सेबी चेयरपर्सन माधबी बुच ने दो जगह से सैलरी क्यों ली: कांग्रेस

09:58 pm Sep 02, 2024 | सत्य ब्यूरो

जिन सेबी प्रमुख माधबी बुच को लेकर हाल ही में हिंडनबर्ग रिसर्च ने रिपोर्ट जारी की थी उन पर कांग्रेस ने अब बड़ा आरोप लगाया है। इसने कहा है कि माधबी बुच दो जगह से सैलरी ले रही थीं। कांग्रेस ने सोमवार को उनपर आईसीआईसीआई बैंक में लाभ का पद संभालने और बैंक तथा उसकी सहायक कंपनियों से 16.8 करोड़ रुपये का भारी लाभ प्राप्त करने का आरोप लगाया।

इसको लेकर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने आरोप लगाया कि 2017 से 2024 के बीच बुच को आईसीआईसीआई बैंक से 12.63 करोड़ रुपये, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल से 22.41 लाख रुपये, कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजनाओं से 2.84 करोड़ रुपये और आईसीआईसीआई से टीडीएस भुगतान के रूप में 1.10 करोड़ मिले। इसके अलावा उन्हें सेबी से 3.3 करोड़ का वेतन भी मिला।

पवन खेड़ा ने कहा, 'देश में शतरंज का खेल चल रहा है। आज हम उसी शतरंज के खेल के एक मोहरे के बारे में आपको बताएंगे और वो नाम है: माधबी पुरी बुच। माधबी पुरी बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक सेबी में पूर्णकालिक सदस्य थीं। फिर 2 मार्च, 2022 को माधबी पुरी बुच सेबी की चेयरपर्सन बनीं। सेबी की चेयरपर्सन को नियुक्त करने वाली कैबिनेट में पीएम मोदी और अमित शाह शामिल हैं।'

कांग्रेस नेता ने कहा, 'माधबी पुरी बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए रेगुलर इनकम आईसीआईसीआई बैंक से ले रही थीं, जो कि 16.80 करोड़ रुपए था। वे आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, ईसॉप और इसका टीडीएस भी आईसीआईसीआई बैंक से ले रही थीं। इसलिए हम जानना चाहते हैं कि आप सेबी की पूर्णकालिक सदस्य होने के बाद भी अपना वेतन आईसीआईसीआई से क्यों ले रही थीं?'

पवन खेड़ा ने कहा, 'यह सीधे-सीधे सेबी के सेक्शन-54 का उल्लंघन है। इसलिए अगर माधबी पुरी बुच में थोड़ी भी शर्म होगी तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।' खेड़ा ने सवाल उठाया कि एक नियामक संस्था का शीर्ष अधिकारी नैतिक रूप से उस इकाई से आय कैसे ले सकता है जिसे वह नियंत्रित करता है।

क्या आईसीआईसीआई ने किसी भी जगह सेबी के मेंबर को वेतन देने की बात सार्वजनिक की? आईसीआईसीआई सेबी की चेयपर्सन को सैलरी देने की आड़ में वह क्या सुविधा ले रहे थे? आखिर आईसीआईसीआई बैंक ने सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी क्यों नहीं दी?


पवन खेड़ा, कांग्रेस

पवन खेड़ा के अनुसार, वर्ष 2021-2022 से वर्तमान सेबी अध्यक्ष को आईसीआईसीआई बैंक से कोई वेतन नहीं मिला, बल्कि इसके बजाय उन्हें ईएसओपी मिलना शुरू हो गया, जिसमें ईएसओपी में 2.66 करोड़ रुपये और आईसीआईसीआई से टीडीएस में 1.03 करोड़ रुपये थे। इसके अलावा उस वर्ष सेबी से 35.85 लाख रुपये मिले।

कांग्रेस नेता के आरोप बुच से आगे बढ़कर सेबी अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठाने तक चले गए। उन्होंने कहा, 'सवाल केवल सेबी, अध्यक्ष या आईसीआईसीआई से नहीं पूछे जाने चाहिए, प्रधानमंत्री के खिलाफ सवाल उठाए जाने चाहिए।' उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, दोनों कैबिनेट की नियुक्ति समिति के सदस्यों से पूछा कि क्या प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली एसीसी को इन वित्तीय संबंधों के बारे में पता था।

उन्होंने प्रधानमंत्री के खिलाफ कई सवाल उठाए, 'नियामक निकायों के प्रमुखों की नियुक्ति के लिए उपयुक्त और उचित मानदंड क्या हैं? क्या प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली एसीसी ने सेबी सीपी के बारे में इन चौंकाने वाले तथ्यों की जांच की है, या एसीसी पूरी तरह से पीएमओ को आउटसोर्स है?' उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री को पता था कि बुच आईसीआईसीआई से आय प्राप्त करते हुए लाभ के पद पर थीं, एक ऐसी कंपनी जिसके मामलों पर सेबी फ़ैसला कर रही थी।

सेवानिवृत्ति के बाद सेबी प्रमुख को वेतन नहीं दिया गया: ICICI

आईसीआईसीआई बैंक ने सोमवार को कांग्रेस के 'लाभ के पद' के दावों को खारिज कर दिया। इसने कहा कि सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद से कोई वेतन नहीं दिया गया है। कांग्रेस ने आज पहले आरोप लगाया था कि बुच ने आईसीआईसीआई बैंक से वेतन और अन्य मुआवजे के रूप में 16.8 करोड़ प्राप्त किए थे। बैंक ने एक बयान में कहा, 'आईसीआईसीआई बैंक या इसकी समूह कंपनियों ने माधबी पुरी बुच को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद उनके सेवानिवृत्ति लाभों के अलावा कोई वेतन नहीं दिया है या कोई ईएसओपी नहीं दिया है। यह ध्यान देने योग्य है कि उन्होंने 31 अक्टूबर, 2013 से सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना था।'

बता दें कि 10 अगस्त को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें दावा किया गया कि सेबी प्रमुख और उनके पति ने स्टॉक मूल्य हेरफेर और वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप झेल रही अडानी समूह द्वारा संचालित ऑफशोर फर्मों में निवेश किए थे। हालांकि, बुच और उनके पति ने इन आरोपों से इनकार किया। उन्होंने बयान में कहा, 'हमारा जीवन और वित्त एक खुली किताब है। आवश्यक सभी खुलासे पहले ही सेबी को दिए जा चुके हैं। हमें किसी भी और सभी वित्तीय दस्तावेजों का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है। इसमें वे भी दस्तावेज शामिल हैं जो उस अवधि से संबंधित हैं जब हम पूरी तरह से निजी नागरिक थे...।'