छत्तीसगढ़: आरक्षण को 76 फीसद करने वाले विधेयक विधानसभा में पास

10:46 am Dec 03, 2022 | सत्य ब्यूरो

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने शुक्रवार को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए आरक्षण से संबंधित दो संशोधन विधेयकों को सर्वसम्मति से पास कर दिया। इन विधेयकों के पास होने के बाद राज्य में कुल आरक्षण बढ़कर 76 फीसद हो गया है। 

इन विधेयकों के मुताबिक, राज्य के आदिवासी समुदाय को 32 फीसद जबकि ओबीसी को 27 फीसद, दलित समुदाय को 13 फीसद और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दाखिले में 4 फीसद आरक्षण मिलेगा। 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में कहा कि वह सभी दलों के विधायकों से अनुरोध करते हैं कि वे विधानसभा स्पीकर के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलें और उनसे इन संशोधन विधेयकों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध करें। 

इससे पहले झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने आरक्षण को बढ़ाकर 77 फीसद कर दिया था। 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला 

याद दिलाना होगा कि पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने 3-2 के फैसले से ईडब्ल्यूएस आरक्षण को वैध ठहराया था। यह साफ है कि सुप्रीम कोर्ट के ईडब्ल्यूएस आरक्षण को लेकर आए फैसले के बाद तमाम राज्य सरकारों ने 50 फ़ीसदी आरक्षण की सीमा रेखा को पार करना शुरू कर दिया है। 

झारखंड की विधानसभा ने जब आरक्षण को बढ़ाकर 77 फीसद किया था तो इसमें अनुसूचित जाति समुदाय को 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों को 28 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी को 15 प्रतिशत, ओबीसी को 12 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस को 10 फ़ीसदी आरक्षण दिया गया था। 

ईडब्ल्यूएस पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या मराठा, जाट, गुर्जर, पाटीदार और कापू आरक्षण की मांग ज़ोर नहीं पकड़ेगी? 

जिस तरह मराठा समुदाय ने आरक्षण के लिए जोरदार आंदोलन किया था, उसी तरह जाट, गुर्जर, पाटीदार और कापू जाति के लोग भी आरक्षण के लिए आंदोलन करते रहे हैं। जाट और पाटीदार आंदोलन में भी बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। कई दूसरे राज्यों में दूसरी जातियां भी आरक्षण मांगती रही हैं।

पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के उस फैसले को रद्द कर दिया था जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के मराठा समुदाय को 12-13 फ़ीसदी आरक्षण देने को हरी झंडी दी थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने 50 फीसद से ज्यादा आरक्षण न होने का तर्क दिया था। लेकिन ईडब्ल्यूएस पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद मराठा समुदाय फिर से आरक्षण की मांग के लिए सड़कों पर उतर सकता है। 

इसी तरह जाट समुदाय अपने लिए ओबीसी का दर्जा और आरक्षण मांग रहा है। कुछ साल पहले हरियाणा में जाट आरक्षण की मांग को लेकर हिंसक आंदोलन हुआ था। गुर्जर समुदाय ख़ुद को ओबीसी से हटाकर अनुसूचित जनजाति के दर्जे की माँग करता रहा है। राजस्थान में 2007 और 2008 में हिंसक गुर्जर आरक्षण आंदोलन में कई लोग मारे गए थे। बीजेपी नेता हार्दिक पटेल के नेतृत्व वाली पाटीदार अनामत आंदोलन समिति अपने समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने और आरक्षण देने की मांग करती रही है।