हिमाचल प्रदेश में विधानसभा के मुख्य द्वार पर खालिस्तानी झंडे लगाए जाने का मामला सामने आया है। इस घटना को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।
जयराम ठाकुर ने झंडे मिलने के तुरंत बाद ट्वीट किया, 'धर्मशाला विधानसभा परिसर के गेट पर खालिस्तान के झंडे लगाने की कायराना हरकत की निंदा करता हूँ।" उन्होंने आगे कहा कि इस विधानसभा में केवल शीतकालीन सत्र होने और इसी वजह से कम सुरक्षा व्यवस्था होने का फायदा उठाकर कायराना हरकत की गई है। मुख्यमंत्री ने चेताया है कि यदि ऐसी हरकत करने वालों की हिम्मत है तो रात के अंधेरे में नहीं, दिन के उजाले में सामने आएँ।
रिपोर्ट के अनुसार रविवार तड़के कांगड़ा पुलिस को द्वार पर खालिस्तान के झंडे लगे होने की सूचना मिली। धर्मशाला के बाहरी इलाक़े में स्थित विधानसभा परिसर की दीवारों पर खालिस्तान समर्थक नारे भी लिखे थे।
एसडीएम धर्मशाला शिल्पी बेकता ने एएनआई से कहा कि हिमाचल प्रदेश ओपन प्लेसेस (प्रिवेंशन ऑफ़ डिसफिगरमेंट) अधिनियम, 1985 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि यह हमारे लिए और अधिक सतर्कता के साथ काम करने के लिए एक चेतावनी है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, झंडों को या तो देर रात या सुबह-सुबह लगाया गया। दिखते ही उसे हटा दिया गया है। कांगड़ा के एसपी खुशाल शर्मा ने एएनआई से कहा, 'यह पंजाब के कुछ पर्यटकों की हरकत हो सकती है। हम एक मामला दर्ज करने जा रहे हैं।'
उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल ने घटना की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि पुलिस अपराधियों को पकड़ने के लिए आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है। इंडिया टुडे से उन्होंने कहा, 'कुछ बदमाशों ने तपिवन में राज्य विधानसभा के बाहरी गेट पर पांच से छह खालिस्तानी झंडे लगाए थे और दीवार पर खालिस्तान... के नारे लिखे थे। झंडे हटा दिए गए हैं और नारे को भी हटा दिया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज किया है और जांच जारी है।'
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 26 अप्रैल को जारी एक खुफिया अलर्ट ने ऐसी घटना की चेतावनी दी थी। अलर्ट में दावा किया गया है कि सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरुपतवंत सिंह पन्नू ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र जारी कर कहा था कि शिमला में भिंडरावाले और खालिस्तान का झंडा फहराया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश ने भिंडरावाले और खालसीतानी झंडे ले जाने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे एसएफजे आंदोलन कर रहा था। संगठन ने घोषणा की थी कि वह 29 मार्च को खालिस्तानी झंडा फहराएगा लेकिन भारी सुरक्षा के कारण वह ऐसा नहीं कर सका था।