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गुजरात: पांच यात्राएं निकाल रही कांग्रेस; बीजेपी को हरा पाएगी?

गुजरात: पांच यात्राएं निकाल रही कांग्रेस; बीजेपी को हरा पाएगी?

गुजरात में कांग्रेस पिछले 27 साल से सत्ता से बाहर है। देखना होगा कि इन यात्राओं के जरिये क्या वह गुजरात में 1995 से चले आ रहे जीत के सूखे को खत्म कर पाएगी?

गुजरात में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने की चर्चाओं के बीच कांग्रेस राज्य में 5 यात्राएं निकाल रही है। गुजरात में चुनाव की तारीखों का ऐलान भी हो गया है और राज्य में 1 व 5 दिसंबर को वोटिंग होगी और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे। साफ है कि सिर्फ 1 महीने का वक्त सभी राजनीतिक दलों के पास है। 

यह यात्राएं यात्रा कच्छ के भुज, सौराष्ट्र के सोमनाथ, उत्तरी गुजरात के वडगाम, मध्य गुजरात के बालासिनोर और दक्षिण गुजरात के जंबूसर से शुरू हुई हैं। इन यात्राओं के जरिये पार्टी 5,432 किलोमीटर की दूरी तय कर 175 विधानसभा सीटों को कवर करेगी। यात्रा के दौरान 145 जनसभाएं और 95 रैलियां होंगी। इन यात्राओं को परिवर्तन संकल्प यात्राओं का नाम दिया गया है। 

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ सहित कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता इन यात्राओं में शामिल होंगे। बताना होगा कि कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है और इसके जरिए वह 2024 के चुनाव से पहले संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने की कोशिश कर रही है। 

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27 साल का सूखा 

गुजरात में कांग्रेस पिछले 27 साल से सत्ता से बाहर है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में किए गए बेहतर प्रदर्शन के बाद कांग्रेस को लगातार झटके लगे और लगभग 15 विधायक और कई नेता पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं। इनमें गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हार्दिक पटेल भी शामिल हैं। 

मोरबी को बनाया मुद्दा

इस यात्रा के दौरान कांग्रेस के नेता मोरबी जिले में हुए हादसे के साथ ही कोरोना से निपटने में राज्य सरकार की कथित नाकामियों को भी मुद्दा बना रहे हैं। कोरोना के दौरान गुजरात में बड़ी संख्या में लोगों की जान गई थी। कांग्रेस बेरोजगारी और महंगाई को भी मुद्दा रही है लेकिन उसका पूरा जोर मोरबी में हुए हादसे को लेकर राज्य सरकार को घेरने पर है। तमाम जिलों, शहरों और गांवों में पार्टी के कार्यकर्ता इन यात्राओं में शामिल हो रहे हैं। 

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प्रदेश अध्यक्ष जगदीश ठाकोर, भरत सिंह सोलंकी, जिग्नेश मेवाणी और मधुसूदन मिस्त्री उत्तरी गुजरात से शुरू हुई यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं। यह यात्रा छह जिलों को कवर करने के बाद गांधीनगर में समाप्त होगी। जबकि तुषार चौधरी और अनंत पटेल के नेतृत्व में दक्षिण से शुरू हुई यात्रा सात जिलों को कवर करेगी। जिस यात्रा का नेतृत्व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा और सिद्धार्थ पटेल और विधायक दल के नेता सुखराम राठवा कर रहे हैं, वह नौ जिलों को कवर करेगी।

सौराष्ट्र से शक्ति सिंह गोहिल के नेतृत्व में निकाली जा रही यात्रा कच्छ, मोरबी, राजकोट, जामनगर, पोरबंदर, द्वारका और जूनागढ़ से होकर गुजरेगी। जबकि सोमनाथ से शुरू हुई यात्रा अहमदाबाद में समाप्त होगी और इसका नेतृत्व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया और विधायक दल के पूर्व नेता परेश धनानी कर रहे हैं।

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आम आदमी पार्टी क्या करेगी?

गुजरात के चुनाव में इस बार कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी शहरी सीटों पर बीजेपी को टक्कर दे सकती है। आम आदमी पार्टी पंजाब में मिली बड़ी जीत के बाद लगातार गुजरात पर फोकस कर रही है और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने का दावा करते हैं। हालांकि गुजरात की राजनीति अब तक दोध्रुवीय ही रही है और ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी चमत्कारिक प्रदर्शन कर पाएगी। 

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यह भी कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी विपक्ष को मिलने वाले वोटों में बड़ी सेंध लगा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो इससे कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। हार्दिक पटेल के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने की वजह से भी पार्टी को सौराष्ट्र और पटेल समुदाय की घनी आबादी वाले इलाकों में नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली एआईएमआईएम भी मुस्लिम बहुल सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उन इलाकों में कांग्रेस को मिलने वाले वाले वोट बंट सकते हैं। 

2017 के विधानसभा चुनाव में ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल भी कांग्रेस के साथ थे लेकिन इस बार यह दोनों नेता कांग्रेस के साथ नहीं हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस के सामने चुनौतियां ज्यादा हैं और देखना होगा कि इन यात्राओं के जरिये क्या वह गुजरात में 1995 से चले आ रहे जीत के सूखे को खत्म कर पाएगी?

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