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नॉन-बायोलॉजिकल वाले पीएम मोदी के बयान क्या भागवत के निशाने पर?

नॉन-बायोलॉजिकल वाले पीएम मोदी के बयान क्या भागवत के निशाने पर?

क्या मोहन भागवत के निशाने पर पीएम मोदी हैं? क्या उन्होंने पीएम मोदी के नॉन बायोलॉजिकल वाले बयान का फैक्ट चेक कर दिया है? जानिए, चुनाव बाद भागवत के बयान को पीएम मोदी पर कटाक्ष के रूप में क्यों देखा जा रहा है।

नॉन-बायोलॉजिकल वाले पीएम मोदी के बयान पर फिर से हंगामा मचा है। इस बार मोहन भागवत के बयान से ही। भागवत ने कहा है कि "मानव होने के बाद कुछ लोग सुपरमैन बनना चाहते हैं, फिर वे ‘देवता’ और फिर ‘भगवान’ और फिर ‘विश्वरूप’ बनना चाहते हैं...।" हालाँकि, इस बयान के साथ उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन विपक्षी नेता से लेकर सोशल मीडिया यूज़रों ने पीएम मोदी के नॉन बायोलॉजिकल वाले बयान से जोड़ दिया।

सोशल मीडिया पर संकेतों में कहा जा रहा है कि क्या मोहन भागवत ने पीएम मोदी की ट्रोलिंग की है? कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तो सीधे-सीधे आरोप लगाया कि मोहन भागवत ने पीएम मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'मुझे यक़ीन है कि स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री को इस ताज़ा अग्नि मिसाइल की ख़बर मिल गई होगी, जिसे नागपुर ने झारखंड से लोक कल्याण मार्ग को निशाना बनाकर दागा है।'

 - Satya Hindi

जयराम रमेश की यह टिप्पणी मोहन भागवत के उस बयान पर आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि मनुष्य आजकल अलौकिक बनना चाहता है, लेकिन वहाँ भी रुकता नहीं है। कांग्रेस नेता ने भागवत के वीडियो बयान को रिपोस्ट करते हुए यह प्रतिक्रिया दी है। उस वीडियो बयान को पीटीआई ने जारी किया है।

मोहन भागवत ने उस वीडियो में कहा, 'कुछ लोग मनुष्य से अति मानव, जिसे सुपरमैन कहा जाता है, बनना चाहते हैं। जिनके पास अलौकिक शक्तियाँ होती हैं। तो फिर मनुष्य अलौकिक बनना चाहता है। सुपरमैन बनना चाहता है। अति मानव बनना चाहता है। लेकिन वहाँ रुकता नहीं। उसको लगता है कि देव बनना चाहिए। वह देवता बनना चाहता है। लेकिन देवता कहते हैं कि हमसे तो भगवान बड़ा है। तो भगवान बनना चाहता है। और भगवान कहता है कि मैं तो विश्वरूप हूँ। ...बिना आकार का रूप है। वह असीम है। वहाँ भी रुकने की जगह है क्या, कि वहाँ से भी आगे कुछ है, ये कोई जानता नहीं।'

इस बयान पर शांतनु नाम के यूज़र ने लिखा है, "क्या आरएसएस के मोहन भागवत ने खुद को नॉन-बायोलॉजिकल कहने वाले व्यक्ति को ट्रोल किया? उन्होंने कहा कि मानव के बाद कुछ लोग सुपरमैन बनना चाहते हैं, फिर वे ‘देवता’ और फिर ‘भगवान’ और फिर ‘विश्वरूप’ बनना चाहते हैं...।"

वरिष्ठ पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने भी पूछा है, 'क्या आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत मोदी के नॉन-बायोलॉजिकल श्रेष्ठ होने के दावे का ज़िक्र कर मजाक उड़ा रहे हैं?'

'सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता'

वैसे, मोहन भागवत ने पिछले महीने ही एक और तीखी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि एक सच्चा 'सेवक' विनम्र होता है और लोगों की 'गरिमा' के साथ सेवा करता है। भागवत ने कहा था कि एक सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता और वह दूसरों को कोई नुकसान पहुंचाए बिना काम करता है।

चुनाव अभियान को लेकर भागवत ने कहा था कि चुनाव के दौरान मर्यादा नहीं रखी गई। भागवत ने कहा था, 'चुनाव लोकतंत्र की एक आवश्यक प्रक्रिया है। इसमें दो पक्ष होने के कारण प्रतिस्पर्धा होती है। चूंकि यह प्रतिस्पर्धा है, इसलिए खुद को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। ...झूठ का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। संसद में जाने और देश चलाने के लिए लोगों को चुना जा रहा है। वे सहमति बनाकर ऐसा करेंगे, यह प्रतिस्पर्धा कोई युद्ध नहीं है।' भागवत ने यह भी कहा था,

एक-दूसरे की जिस तरह की आलोचना की गई, जिस तरह से अभियान चलाने से समाज में मतभेद पैदा होगा और विभाजन होगा - इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। आरएसएस जैसे संगठनों को भी इसमें बेवजह घसीटा गया। तकनीक की मदद से झूठ को पेश किया गया।


मोहन भागवत, आरएसएस प्रमुख

भागवत ने यह भी कहा था, 'झूठ को प्रचारित करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। ऐसा देश कैसे चलेगा? इसे विपक्ष कहते हैं। इसे विरोधी नहीं माना जाना चाहिए। वे विपक्ष हैं, एक पक्ष को उजागर कर रहे हैं। उनकी राय भी सामने आनी चाहिए। चुनाव लड़ने की एक गरिमा होती है। उस गरिमा को बनाए नहीं रखा गया।'

इसी बीच संघ से जुड़ी एक पत्रिका ऑर्गनाइजर ने एक लेख छापा था जिसमें कहा गया कि भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने लोकसभा चुनाव में मदद के लिए आरएसएस से संपर्क नहीं किया और इस वजह से पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।

ऑर्गनाइजर पत्रिका में छपे लेख में संपर्क नहीं करने की जो बात कही गई है उसकी पुष्टि एक इंटरव्यू में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी लोकसभा चुनाव के दौरान ही की थी।

बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय और मौजूदा समय में काफी कुछ बदल चुका है। उन्‍होंने इंडियन एक्सप्रेस से इंटरव्यू में कहा था कि 'पहले हम इतनी बड़ी पार्टी नहीं थे और अक्षम थे, हमें आरएसएस की जरूरत पड़ती थी, लेकिन आज हम काफी आगे बढ़ चुके हैं और अकेले दम पर आगे बढ़ने में सक्षम हैं।'

'राम की भक्ति करने वाले अहंकारी हो गए'

इनके बाद आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने हाल के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के लिए अहंकार को जिम्मेदार ठहराया।

जयपुर के पास कनोता में एक कार्यक्रम में इंद्रेश कुमार ने कहा था, 'जो लोग भगवान राम की भक्ति करते थे, वे धीरे-धीरे अहंकारी हो गए। उस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी घोषित किया गया था, लेकिन अहंकार के कारण भगवान राम ने उन्हें 241 पर रोक दिया।'

उन्होंने कहा कि जिस पार्टी ने भगवान राम की भक्ति की, लेकिन अहंकारी हो गई, उसे 241 पर रोक दिया गया, लेकिन उसे सबसे बड़ी पार्टी बना दिया गया। उनका इशारा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की ओर था। बीजेपी को लोकसभा में 240 सीटें मिली हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से इंडिया ब्लॉक का हवाला देते हुए कहा कि जिन लोगों को राम में कोई आस्था नहीं थी, उन्हें एक साथ 234 पर रोक दिया गया।'

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