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वन नेशन वन इलेक्शन पर बनी समिति ने अब आम जनता से मांगे सुझाव

वन नेशन वन इलेक्शन पर बनी समिति ने अब आम जनता से मांगे सुझाव

वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के नेतृत्व में बनी समिति ने 'एक देश, एक चुनाव' पर आम लोगों से राय मांगी है। 

वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के नेतृत्व में बनी समिति ने 'एक देश, एक चुनाव' पर आम लोगों से राय मांगी है। 

इस समिति ने एक नोटिस जारी कर 15 जनवरी तक आम लोगों से वन नेशन वन इलेक्शन मामले पर सुझाव मांगे हैं। समिति ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए मौजूदा ढांचे में उचित बदलाव करने के लिए आम जनता से लिखित रूप में सुझाव आमंत्रित किए जाते हैं।  

इसमें कहा गया है कि आम लोगों से 15 जनवरी तक मिले सुझाव 'को विचार के लिए समिति के सामने रखा जाएगा। 

इस समिति ने सुझाव देने के लिए इससे संबंधित वेबसाइट और ईमेल एड्रेस जारी किया है। समिति ने अपने नोटिस में कहा है कि आम लोग अपनी राय समिति की वेबसाइट onoe.gov.in पर पोस्ट कर सकते हैं। इसमें कहा गया है कि sc-hic@gov.in पर ईमेल भेज कर भी सुझाव दे सकते हैं। या फिर डाक के जरिए भी अपने सुझाव भेज सकते हैं। 

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली वन नेशन वन इलेक्शन समिति ने इससे पहले देश के राजनैतिक दलों से पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने को लेकर सुझाव मांगे थे। समिति ने छह राष्ट्रीय दलों, 22 क्षेत्रीय दलों और सात पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों को पत्र लिख कर एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर उनके विचार मांगे थे। 

समिति का गठन पिछले साल सितंबर में किया गया था और तब से इसकी दो बैठकें आयोजित हो चुकी हैं। समिति एक साथ चुनाव कराने पर विधि आयोग के विचारों को भी सुन चुकी है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस मुद्दे पर चर्चा के लिए विधि आयोग को दोबारा बुलाया जा सकता है। 

एक साथ सभी चुनाव कराना है मकसद

वन नेशन वन इलेक्शन यह एक देश एक चुनाव पर बनी इस समिति को बनाने का मकसद देश में एक साथ लोकसभा चुनाव और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव को कराना है। 

समिति भारत के संविधान और अन्य कानूनी प्रावधानों के तहत मौजूदा ढांचे को ध्यान में रख लोकसभा, राज्य की विधानसभाओं, पंचायती राज्य संस्थाओं और नगर निकायों में एक साथ चुनाव कराना कितना संभव है इस पर विचार कर रही है। 

इस मकसद के लिए संविधान, जन प्रतिनिधित्व कानून 1950, जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 समेत अन्य कानूनों में विशेष संशोधनों की भी सलाह दे सकती है। 

इस समिति में देश के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, गृहमंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा महासचिव रह चुके सुभाष सी कश्यप और पूर्व चीफ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोठारी शामिल हैं। 

वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बनी इस समिति में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य हैं जबकि कानून सचिव नितिन चंद्रा इसके सचिव हैं। 

वन नेशन वन इलेक्शन समिति को बना कर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने यह संदेश दिया है कि वह जल्द से जल्द एक साथ सभी चुनाव को कराना चाहती है। इसके पीछे सरकार का तर्क है कि अलग-अलग समय पर विभिन्न चुनाव होने के कारण आम लोगों को परेशानी होती है। साथ ही बार-बार चुनाव होने के कारण देश के संसाधनों को नुकसान पहुंचता है। 

इस समिति को लेकर राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर एक साथ पूरे देश में चुनाव कराने की सिफारिश यह समिति देती है और सरकार इसे लागू करती है तब भी इसके लिए 2029 तक इंतजार करना पड़ सकता है। इसके पीछे राजनैतिक विश्लेषक तर्क देते हैं कि 2024 में लोकसभा चुनाव हैं और अगले वर्ष देश के सभी राज्यों में एक साथ विधानसभा चुनाव भी करा लेना संभव नहीं है। इसलिए समिति की न सिर्फ सिफारिशें आने में अभी काफी समय लगेगा बल्कि उन सिफारिशों को लागू करने में भी कई वर्ष लग सकते हैं। 

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