लगातार चुनावी हार का सामना कर रही कांग्रेस के नेता शायद मानने को तैयार नहीं हैं। गिन-चुन कर दो राज्यों में सरकार चला रही कांग्रेस इन राज्यों में भी पार्टी नेताओं के बीच घमासान से जूझ रही है। ताजा मामला छत्तीसगढ़ का है जहां पर कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने हाल ही में अपना एक विभाग छोड़ दिया था। बता दें कि छत्तीसगढ़ में 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी थी तब मुख्यमंत्री पद की दौड़ में टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल ही थे।
पिछले साल छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सियासत में तब भूचाल आया था जब टी एस सिंहदेव कुछ समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली आ गए थे। उसके बाद भूपेश बघेल भी दिल्ली आए थे और उन्होंने हाईकमान के सामने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था।
ढाई साल का फ़ॉर्मूला
सिंहदेव के समर्थकों की ओर से यह तर्क दिया गया था कि 2018 में ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री का फ़ॉर्मूला तय हुआ था जिसमें ढाई साल के लिए सिंहदेव और ढाई साल के लिए बघेल को मुख्यमंत्री बनाया जाना था।
लेकिन बघेल के समर्थकों का कहना था कि ऐसा कोई भी फ़ॉर्मूला तय नहीं हुआ था।
जय-वीरू की जोड़ी
बताना होगा कि 2018 से पहले छत्तीसगढ़ में 15 साल तक बीजेपी ने एकछत्र शासन किया था। 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव कांग्रेस में जय-वीरू की जोड़ी के नाम से जाने जाते थे। दोनों ने मिलकर कांग्रेस को 2018 में बड़ी जीत दिलाई थी और 90 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 71 सीटें जीती थी। लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर दोनों नेता आमने-सामने आ गए।
कांग्रेस की केंद्र और राज्य इकाइयों में घमासान होना कोई नई बात नहीं है। तमाम राज्यों में पार्टी इसी घमासान के कारण चुनाव हार चुकी है और जिन दो राज्यों में बची है वहां भी हालात ठीक नहीं दिखते।
बीजेपी लाई अविश्वास प्रस्ताव
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार गिर जाएगी। शायद बीजेपी को इसकी भनक लग गई है। इसीलिए वह बघेल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई है। अविश्वास प्रस्ताव पर 27 जुलाई को चर्चा होगी। विधानसभा में कांग्रेस के पास 71 विधायक हैं जबकि बीजेपी के पास 14, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के पास तीन और बीएसपी के पास 2 विधायक हैं।
आंकड़ों के लिहाज से कांग्रेस काफी मजबूत दिखाई देती है लेकिन सवाल यह है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अपने नेताओं पर लगाम क्यों नहीं लगा पा रहा है। पंजाब में नवजोत सिद्धू की बयानबाजी के की वजह से पार्टी चुनाव हार गई और बाकी राज्यों में भी उसका प्रदर्शन बेहद खराब रहा।
छत्तीसगढ़ कैबिनेट की हालिया बैठक में टीएस सिंहदेव ने कुछ मामलों को लेकर नाखुशी जाहिर की है।
अगर छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल के बीच घमासान बढ़ता है तो पार्टी के लिए अगले साल विधानसभा चुनाव में वापसी करना मुश्किल हो सकता है। राज्य में अगले साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं।