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पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती क़ीमतों के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरी कांग्रेस

पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती क़ीमतों के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरी कांग्रेस

पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती क़ीमतों के ख़िलाफ़ कांग्रेस ने शुक्रवार को देश भर में जोरदार प्रदर्शन किया। 

पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती क़ीमतों के ख़िलाफ़ कांग्रेस ने शुक्रवार को देश भर में जोरदार प्रदर्शन किया। पार्टी नेताओं ने बढ़ी क़ीमतों को तुरंत वापस लेने की मांग की। पार्टी के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल और दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रदर्शन किया। 

वेणुगोपाल ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान पेट्रोल और डीजल पर जो टैक्स 9.20 रुपये था, उसे बढ़ाकर 32 रुपये कर दिया गया है। वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी थोपना बंद करे और इसे जीएसटी के दायरे में लाया जाए। 

इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने भी दिल्ली में कुछ जगहों पर कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन किया। 

पेट्रोल और डीजल की क़ीमतों में शुक्रवार को क्रमश: 31 पैसे और 28 पैसे की बढ़ोतरी की गई है और दिल्ली में पेट्रोल 95.85 रुपये और डीजल 86.75 रुपये प्रति लीटर बिका। जबकि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और लद्दाख के कई शहरों में यह 100 रुपये प्रति लीटर को पार कर गया है। 

राजस्थान के श्रीगंगानगर में तो पेट्रोल 106.94 रुपये प्रति लीटर और डीजल 99.80 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया है।

पुडुचेरी में प्रदर्शन 

पुडुचेरी में पूर्व मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवी सुब्रमण्यन सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ पेट्रोल पंपों के बाहर प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर करों को बढ़ाकर लगभग 20 लाख रुपये कमा लिए हैं और महंगे ईंधन की मार आम लोगों पर पड़ रही है। 

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कांग्रेस नेताओं ने कहा कि 2014 में जब एनडीए सरकार सत्ता में आई थी तो सिलेंडर 410 रुपये का था जो अब बढ़कर 819 रुपये का हो गया है और इस वजह से वेतनभोगी और ग़रीब तबका सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहा है। 

बीजेपी नेता कहां चले गए?

मध्य प्रदेश में सड़क पर उतरे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि अब बीजेपी के नेता राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी और ढोंगी बाबा कहां चले गए हैं, जो कांग्रेस राज में ईंधन की क़ीमतें बढ़ने पर शोर मचाते थे। उन्होंने कहा कि ईंधन पर लग रही एक्साइज ड्यूटी को घटाकर 9 रुपये प्रति लीटर किया जाए। 

2014 के लोकसभा चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल की क़ीमतों को लेकर तत्कालीन यूपीए सरकार पर बरसने वाली बीजेपी के राज में ईंधन की क़ीमत आसमान छू रही हैं। लेकिन इसे लेकर सरकार कुछ बोलने को तैयार नहीं है।

मोदी सरकार को इस बात का जवाब देना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम कम होने के बाद भी देश में पेट्रोल और डीजल की क़ीमतें कम क्यों नहीं हुईं जबकि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमत बढ़ते ही हमारे वहां ईंधन के दाम बढ़ जाते हैं। 

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दिल्ली में प्रदर्शन करते कांग्रेस कार्यकर्ता।

जब देश की आम जनता पेट्रोल-डीजल की बेतहाशा बढ़ती क़ीमतों के कारण त्राहि-त्राहि कर रही है, ऐसे में सरकार को एक्साइज ड्यूटी में कटौती करके जनता को राहत देने की कोशिश करनी चाहिए। इसके अलावा जब अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमतें कम हों तो उस हालत में जनता को उसका फ़ायदा मिलना चाहिए जो कि नहीं मिलता। 

पेट्रोल-डीजल की बढ़ी क़ीमतों पर सरकार के समर्थकों का तर्क है कि कोरोना महामारी को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन के कारण काम-धंधे बंद रहे, सरकार को राजस्व नहीं मिला और इस वजह से सरकार का खजाना खाली है क्योंकि उसे कॉरपोरेट टैक्स और राजस्व के दूसरे तरीक़ों से पैसा नहीं आ पाया। इसलिए सरकार कच्चा तेल सस्ता होने के बाद भी पेट्रोल-डीजल के दाम को कम नहीं कर रही है। 

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