‘शिकारा’ पर विवाद क्यों, तथ्यों के साथ की गई है छेड़छाड़?

12:25 pm Feb 09, 2020 | दीपाली श्रीवास्तव - सत्य हिन्दी

फ़िल्म ‘शिकारा’ 7 फ़रवरी को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है, लेकिन इस पर एक के बाद एक नये विवाद खड़े होते जा रहे हैं। रिलीज से पहले जहाँ इस फ़िल्म पर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट तक विवाद पहुँच गया था वहीं अब रिलीज के बाद कश्मीरी पंडित ही इस फ़िल्म से नाराज़ हैं। उनका कहना है कि तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है। 

फ़िल्म ‘शिकारा’ का निर्देशन डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा ने किया है और इसकी कहानी लेखक व पत्रकार राहुल पंडिता व स्क्रिप्ट लेखक अभिजात जोशी ने लिखी है। कहा जा रहा है कि कश्मीरी पंडितों के साथ जो 30 साल पहले हुआ उसे सही तरीक़े से नहीं दिखाया गया है। बल्कि फ़िल्म को एक पॉलिटिकल नज़रिये से देखते हुए और डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा ने फ़िल्म को कॉमर्शलाइज्ड कर दिया है।

7 फ़रवरी को दिल्ली के पीवीआर प्लाजा में फ़िल्म ‘शिकारा’ की स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई थी और इस दौरान बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी भी वहाँ पहुँचे थे। फ़िल्म देखते हुए उनकी आँखे नम हो गई थीं। लेकिन इसी शो के दौरान कश्मीरी पंडित कम्युनिटी की एक महिला ने फ़िल्म में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “विधु ने कश्मीर के पूरे मामले को कॉमर्शलाइज्ड कर दिया है और मास रेप-मर्डर व कश्मीरियों के साथ हुई ज़्यादती को सही तरीक़े से नहीं दिखाया है। बल्कि डायरेक्टर ने राजनीति की है और मैं एक कश्मीरी पंडित के तौर पर इस फ़िल्म को अस्वीकार करती हूँ।” इस पर डायरेक्टर चोपड़ा ने फ़िल्म का सीक्वल बनाने की बात कही।

रिलीज़ से पहले भी हुआ था विवाद

फ़िल्म ‘शिकारा’ रिलीज से पहले भी विवादों में घिर गई थी और मामला अदालत तक पहुँच गया था। कश्मीर के एक्टिविस्टों में शामिल माजिद हैदरी, इफ्तिखार मिसगर और हाफिज लोन ने फ़िल्म को लेकर जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट में याचिका दायर की और ‘शिकारा’ को बैन करने की बात कही थी। इस याचिका में कहा गया था कि 1990 में हथियारों से लैस कुछ बागियों ने भारत सरकार के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद की थी, जिसके कारण बहुत कुछ ऐसा हुआ जो नहीं होना चाहिए था।

याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि फ़िल्म में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ हुई है, साथ ही इससे आम कश्मीरियों की बर्बर तसवीर दुनिया के सामने पेश की जा रही है, जो घाटी वासियों के लिए सही नहीं होगी इसलिए फ़िल्म की रिलीज पर रोक लगाने की माँग की गई है।

‘शिकारा’ में क्या दिखाया गया है?

डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा ने फ़िल्म ‘शिकारा’ में कश्मीरियों के पलायन और उनपर हुए अत्याचारों को केंद्रित किया है। साथ ही फ़िल्म में एक लव स्टोरी भी दिखाई गई है। डायरेक्टर दावा करते रहे हैं कि कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार और एक प्रेम कहानी को बैलेंस करते हुए दिखाया गया है। 

बार-बार यह भी आपत्ति की जा रही है कि कश्मीर से पलायन के दौरान कई कश्मीरी पंडित मारे गये थे और कई महिलाओं के साथ बलात्कार भी किया गया था, जो कि फ़िल्म में कहीं नहीं दिखाया गया

यह दावा किया जा रहा है कि फ़िल्म में अगजनी, पलायन और कैंप में रहने के दौरान कश्मीरियों के साथ हुई दुर्दशा को दिखाया गया है। इसके साथ ही एक प्रेम कहानी भी दिखाई गई है जो अंत तक चलती रहती है। 30 साल पहले हुए खौफनाक मंजर को बेहद ही कम दिखाया गया है और फ़िल्म में प्रेम कहानी पर ज़्यादा फ़ोकस किया गया है। इसी बात को लेकर एक्टिविस्ट दिव्या राजदान ने कहा, “हमें लगा था कि लोगों को कश्मीरी पंडितों का दर्द पता चल सकेगा। विधु विनोद चोपड़ा अगर ये कह देते कि यह एक लव स्टोरी है तो कोई गुरेज नहीं होता।”

क्या हुआ था कश्मीर घाटी में?

घाटी में 14 सितंबर, 1989 को बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष टिक्कू लाल टपलू की हत्या से शुरू हुआ आतंक का दौर समय के साथ और बढ़ता चला गया। टिक्कू की हत्या के महीने भर बाद ही जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ़) के नेता मकबूल बट को मौत की सज़ा सुनाने वाले सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश नीलकंठ गंजू की हत्या कर दी गई। इसके बाद 19 जनवरी, 1990 के दिन से क्रूरता का एक अलग मंजर शुरू हुआ और कट्टरपंथियों ने कश्मीरी पंडितों को काफिर घोषित कर दिया और इस घोषणा के बाद कट्टरपंथी कश्मीरी हिंदुओं को इसलाम कबूल करने या कश्मीर छोड़ने के लिए मजबूर करने लगे। इस दौरान लाखों कश्मीरी पंडितों को अपना घर छोड़ना पड़ा और 3 लाख से ज़्यादा लोग मारे गये थे। साथ ही कई महिलाओं के साथ बलात्कार भी किया गया। कश्मीरी पंडितों को रिफ्यूजी कैंप में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा।