रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग का मसला भारत में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। इस मामले में सुनवाई के दौरान गुरुवार को सीजेआई एनवी रमना ने एक दिलचस्प टिप्पणी की। रमना ने कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो देखे, जिनमें यह कहा गया है कि सीजेआई क्या कर रहे हैं।
रमना ने कहा कि क्या वे रूस के राष्ट्रपति को युद्ध रोकने का निर्देश दे सकते हैं। सीजेआई ने यह टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की।
इस याचिका में यूक्रेन के बॉर्डर पर फंसे 200 भारतीय छात्रों को वहां से निकालने की मांग की गई थी।
याचिका दायर करने वाले वकील ने जस्टिस रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच को बताया कि भारत सरकार की फ्लाइट पोलैंड और हंगरी से संचालित की जा रही हैं और रोमानिया से नहीं। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में भारतीय छात्र जिनमें लड़कियां भी शामिल हैं वहां पर फंसे हुए हैं और उन्हें किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिल रही है।
इस पर बेंच ने कहा कि उन्हें वहां फंसे भारतीयों से पूरी सहानुभूति है लेकिन अदालत इसमें क्या कर सकती है।
अदालत ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि वह रोमानिया बॉर्डर के नजदीक फंसे भारतीय छात्रों को निकालने में मदद करें।
बता दें कि रूसी सैनिकों द्वारा हमले तेज किए जाने के बाद बड़ी संख्या में भारतीय छात्र और अन्य नागरिक यूक्रेन में फंस गए हैं।हालांकि बीते कुछ दिनों में बड़ी संख्या में छात्रों को विमानों के जरिए यूक्रेन से लगने वाले देशों के बॉर्डर से वापस सुरक्षित भारत लाया गया है लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे छात्र भी हैं जो युद्ध के चलते नजदीकी देशों के बॉर्डर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
ऐसे लोगों को लेकर भारत में उनके परिजनों की चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं क्योंकि उनके पास खाने-पीने का सामान लगातार कम होता जा रहा है। कई छात्रों के साथ मारपीट की भी घटनाएं हुई हैं और कई छात्रों को भारत सरकार द्वारा तय की गई जगह पर पहुंचने के लिए कई किलोमीटर पैदल भी चलना पड़ा है।
उधर, गुरुवार सुबह भारत सरकार ने उन खबरों को खारिज किया जिनमें यह कहा गया था कि भारतीय छात्रों को यूक्रेन में बंधक बना लिया गया है।