चिदंबरम बोले- कांग्रेस संगठन की ज़मीन पर मौजूदगी नहीं
तारिक़ अनवर, कपिल सिब्बल के बाद एक और वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कांग्रेस के ख़राब प्रदर्शन पर निराशा जाहिर की है। केंद्र में वित्त मंत्री जैसे अहम ओहदे को संभाल चुके चिदंबरम ने कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव और कई राज्यों के उपचुनाव के नतीजे बताते हैं कि कांग्रेस की ज़मीन पर कोई सांगठनिक मौजूदगी नहीं है या ये बेहद कमजोर हो चुकी है।
सिब्बल के कांग्रेस के प्रभावी विकल्प न होने के बयान से घायल होने के बाद संभलने की कोशिश कर रही कांग्रेस को चिदंबरम के बयान के बाद पार्टी में जारी घमासान के बढ़ने का अंदेशा है।
सियासत में कई दशक का अनुभव रखने वाले चिदंबरम ने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘मैं गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक उपचुनाव के परिणाम से चिंतित हूं।’
उन्होंने कहा, ‘बिहार में आरजेडी-कांग्रेस के पास जीत का मौक़ा था। लेकिन जीत के नजदीक पहुंचने के बाद भी हम क्यों हारे, इसकी समीक्षा करने की ज़रूरत है। याद कीजिए, बहुत ज़्यादा वक़्त नहीं हुआ है जब कांग्रेस ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड में जीत हासिल की थी।’
बता दें कि बिहार में कांग्रेस 70 सीटों पर लड़कर सिर्फ़ 19 सीटें जीती है जबकि उपचुनावों में गुजरात, उत्तर प्रदेश में उसका खाता तक नहीं खुला है। मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में वह सिर्फ़ 9 सीटें जीती है जबकि विधानसभा चुनाव, 2018 में वह इनमें से 27 सीटें जीती थी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार के नतीजों ने इस बात को साबित कर दिया है कि सीपीआई-एमएल, एआईएमआईएम जैसे छोटे दल भी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, बशर्ते उनका सांगठनिक ढांचा ज़मीन पर मजबूत हो। चिदंबरम ने कहा कि हमें कांग्रेस के संगठन को ज़मीन पर मज़बूत करना होगा।
बिहार के नतीजों को लेकर पूर्व वित्त मंत्री ने कहा,, ‘कांग्रेस को 25 ऐसी सीटें दी गईं, जहां बीजेपी और उसके सहयोगी दल पिछले 20 साल से जीत रहे थे। कांग्रेस को इन सीटों पर लड़ने से इनकार कर देना चाहिए था।’ कांग्रेस में अध्यक्ष पद पर चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ सकता है।
सिब्बल के बयान पर घमासान
दूसरी ओर, कपिल सिब्बल के इंटरव्यू के बाद कांग्रेस में शुरू हुआ घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। सिब्बल पार्टी के कई नेताओं के निशाने पर आ गए हैं। चिट्ठी विवाद के दौरान भी सिब्बल को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।इस ताज़ा विवाद में अशोक गहलोत, तारिक़ अनवर, सलमान खुर्शीद के कूदने के बाद एंट्री हुई है कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी की। राज्यसभा सांसद सिब्बल ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए इंटरव्यू में कहा था कि लोग अब कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प के रूप में नहीं देखते और पार्टी नेतृत्व उन मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रहा है, जिनसे पार्टी जूझ रही है। उनके इस बयान पर कांग्रेस के ही सियासी दिग्गज अशोक गहलोत ने उनके ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया था।
कांग्रेस में चल रहे घमासान पर देखिए, वीडियो-
गहलोत ने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए कहा था, ‘कपिल सिब्बल को पार्टी के आंतरिक मामलों पर मीडिया में बात करने की कोई ज़रूरत नहीं थी। इससे देश भर में पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाएं आहत हुई हैं।’
तारिक़ अनवर का मिला साथ
गहलोत को हालिया दिनों में बेहद मुखर रहे पार्टी नेता तारिक़ अनवर का साथ मिला था। अनवर ने कहा था, ‘गहलोत ने जो भी कहा, सच कहा। कपिल सिब्बल को यह समझना चाहिए कि अगर कहीं पर पार्टी ग़लत है और वह कोई सुझाव देना चाहते हैं तो उन्हें पार्टी अध्यक्ष से मिलना चाहिए।’खुर्शीद ने भी की आलोचना
पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी सिब्बल की आलोचना की थी और फ़ेसबुक पोस्ट लिखकर कहा था, ‘आलोचना करने वालों को पहले अपने अंदर की कमियों को देखना चाहिए।’ उन्होंने कहा था, ‘हमें सत्ता में वापस आने के लिए शॉर्टकट संघर्षों को देखने के बजाय लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए।' वरिष्ठ अधिवक्ता खुर्शीद ने आक्रामक अंदाज में कहा था, ‘जिसे काम नहीं आता है वह अपने औजार को ही दोष देता है, यानी नाच न जाने आंगन टेढ़ा।’‘चुनाव में नहीं दिखते सिब्बल’
लेकिन अब अधीर रंजन चौधरी सिब्बल पर नए हमले के साथ सामने आए हैं। एएनआई के मुताबिक़, पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी ने कहा, ‘कपिल सिब्बल कांग्रेस के प्रति काफी चिंतित दिखाई देते हैं और पार्टी को आत्मचिंतन करने की ज़रूरत बताते हैं। लेकिन हमने बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश या गुजरात में कहीं पर भी उनका चेहरा नहीं देखा।’
चौधरी ने पलटवार करते हुए पूछा, ‘क्या कपिल सिब्बल बिहार और मध्य प्रदेश गए। केवल बोलने से कुछ नहीं होगा।’
अधीर ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, ‘अगर कुछ नेता सोचते हैं कि कांग्रेस उनके लिए सही दल नहीं है तो उन्हें नई पार्टी बना लेनी चाहिए या वे कोई दूसरी ऐसी पार्टी में भी शामिल हो सकते हैं, जो उन्हें अपने लिए सही लगती हो।’ वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि लेकिन उन्हें ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे कांग्रेस की विश्वसनीयता को नुक़सान हो सकता है।
बयानबाज़ी से होगा नुक़सान
कांग्रेस में लगता है कि बीजेपी जैसे सख़्त बॉस की ज़रूरत है। बीजेपी में पिछले कुछ सालों में ख़ासकर अमित शाह के अध्यक्ष रहते यह देखा गया है कि किसी भी नेता ने मीडिया में जाकर बयानबाज़ी नहीं की है। पार्टी का सख़्त अनुशासन उन्हें ऐसा करने से रोकता है। लेकिन कांग्रेस में उलटा हाल है। यहां कोई भी बात हो, सारे नेता मीडिया में जाकर बयानबाज़ी करने लगते हैं।
कांग्रेस आलाकमान को समझना होगा कि ये स्थिति ठीक नहीं है क्योंकि चिट्ठी विवाद के दौरान भी ग़ुलाम नबी आज़ाद, कपिल सिब्बल, जितिन प्रसाद सहित वरिष्ठ नेताओं के ख़िलाफ़ पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने मीडिया में बयान दिए थे।
लगातार हार और ख़राब प्रदर्शन से पस्त कांग्रेस में नेताओं के बीच जारी बयानबाज़ी उसकी मुश्किलों में इजाफा करने का ही काम करेगी।