क्या उत्तर प्रदेश में लोकतांत्रिक ढंग से धरना-प्रदर्शन करना गुनाह है?
"बीते दो महीने से भी कम समय में आज मेरी छठी गिरफ़्तारी हुई है। पिछले छह महीने में मुझे बीस बार गिरफ्तार किया जा चुका है। विपक्षी दल के साथ घृणा की राजनीति का ऐसा खेल पहली बार देखने को मिल रहा है। योगी जी विद्वेष की राजनीति कर रहे हैं।" यह कहना है उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का।
शुक्रवार दोपहर को कांग्रेस अध्यक्ष और उनके साथियों को मॉल एवेन्यू, लखनऊ में स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से निकल कर बाहर आते समय गिरफ़्तार कर लिया गया था। वे लोग कानपुर में हुई लैब टैक्नीशियन की हत्या के विरोध में मृतक के परिजनों से मिलने कानपुर जा रहे थे।
लल्लू ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘‘सचमुच प्रदेश के लंबे लोकतांत्रिक इतिहास में सामाजिक मुद्दों के विरुद्ध होने वाले छोटे-छोटे विरोध प्रदर्शनों को लेकर किसी महत्वपूर्ण विपक्षी दल के प्रदेश अध्यक्ष की इस प्रकार होने वाली ताबड़तोड़ गिरफ़्तारियों या हिरासत में धर लिए जाने का यह पहला वाक़या है।’’
लल्लू ने कहा, ‘‘एक तरफ सारे प्रदेश में अपराधियों की सांठगांठ है, वे छुट्टा घूम रहे हैं और अपराध का ग्राफ़ आसमान छूता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक कार्यकर्ताओं को न्यूनतम संवैधानिक गतिविधियां करने से भी रोका जा रहा है। यह बड़ी चिंता का विषय है।’’
‘जासूसी करवा रही सरकार’
'जब-जब योगी डरता है, पुलिस को आगे करता है!' इन दिनों पूरे प्रदेश के कांग्रेसजन यही नारा लगा रहे हैं। इसी महीने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू और विधानसभा में नेता, कांग्रेस विधायक दल अनुराधा मिश्रा ने लखनऊ में एक संवाददाता सम्मलेन में आरोप लगाया था कि पुलिस प्रदेश कांग्रेस कार्यालय की हर दिन सुबह से रात तक जासूसी करवा रही है। उनके इस आरोप में इसलिए दम नज़र आता है क्योंकि उन लोगों की कई गिरफ़्तारियां कार्यालय से बाहर निकलते समय उस वक़्त हुईं जब वे किसी 'एक्शन' के लिए रवाना होने वाले थे।
'न्याय यात्रा' नहीं निकालने दी
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस जनों की गिरफ़्तारियों का सिलसिला दरअसल, 30 सितम्बर, 2019 से शाहजहांपुर से शुरू हुआ। बीजेपी नेता स्वामी चिन्मयानंद का बलात्कार कांड में नाम आने के बाद कांग्रेसी नेता शाहजहांपुर से लखनऊ तक 'न्याय यात्रा' निकालना चाह रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें पहले ही 'हाउस अरेस्ट' कर लिया।
गिरफ़्तार होने वालों में वरिष्ठ कांग्रेसी जतिन प्रसाद, अजय कुमार लल्लू, अनुराधा मिश्रा के अलावा प्रदेश के कई प्रमुख नेता शामिल थे। यात्रा की समाप्ति पर लखनऊ में इसे कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को सम्बोधित करना था। इसके बाद ज़िला स्तर पर विरोध-प्रदर्शनों का सख्ती से 'दमन' किया गया।
प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने जब से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विरुद्ध मोर्चा खोला है, स्थानीय कांग्रेसियों की गतिविधियों में तेजी आयी है और तभी से गिरफ़्तारियों का सिलसिला भी बढ़ गया है।
बसों को लेकर राजनीति
लॉकडाउन से बेहाल प्रवासी मज़दूरों के लिए बसें उपलब्ध करवाने के कांग्रेस महासचिव प्रियंका के प्रस्ताव के अनुरूप 19 मई को जब अजय कुमार लल्लू बसों का बेड़ा लेकर आगरा-राजस्थान बॉर्डर पर पहुंचे तो उन्हें 'ग़लत परमिट' जमा करने के 'जालसाजी' के आरोप में सहयोगियों सहित गिरफ़्तार कर लिया गया। आगरा से उन्हें जब अगले दिन ज़मानत मिली तो जेल से बाहर आते ही इन्हीं आरोपों में लखनऊ पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया। लल्लू को 20 दिनों के बाद हाई कोर्ट से ज़मानत मिल सकी थी।
कांग्रेस नेताओं की गिरफ़्तारियां
ट्विटर पर मुख्यमंत्री और आरएसएस के विरुद्ध 'आपत्तिजनक' टिप्पणी करने के आरोप में हज़रतगंज (लखनऊ) पुलिस ने 21 मई को एआईसीसी नेता पंकज पूनिया को हरियाणा से गिरफ़्तार कर लिया। 22 जून की रात को 'प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल' के प्रमुख शाहनवाज़ आलम को गिरफ़्तार कर लिया गया। उन पर सीएए (नागरिकता संशोधन क़ानून) विरोधी गतिविधियों में संग्लग्न होने का आरोप था।
इसके अलावा प्रदेश एनएसयूआई के उपाध्यक्ष अनत रहमान, आगरा जिला कांग्रेस के अध्यक्ष मनोज दीक्षित सहित विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अनेक ज़िलों में या तो आंदोलन स्थल से गिरफ़्तार कर लिया गया या फिर उन्हें निकलने से पहले ही उनके घरों पर ही धर दबोचा गया।
डॉ. कफ़ील की रिहाई की मुहिम
22 जुलाई से प्रदेश कांग्रेस ने डॉ. कफ़ील ख़ान की रिहाई को लेकर ज़िलों के स्तर पर आंदोलन शुरू किया है। अलीगढ़ विश्वविद्यालय में कथित तौर पर देश विरोधी भाषण देने के आरोप में डॉ. कफ़ील को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत मथुरा जेल में बंद कर दिया गया। इससे पूर्व गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में मस्तिष्क रोग से बड़े पैमाने पर हुई बच्चों की मृत्यु के आरोप में उन्हें मेडिकल सुपरिटेंडेंट के पद से सस्पेंड कर दिया गया था। इस मामले में कांग्रेस ने शुरुआती तौर पर व्यापक हस्ताक्षर अभियान प्रारम्भ किया है; आगे सड़क पर उतरने की योजना है। उम्मीद है तब गिरफ्तारियों का बड़ा सिलसिला शुरू होगा।
शहरों में स्थानीय जन समस्याओं को लेकर कांग्रेस अगस्त में आंदोलन करने और गिरफ़्तारी देने का कार्यक्रम बना रही है। आगरा में बढ़े हुए बिजली के बिलों को लेकर प्रदर्शन और गिरफ़्तारियों का सिलसिला शुरू हो गया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आंदोलन की तैयारी
पश्चिमी उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. अनिल चौधरी ने बताया कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नलकूपों के विद्युत भार को मनमाने तरीके से बढ़ा दिया गया है। चौधरी ने बताया कि उन्हें 'उप्र राज्य विद्युत् उपभोक्ता परिषद्' की ओर से मामले के जल्द समाधान का आश्वासन मिला है लेकिन समय रहते यदि इसमें समुचित सुधार नहीं किये गए तो पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान आंदोलन की राह पकड़ेंगे।
‘बीजेपी का रवैया अलोकतांत्रिक’
कांग्रेस का कहना है कि आज़ादी के बाद से उत्तर प्रदेश लोकतांत्रिक तौर पर धरना-प्रदर्शनों का केंद्र रहा है। विरोधी पार्टियों के शासन काल में स्वयं बीजेपी विभिन्न मांगों को लेकर सड़कों पर उतरती रही है लेकिन कभी भी न तो उसे बारहमासी धारा 144 का सामना करना पड़ा है और न ही उसके नेताओं ने दूसरे प्रकार की गिरफ़्तारियां झेली हैं। पार्टी ने कहा कि बीजेपी का रवैया पूर्णतः अलोकतांत्रिक है।
यह भी महज़ संयोग है कि उत्तर प्रदेश में दूसरे प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बीएसपी पूरी तरह से ख़ामोश हैं। ऐसे में कांग्रेस की सड़क पर उतरने की राजनीति कितनी कारगर होगी, ये देखना दिलचस्प होगा।