'बच्चों पर कोरोना बेअसर' के दावे ग़लत? इंडोनेशिया में सैकड़ों बच्चे मरे
कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने की जो आशंका जताई जा रही थी अब उसके साफ़ संकेत मिलने लगे हैं। इंडोनेशिया में कोरोना संक्रमण के कारण सैकड़ों बच्चों की मौत हो गई है। इस महीने हर हफ़्ते 100 से ज़्यादा बच्चों की मौतें हुई हैं। इंडोनेशिया में जो मामले आ रहे हैं उसके 12.5 फ़ीसदी बच्चे हैं। और यह सब तब हो रहा है जब देश में डेल्टा वैरिएंट काफ़ी तेज़ी से फैला है।
इंडोनेशिया में डेल्टा वैरिएंट के फैलने के बीच ही हर रोज़ वहाँ संक्रमण से मौत के मामले 1200 से ज़्यादा आ रहे हैं। रविवार को ही वहाँ क़रीब 40 हज़ार पॉजिटिव केस आए और 1200 लोगों की मौत हुई। शुक्रवार को तो 50 हज़ार मामले आए थे और 1500 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी।
इंडोनेशिया में अब तक 31 लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और 83 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों में 18 साल से कम उम्र के क़रीब 800 बच्चे शामिल हैं। हाल में जो बच्चों की मौतें हुई हैं उसमें से आधे तो 5 साल से कम उम्र के हैं।
कोरोना से बच्चों के संक्रमित होने और मौत के ये आँकड़े उस तर्क को खारिज करते हैं जिसमें कुछ वैज्ञानिक तर्क देते आ रहे थे कि कोरोना से बच्चों को ख़तरा नहीं होगा क्योंकि उनकी इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता कोरोना संक्रमण से अच्छे ढंग से लड़ती है। कुछ ऐसा ही तर्क रखने वालों में दिल्ली एम्स के प्रमुख डॉ. रणदीप गुलेरिया भी थे। उन्होंने पिछले महीने ही कहा था कि ऐसा कोई आँकड़ा नहीं है कि बच्चे अगले किसी लहर में गंभीर रूप से प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि यह ग़लत सूचना है कि कोरोना महामारी की आने वाली लहरें बच्चों में गंभीर बीमारी का कारण बनने वाली हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि ऐसा आँकड़ा न तो भारत में है और न ही दुनिया में और कहीं।
कोरोना के हालात पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस को संबोधित करते हुए डॉ. गुलेरिया ने कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जो बच्चे कोरोना संक्रमित हुए और जिन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा उनमें से 60-70 फ़ीसदी बच्चे कोमोर्बिडीटिज या कमजोर इम्युनिटी वाले थे। उन्होंने कहा कि स्वस्थ बच्चे हल्की बीमारी के बाद ठीक हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ा।
डॉ. गुलेरिया का यह आकलन दूसरे कई विशेषज्ञों की राय के विपरीत थी। उनके इस तर्क से काफ़ी पहले ही कार्डियक सर्जन और नारायण हेल्थ के अध्यक्ष और संस्थापक देवी शेट्टी ने तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने के प्रति चेताया था।
उन्होंने हाल ही में 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' में एक लेख में लिखा था कि कोरोना वायरस ख़ुद को म्यूटेट या नये रूप में परिवर्तित कर रहा है जिससे कि वह नये लोगों को संक्रमित करे। उन्होंने कहा था कि पहली लहर के दौरान वायरस ने मुख्य तौर पर बुजुर्गों और दूसरी लहर में युवाओं पर हमला किया। फिर उन्होंने कहा कि तीसरी लहर में बच्चों पर हमले की आशंका है क्योंकि अधिकतर युवा या तो पहले ही संक्रमित हो चुके होंगे या फिर उनमें एंडी बॉडी बन चुकी होगी। बता दें कि भारत में 16.5 करोड़ बच्चे 12 साल से कम उम्र के हैं।
हालाँकि भारत में अभी तीसरी लहर नहीं आई है और इंडोनेशिया में तो मौजूदा लहर ही बड़े पैमाने पर बच्चों को संक्रमित कर रही है।
इंडोनेशिया में बच्चों की मौत की संख्या में उछाल डेल्टा वैरिएंट के मामलों में वृद्धि के साथ मेल खाती है। इस डेल्टा वैरिएंट को अब तक सबसे ज़्यादा फैलने वाला और ज़्यादा ख़तरनाक भी माना जा रहा है। फ़ोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन के वुहान में सबसे पहले मिले कोरोना संक्रमण से 50 फ़ीसदी ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला अल्फा वैरिएंट था। यह वैरिएंट सबसे पहले इंग्लैंड में पाया गया था। इस अल्फा से भी 40-60 फ़ीसदी ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला डेल्टा वैरिएंट है। यह सबसे पहले भारत में मिला।
यह डेल्टा वैरिएंट वही है जिसे भारत में कोरोना की दूसरी लहर में तबाही लाने के लिए ज़िम्मेदार माना गया। भारत में जब दूसरी लहर अपने शिखर पर थी तो हर रोज़ 4 लाख से भी ज़्यादा संक्रमण के मामले रिकॉर्ड किए जा रहे थे। देश में 6 मई को सबसे ज़्यादा 4 लाख 14 हज़ार केस आए थे। यह वह समय था जब देश में अस्तपाल बेड, दवाइयाँ और ऑक्सीजन जैसी सुविधाएँ भी कम पड़ गई थीं। ऑक्सीजन समय पर नहीं मिलने से बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुईं। अस्पतालों में तो लाइनें लगी ही थीं, श्मशानों में भी ऐसे ही हालात थे। इस बीच गंगा नदी में तैरते सैकड़ों शव मिलने की ख़बरें आईं और रेत में दफनाए गए शवों की तसवीरें भी आईं।
अब जब भारत में भी तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है तो बच्चों के संक्रमित होने की आशंका है। भले ही पहले इसको खारिज किया गया हो, लेकिन इंडोनेशिया के आँकड़े चीख-चीख कर कह रहे हैं कि बच्चे भी कोरोना से सुरक्षित नहीं हैं।