कांग्रेस ने शनिवार को गुजरात के विधानसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र जारी कर दिया है। घोषणापत्र में पार्टी ने कई बड़े वादे किए हैं। इन वादों में सरकार बनने पर 10 लाख सरकारी नौकरी, 3000 रुपए बेरोजगारी भत्ता, 500 रुपए में गैस सिलेंडर, हर महीने 300 यूनिट फ्री बिजली, पुरानी पेंशन लागू करने, 10 लाख तक मुफ्त इलाज, किसानों का 3 लाख का कर्ज माफ, बिजली बिल माफ और सरकारी नौकरियों में कॉन्ट्रेक्ट व्यवस्था खत्म करने की बात कही है।
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि सरकार बनने पर जरूरतमंद छात्रों को 500 से 20,000 रुपए तक की छात्रवृत्ति दी जाएगी। गुजरात के किसानों की दशा सुधारने के लिए और फसल का भाव दिलाने के लिए 'भाव निर्धारण समिति' स्थापित की जाएगी। कांग्रेस ने कहा है कि गुजरात की सत्ता में आने पर वह अहमदाबाद में नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदलकर सरदार पटेल स्टेडियम करेगी।
घोषणा पत्र राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राज्य में कांग्रेस के प्रभारी रघु शर्मा, गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष जगदीश ठाकोर आदि वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में जारी किया गया। गुजरात में 1 और 5 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे और 8 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश के साथ ही मतों की गिनती का काम होगा।
चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ 21 दिन का वक्त ही बचा है और ऐसे में बीजेपी, कांग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल भी गुजरात के चुनाव के लिए युद्ध स्तर पर प्रचार कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी लगातार कई महीनों से गुजरात के दौरे कर रहे हैं। पार्टी के इन तीनों बड़े नेताओं ने इस दौरान आदिवासी से लेकर पाटीदारों और समाज के अन्य वर्गों तक को अपने पक्ष में लाने की पूरी कोशिश की है।
हालांकि अभी तक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राज्य में चुनाव प्रचार के लिए नहीं आए हैं। लेकिन ऐसी उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिनों में यह सभी नेता गुजरात में चुनाव प्रचार कर सकते हैं। राहुल गांधी इन दिनों कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं।
गुजरात चुनाव को लेकर अगर सोशल मीडिया और टीवी पर नजर दौड़ाएं, तो ऐसा लगता है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच चुनावी लड़ाई है। लेकिन राज्य में कांग्रेस एक बड़ी सियासी ताकत है। 1995 से लगातार हार के बावजूद कांग्रेस को हर विधानसभा चुनाव में 40 फीसद के आसपास वोट मिलते रहे हैं।
27 साल का सूखा
गुजरात में कांग्रेस पिछले 27 साल से सत्ता से बाहर है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में किए गए बेहतर प्रदर्शन के बाद कांग्रेस को लगातार झटके लगे और 17 विधायक और कई नेता पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में गुजरात में जीत हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अच्छा-खासा जोर लगाना पड़ा था लेकिन तब भी बीजेपी की सीटें कम हुई थी। 2012 में कांग्रेस को जहां 61 सीटें मिली थीं, वहीं 2017 में यह आंकड़ा 77 हो गया था, दूसरी ओर बीजेपी 2012 में मिली 115 सीटों के मुक़ाबले 2017 में 99 सीटों पर आ गयी थी।
गुजरात में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने की चर्चाओं के बीच कांग्रेस राज्य में 5 यात्राएं निकाल रही है। इन यात्राओं के जरिये पार्टी 5,432 किलोमीटर की दूरी तय कर 175 विधानसभा सीटों को कवर करेगी। यात्रा के दौरान 145 जनसभाएं और 95 रैलियां होंगी। इन यात्राओं को परिवर्तन संकल्प यात्राओं का नाम दिया गया है।
मोरबी को बनाया मुद्दा
कांग्रेस के नेता मोरबी जिले में हुए हादसे के साथ ही कोरोना से निपटने में राज्य सरकार की कथित नाकामियों को भी चुनाव में मुद्दा बना रहे हैं। कोरोना के दौरान गुजरात में बड़ी संख्या में लोगों की जान गई थी। कांग्रेस बेरोजगारी और महंगाई को भी मुद्दा रही है लेकिन उसका पूरा जोर मोरबी में हुए हादसे को लेकर राज्य सरकार को घेरने पर है।
आम आदमी पार्टी की मौजूदगी
गुजरात के चुनाव में इस बार कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी शहरी सीटों पर बीजेपी को टक्कर दे सकती है। आम आदमी पार्टी पंजाब में मिली बड़ी जीत के बाद लगातार गुजरात पर फोकस कर रही है और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने का दावा करते हैं। हालांकि गुजरात की राजनीति अब तक दोध्रुवीय ही रही है और ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी चमत्कारिक प्रदर्शन कर पाएगी।
इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली एआईएमआईएम भी मुस्लिम बहुल सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उन इलाकों में कांग्रेस को मिलने वाले वाले वोट बंट सकते हैं।