेता बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने आरोप लगाया है कि पीएसआई को परेशान किया गया और पैसे के लिए जबरन वसूली की गई, जिसके कारण उनकी मौत हो गई। एक्स पर अपने पोस्ट में पाटिल ने आरोप लगाया कि यादगिर के विधायक चेन्नारेड्डी पाटिल टुन्नूर और उनके बेटे पुलिस अधिकारी की मौत के लिए जिम्मेदार हैं।
घटना के बाद दलित संघर्ष समिति यानी डीएसएस के सदस्यों ने परशुराम के लिए न्याय की मांग करते हुए सड़क जाम कर प्रदर्शन किया। श्वेता भी प्रदर्शनकारियों में शामिल हो गईं। मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग उनके पति का नहीं बल्कि विधायक का समर्थन कर रहा है।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने शनिवार को कहा था, 'आज विभाग खुद उनके साथ नहीं है। बल्कि वह विधायक का समर्थन कर रहा है। वह पैसे बरबाद करने वाले का समर्थन करता है। वह उसे पैसे देता है और उसका समर्थन करता है। आप उसे कितना पैसा खिलाना चाहते हैं? क्या आप एक विधायक को पालेंगे? क्या आप एक विधायक के लिए अपने माता-पिता और परिवार को अनदेखा करके दिन-रात मेहनत करते हैं? यह विधायक इसके लिए जिम्मेदार है, लेकिन वह अभी तक यहां नहीं आया है। मैं एफआईआर चाहती हूं। हम न्याय चाहते हैं।'
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि उन्होंने मामले की गहन जांच के आदेश दिए हैं। हालाँकि, उन्होंने इस बात से इनकार किया कि यह आत्महत्या थी। रिपोर्ट के अनुसार मंत्री ने बेंगलुरू में संवाददाताओं से कहा, 'परशुराम ने आत्महत्या नहीं की। उन्होंने कोई सुसाइड नोट नहीं लिखा था। उनकी पत्नी ने शिकायत की है कि वह तबादले के मुद्दे से परेशान थे। मैं उनके आरोप पर विचार करूंगा। उस आयाम की जांच की जाएगी।'
केंद्रीय मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने बेंगलुरू में इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि विधायक को रिश्वत नहीं देने पर पुलिसकर्मी के सामने अपनी जान देने की नौबत आ गई।