कांग्रेस में नया अध्यक्ष को चुनने को लेकर ज़बरदस्त असमंजस है। शनिवार को दिन भर और देर रात तक दो चरणों में चली कार्यसमिति की बैठक के बाद भी नए अध्यक्ष के नाम पर सहमति नहीं बनी। पार्टी के अधिकतर नेता बार-बार राहुल को ही अध्यक्ष बनाने की बात करते रहे। बताया जाता है कि कई नेताओं ने तो यहाँ तक कह दिया कि उनको राहुल के अलावा दूसरे नेता के नेतृत्व स्वीकार नहीं है। हालाँकि राहुल अपने फ़ैसले पर अड़े रहे। आख़िरकार देर रात को यूपीए चेयरपर्सन और लगातार 19 साल तक कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं सोनिया गाँधी को ही फ़िलहाल कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बनाने के फ़ैसले का एलान किया गया।
गौरतलब है कि 'सत्य हिंदी' ने शनिवार सुबह को ही इस आशय की जानकारी अपने पाठकों को दी थी कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष पर फ़ैसला कुछ दिनों के लिए टाला जा सकता है। राहुल गाँधी ने अध्यक्ष चुनने की व्यवस्था बनाने की बात कही थी ठीक वैसा हुआ भी।
दुविधा में कांग्रेस
सूत्रों के मुताबिक़, नए अध्यक्ष को लेकर पार्टी बहुत बड़ी दुविधा में फँस गई है। नए अध्यक्ष का चुनाव करने देश भर से आए पार्टी नेताओं ने एक सुर में राहुल गाँधी से ही अध्यक्ष पर पर बन रहने की माँग की। वहीं राहुल गाँधी किसी भी सूरत में इस पद पर लौटने को तैयार नहीं थे। इस वजह से नए अध्यक्ष पर फ़ैसला नहीं हो पाया और कार्यसमिति ने आम राय से सोनिया गाँधी को ही अंतरिम अध्यक्ष बनाने का फ़ैसला किया।कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड पर देर रात तक चली कार्यसमिति की बैठक के बाद सभी नेता बग़ैर किसी फ़ैसले की जानकारी दिए ही चल गए। इस बैठक के बाद पार्टी को नए अध्यक्ष का एलान करना था।
पाँच अलग-अलग ज़ोन की बैठकों में कांग्रेस के तमाम प्रदेश अध्यक्षों और विधायक दल के नेताओं समेत सभी नेताओं ने एक सुर में राहुल गाँधी को ही राज़ी करके अध्यक्ष पद पर वापिस लाने की बात कही थी।
'राहुल नहीं तो कोई नहीं'
सूत्रों के मुताबिक़, ज़्यादातर नेताओं ने कहा कि अगर राहुल अध्यक्ष नहीं तो फिर कोई नहीं। कुछ नेताओं ने तो राहुल के अलावा किसी और के अधीन काम करने से साफ़ इनकार कर दिया। वहीं राहुल ने शनिवार को हुई पहली बैठक में ही अध्यक्ष पद पर लौटने की कार्यसमिति की माँग ठुकरा दी थी। उनके दो टूक मना करने के बाद ही कार्यसमिति ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया। नए अध्यक्ष के चयन के लिए 5 ज़ोन बना कर अलग-अलग प्रदेशों के नेताओं से सलाह मशविरे की क़वायद दिन भर चली।यह व्यवस्था ख़ुद राहुल गाँधी ने ही बनाई थी। अलग-अलग समूहों में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी के नाम भी थे। लेकिन ये दोनों ही चयन प्रक्रिया से खुद को अलग करके चले गए थे। बता दें कि राहुल पहले ही कह चुके थे कि वह नया अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होंगे। उनकी दूसर शर्त थी कि नए अध्यक्ष के लिए सोनिया और प्रियंका गाँधी के नाम पर भी चर्चा नहीं होनी चाहिए।
पार्टी बिखरने का डर
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस मुख्यालय में अलग-अलग कमेटियों में नए अध्यक्ष के लिए विचार-विमर्श के दौरान पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ और पंजाब के गुरदासपुर से पूर्व सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने राज्य के अन्य नेताओं के साथ ज़ोर देकर कहा कि राहुल गाँधी को इस्तीफ़ा वापस लेने के लिए मनाना चाहिए।
कुछ नेताओं का कहना था कि अगर राहुल ने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का अपना फ़ैसला वापस नहीं लिया तो पार्टी पूरी तरह बिखर जाएगी। कई बड़े नेता पार्टी छोड़ सकते हैं। कई बड़े नेता पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं।
'दूसरे के अधीन काम नहीं करेंगे'
सूत्रों के मुताबिक़, पंजाब के नेताओं ने राहुल के हक़ में कहा कि 'यह राहुल की ग़लती नहीं है कि वह एक ऐसे परिवार में पैदा हुए हैं, जिसने इतना बलिदान दिया है।' उन्होंने आगे कहा कि पार्टी को राहुल ही एकजुट रख सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक़, जाखड़ और बाजवा ने साफ कह दिया कि वो राहुल को छोड़कर किसी के अधीन काम नहीं करेंगे। बैठक में मौजूद दो कांग्रेस नेताओं ने दावा किया है कि पंजाब के नेताओं ने यह चेतावनी पार्टी महासचिव प्रियंका गाँधी की मौजूदगी में दी। उन्होंने प्रियंका से राहुल को पार्टी अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए मनाने की अपील भी की।
“
आप लोग यह मत सोचिए कि मैं अध्यक्ष नहीं रहूँगा तो पार्टी में सक्रिय नहीं रहूँगा। आप लोग ग़लत समझ रहे हैं। मैं पहले से कई गुना ज्यादा सक्रिय रहूँगा। जनता के बीच पहले से ज्यादा रहूँगा, क्योंकि मेरे पास वक़्त भी पहले से ज़्यादा रहेगा। इसलिए आप लोग नया अध्यक्ष चुन लीजिए।
राहुल गाँधी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष
राहुल के इस दो टूक फ़ैसले के बाद कार्यसमिति के पास उनका इस्तीफ़ा स्वीकार करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक ज़ोन की अलग-अलग हुई बैठकों में तीसरे विकल्प के तौर पर ज़्यादातर नेताओं ने पार्टी के नए अध्यक्ष के लिए मुकुल वासनिक का ही नाम सुझाया। उनके अलावा जहाँ वरिष्ठ नेताओं में मलिकार्जुन खड़गे, सुशील कुमार शिंदे, और कुमारी शैलजा का नाम सामने आया, वही युवा नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट के नाम भी लिए गए। लेकिन इनकी तादाद बहुत कम थी। हर ज़ोन में इक्का-दुक्का लोगों ने ही राहुल और प्रियंका के अलावा किसी और नेता का नाम लिया।
बता दें, कि हर ज़ोन के इंचार्ज ने सभी नेताओं के नाम के सामने उनके सुझाए गए नामों की फ़ेहरिस्त तैयार की गई। बाद में इसी फ़ेहरिस्त के आधार पर नए अध्यक्ष का नाम तय करने के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक दोबारा हुई। कई घंटे चली इस बैठक में किसी भी नाम पर सहमति नहीं बनी।