राहुल गांधी की अगुआई में कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा 7 सितंबर से शुरू करने जा रही है। सिविल सोसाइटी के लोग इससे जुड़ गए हैं। यात्रा का समय महत्वपूर्ण है। इसके लिए राहुल गांधी ने फिलहाल कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी किनारे रख दिया है। यह यात्रा लंबी चलने वाली है। राहुल गांधी ने सोमवार को सिविल सोसाइटी के लोगों से मुलाकात कर उनसे इस यात्रा में शामिल होने का आग्रह किया। राहुल का कहना है कि कोई चले न चले, वो अकेले ही भारत जोड़ो यात्रा में चलेंगे।
क्या इस यात्रा का संबंध 2024 के आम लोकसभा चुनाव से है, इसका जवाब तुरंत नहीं मिलेगा, लेकिन इससे कांग्रेस पार्टी में नई ऊर्जा जरूर आएगी, क्योंकि ऐसी यात्राएं पहले भी निकली हैं और उनका असर भी हुआ है।
सिविल सोसाइटी के महत्वपूर्ण एक्टिविस्ट योगेंद्र यादव ने इस यात्रा में शामिल होकर चौंका दिया है। उन्होंने सोमवार को कहा, ... इस बात पर आम सहमति है कि हम इस (कांग्रेस की) भारत जोड़ो यात्रा का स्वागत करते हैं क्योंकि यह समय की आवश्यकता है जिस पर हम लोग सहमत हुए हैं। सिविल सोसाइटी की सहभागिता कई रूपों में होगी। ... रूप अलग-अलग होंगे लेकिन हम लोग इस यात्रा में शामिल होने के लिए सहमत हुए हैं।
यही सिविल सोसाइटी थी, जिसने करप्शन के खिलाफ अन्ना आंदोलन को खड़ा किया था। उस आंदोलन से आम आदमी पार्टी निकली और केजरीवाल निकले और दिल्ली में सरकार बना ली। उसके बाद उन्होंने पंजाब में सरकार बनाई। कई राज्यों में वो बड़ी महत्वाकांक्षा के साथ आगे बढ़ रही है। आम आदमी पार्टी जिस मकसद के लिए बनी थी, अन्ना का आंदोलन जिस मकसद के लिए शुरू हुआ था, वो सारे जुमले अब हवा हवाई हो गए।
सिविल सोसाइटी ने अब बीजेपी के हिन्दुत्व के एजेंडे के विरोध में कांग्रेस के साथ चलने का फैसला किया है। सिविल सोसाइटी के एजेंडे पर बीजेपी-आरएसएस के सिद्धांतों का विरोध हमेशा रहा है। उसके ज्यादातर सदस्य शहीदे आजम भगत सिंह के सिद्धांतों को मानते हैं। कांग्रेस को भी इससे परहेज नहीं है। कांग्रेस के पास खुद का बड़ा संगठन है और नफरत के खिलाफ भारत जोड़ो यात्रा का बड़ा आयोजन उसके बूते की बात है।
सिविल सोसाइटी नफरत के खिलाफ हर जगह अपने आंदोलन को नहीं ले जा सकती। इसलिए उसने बहुत रणनीतिक तरीके से कांग्रेस के साथ चलने का फैसला किया। सिविल सोसाइटी के लोगों का मानना है कि कांग्रेस की राजनीति अपनी जगह है, लेकिन इस समय देश में नफरत का जो माहौल बीजेपी-आरएसएस ने बना दिया है, उसे चुनौती देने की जरूरत है। सिविल सोसाइटी इस यात्रा अपने इसी मंसूबे को पूरा करेगी।
बहरहाल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को दिल्ली में कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में सिविल सोसाइटी के सदस्यों के साथ बैठक की। ऐसी यह दूसरी बैठक थी। बैठक का एजेंडा 'भारत जोड़ो यात्रा' था।
बैठक में प्रमुख नेता और नागरिक समाज के सदस्य मौजूद थे। इनमें योगेंद्र यादव के साथ कांग्रेस नेता जयराम रमेश और दिग्विजय सिंह भी शामिल थे।
इससे पहले दिग्विजय सिंह ने नागरिक समाज के प्रतिनिधियों को यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया था और लोगों के मुद्दों पर बोलने वालों को इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। राहुल गांधी ने दोपहर में नागरिक समाज के सदस्यों से मुलाकात की।
यह पदयात्रा 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करेगी। यात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर तक जाएगी जो लगभग 3,500 किमी लंबी होगी और लगभग 150 दिनों में पूरी होगी। कई पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के 'पदयात्रा' में भाग लेने की उम्मीद है।
भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत श्रीपेरंबदूर से होगी। जहां 1991 में राहुल के पिता राजीव गांधी की हत्या की गई थी। राहुल श्रीपेरंबदूर स्मारक पर 7 सितंबर को श्रद्धांजलि अर्पित करने और ध्यान लगाने के बाद कन्याकुमारी में 'भारत जोड़ो यात्रा' की शुरुआत करेंगे।
राहुल गांधी का श्रीपेरुंबुदूर स्मारक का यह पहला दौरा होगा। गांधी परिवार के इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के रूप में कांग्रेस ही नहीं देश के लिए शहादतें दी हैं। इसलिए इसका राहुल गांधी के लिए खास महत्व है। भारत को जोड़ने का प्रतीक यह जगह बनेगी। दक्षिण भारत का महत्व कांग्रेस जानती है। दक्षिण भारत में बीजेपी अभी तक पैर नहीं जमा सकी है, जबकि कांग्रेस वहां ठीकठाक ढंग से मौजूद है।
कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने संकेत दिया कि यह तय करने के लिए काम किया जा रहा है कि श्रीपेरुम्बदूर में उचित व्यवस्था की जाए और पार्टी की राष्ट्रव्यापी यात्रा के उद्देश्य को ध्यान में रखा जाए।
यात्रा तमिलनाडु में 7 से 10 सितंबर तक चार दिनों तक चलेगी। अगले दिन से यह यात्रा पड़ोसी राज्य केरल में शुरू हो जाएगी।