गुजरात की वडगाम सीट से जीते कांग्रेस के विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा है कि उन्हें इस बात का अफसोस है कि पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान उनका पूरा इस्तेमाल नहीं किया। जिग्नेश इस बार कांग्रेस के टिकट पर जीते हैं जबकि पिछली बार उन्होंने निर्दलीय लड़ते हुए जीत हासिल की थी। मेवाणी गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं।
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में जिग्नेश ने कहा कि वह इस बात को महसूस करते हैं कि उनका और बेहतर ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता था, न केवल नामांकन के बाद बल्कि उससे पहले भी ऐसा हो सकता था।
लेकिन मैं यह समझने में फेल रहा हूं कि जब कांग्रेस के पास मेरा चेहरा था जिसके पास गुजरात में अच्छी पहचान है, विश्वसनीयता है, इसके बाद भी मुझसे राज्य भर में जनसभाएं क्यों नहीं करवाई गई। उन्होंने कहा कि लोगों में ऊर्जा भरने के लिए उनसे जनसभाएं करवाई जानी चाहिए थी।
इससे पहले जब पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस छोड़ी थी तो उन्होंने भी इस तरह की शिकायत की थी कि पार्टी ने उनका पूरा इस्तेमाल चुनाव प्रचार में नहीं किया। हार्दिक पटेल ने इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और वह वीरमगाम सीट से विधायक चुने गए हैं।
बेहद खराब प्रदर्शन
गुजरात के विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर देते हुए 77 सीटें हासिल की थी लेकिन इस बार वह सिर्फ 17 सीटों पर जीत हासिल कर सकी।
कांग्रेस की हालत इस कदर खराब रही कि गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखराम राठवा और पूर्व नेता प्रतिपक्ष परेश धनानी भी अपनी-अपनी सीटों से चुनाव हार गए। कांग्रेस को 2017 के विधानसभा चुनाव में 41 फीसद वोट मिले थे जबकि इस बार वह 27 फीसद वोट ही हासिल कर पाई।
कांग्रेस का प्रदर्शन इतना खराब रहा कि वह 33 में से 21 जिलों में खाता तक नहीं खोल सकी।
जिग्नेश ने इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के युवा नेता कन्हैया कुमार और राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के साथ मिलकर प्रचार किया था। उन्हें कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची में भी शामिल किया गया था। कुछ जगहों पर जहां उनकी चुनावी सभा कराई गई वहां उन्होंने बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था।
चुनाव प्रचार से दूरी
कांग्रेस की हार के अहम कारणों का विश्लेषण करें तो पहला कारण यह समझ में आता है कि केंद्रीय नेतृत्व चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रहा। भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सिर्फ 1 दिन के लिए चुनाव प्रचार में पहुंचे। अंतिम दिनों में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कुछ चुनावी सभाएं की लेकिन इससे पार्टी को कोई फायदा नहीं हुआ। 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने गुजरात में धुआंधार चुनाव प्रचार किया था। कुछ वैसे ही प्रचार की जरूरत इस बार भी थी।
राहुल गांधी तो प्रचार में सिर्फ 1 दिन के लिए आए लेकिन प्रियंका गांधी 1 दिन के लिए भी गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए नहीं आईं। इससे शायद पार्टी के चुनाव प्रचार पर खराब असर पड़ा और गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी जैसे-तैसे चुनाव अभियान चला सकी।