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नेहरू स्मारक का नाम बदलने पर देश की तीखी प्रतिक्रिया- 'ओछापन और चिढ़'

नेहरू स्मारक का नाम बदलने पर देश की तीखी प्रतिक्रिया- 'ओछापन और चिढ़'

दिल्ली में राष्ट्रीय धरोहर नेहरू मेमोरियल का नाम बुधवार 16 अगस्त से मोदी सरकार ने बदल दिया। देश में इसकी तीखी आलोचना हो रही है। कांग्रेस समेत तमाम विरोधी दलों और आम लोगों ने केंद्र की मोदी सरकार की इसके लिए आलोचना की है। वैसे भाजपा शासित राज्यों में नाम बदलने की परंपरा जारी है। जिस भी स्मारक या जगह का नाम कांग्रेस या ऐतिहासिक विरासत से जुड़ा है, उसको भाजपा सरकारों ने बदल दिया है। लेकिन पुराने नाम लोगों की जुबान पर आज भी हैं।  

नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय का आधिकारिक तौर पर नाम बदलकर बुधवार 16 अगस्त से प्रधान मंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय सोसायटी कर दिया गया। यह जानकारी पीटीआई ने दी। इस पर कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक सूत्रीय एजेंडा नेहरूवादी विरासत से  'इनकार करना', 'विकृत करना', 'बदनाम करना' और 'नष्ट करना' है। 

देश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने जोर देकर कहा कि "लगातार हमले" के बावजूद, जवाहरलाल नेहरू की विरासत दुनिया के सामने जीवित रहेगी और वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।

कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने बुधवार को एक ट्वीट में कहा- आज से एक प्रतिष्ठित संस्थान को नया नाम मिल गया है। विश्व प्रसिद्ध नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) अब प्रधान मंत्री मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (PMML) बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी भय, हीन भावना और असुरक्षा से भरे नज़र आते हैं, विशेष रूप से तब, जब बात हमारे पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्री की आती है। 

जयराम रमेश ने कहा- भाजपा का एकमात्र एजेंडा नेहरू और नेहरूवादी विरासत को ग़लत ठहराना, बदनाम करना, तोड़ मरोड़कर पेश करना और नष्ट करना है। उन्होंने N को मिटाकर उसकी जगह P लगा दिया है। यह P वास्तव में (Pettiness) ओछापन और (Peeve) चिढ़ को दर्शाता है। लेकिन वह स्वतंत्रता आंदोलन में नेहरू के व्यापक योगदान और भारतीय राष्ट्र-राज्य की लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, वैज्ञानिक और उदार नींव डालने में उनकी महान उपलब्धियों को कभी भी कम नहीं कर सकते। चाहे इन उपलब्धियों पर PM मोदी और उनके लिए ढोल पीटने वाले जितना हमला करते रहें। लगातार हो रहे हमलों के बावजूद, जवाहरलाल नेहरू की विरासत दुनिया के सामने जीवित रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा था कि 14 अगस्त से नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय का आधिकारिक तौर पर नाम बदलकर प्रधान मंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय सोसायटी कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय की कार्यकारी परिषद के उपाध्यक्ष ने ट्विटर पर कहा- “नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) अब 14 अगस्त, 2023 से प्रधान मंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (पीएमएमएल) सोसायटी है, जो समाज के लोकतंत्रीकरण और विविधीकरण के अनुरूप है। स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं! ट्वीट के साथ तीन मूर्ति हाउस की तस्वीर भी थी। ट्वीट को पीएम मोदी, राजनाथ सिंह आदि को टैग किया गया था।

जून के मध्य में एनएमएमएल सोसायटी की एक विशेष बैठक में इसका नाम बदलकर पीएमएमएल सोसायटी करने का फैसला लिया गया था।

नाम बदलने की कांग्रेस ने तीखी आलोचना की थी। तीन मूर्ति भवन में भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू का आधिकारिक निवास था।

कई राजनीतिक दलों ने नेहरू स्मारक का नाम बदलने की आलोचना की है। आरजेडी प्रवक्ता मनोज कुमार झा ने कहा- ''वे (केंद्र) जवाहरलाल नेहरू को नहीं मिटा सकते क्योंकि वह देश की मिट्टी में हैं।''

शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने कहा- "वे महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की तरह इतिहास नहीं बना सकते, इसलिए वे नाम बदल रहे हैं।"

दिल्ली सरकार के मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा- "किसी की मृत्यु के बाद उसका अपमान करना हमारी संस्कृति में नहीं है। जवाहरलाल नेहरू ने महान योगदान दिया था। यह छोटी राजनीति को दर्शाता है।"

तमाम राजनीतिक दलों के अलावा सोशल मीडिया पर आम लोगों, बुद्धिजीवियों और लेखकों आदि ने भी नेहरू स्मारक का नाम बदलने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कई लेखकों ने नेहरू से जुड़ी तस्वीरों और भाषणों को सोशल मीडिया पर शेयर किया है। कुछ लोगों ने लिखा है कि जिनका आजादी के संघर्ष में कोई योगदान नहीं होता है, वो सिर्फ नाम बदलते हैं। कुछ लोगों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का वीडियो साझा किया है। जिसमें राहुल कहते नजर आ रहे हैं कि नेहरू को किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। 

बता दें कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से भाजपा की केंद्र और राज्य की सरकारें ऐतिहासिक विरासतों, संस्थाओं और शहरों का नाम लगातार बदल रही हैं। इसमें यूपी की योगी सरकार सबसे आगे है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर दिया लेकिन लोगों की जुबान से इलाहाबाद उतर नहीं रहा है। इसी तरह फैजाबाद में अयोध्या उपनगर अलग से होने के बावजूद फैजाबाद का नाम अयोध्या कर दिया गया। लेकिन फैजाबाद के लोगों को कोई कन्फ्यूजन नहीं है, वो आज भी फैजाबाद बोल रहे हैं। इसी तरह हरियाणा में गुड़गांव का नाम गुरुग्राम कर दिया गया लेकिन बहुराष्ट्रीय कंपनियां और आम लोग आज भी गुड़गांव बोल रहे हैं।

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