लॉकडाउन के बीच घर पहुँचने के लिए 12 साल की किशोरी तेलंगाना से 150 किलोमीटर तक पैदल चली। छत्तीसगढ़ के बिजापुर में अपने घर से क़रीब एक घंटे दूर पहुँची ही थी कि उसकी मौत हो गई। वह थक कर चूर हो गई थी। वह डिहाइड्रेट थी यानी उसके शरीर में पानी ख़त्म हो गया था। उसके अंगों ने उसका साथ देना बंद कर दिया था।
जमलो मकदम नाम की वह किशोरी अपने परिवार के लिए कुछ पैसे कमाने के लिए दो महीने पहले तेलंगाना में गई थी। वह वहाँ के एक गाँव में मिर्ची के खेतों में काम करती थी। 21 दिन के पहले वाले लॉकडाउन को तो उसने जैसे-तैसे निकाल लिया, लेकिन जब लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया गया तो वह 15 अप्रैल को 11 अन्य लोगों के साथ घर के लिए निकल गई थी।
हाइवे से दूर जंगलों और पहाड़ों से होते हुए वे सभी तीन दिन तक पैदल चलते रहे। 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को जमलो अपने घर से क़रीब 14 किलोमीटर दूर थी तो उसे पेट में ज़ोर से दर्द उठा और उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों का कहना है कि वह डिहाइड्रेटेड और कुपोषित थी। यानी साफ़-साफ़ कहें तो शरीर में पानी नहीं था और खाना इतना नहीं था कि शरीर उसका साथ दे। सरकार ने उसके परिवार के लिए एक लाख रुपये की सहायता राशि का एलान किया है।
पैदल जा रहे एक व्यक्ति की मौत का ऐसा ही मामला पिछले महीने आया था। दिल्ली से पैदल ही मध्य प्रदेश में अपने घर लौट रहे 38 साल के एक शख्स की मौत हो गई थी। वह दिल्ली में डेलीवरी का काम करता था। लॉकडाउन के बाद घर के लिए निकला यह शख्स 200 किलोमीटर से ज़्यादा चल चुका था और अपने घर से क़रीब 80 किलोमीटर ही दूर था। वह हाईवे से आगरा पहुँचा ही था कि चलते-चलते गिर पड़ा। एक स्थानीय दुकानदार ने उन्हें चाय और बिस्किट खिलाई। लेकिन कुछ देर बाद ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई।
ये उन हज़ारों लोगों में से थे जो शहरों में काम बंद होने के बाद जैसे-तैसे अपने घर पहुँचने की जद्दोजहद में हैं। लॉकडाउन शुरू होने पर तो बड़ी संख्या में लोग पैदल ही अपने-अपने घरों के लिए निकले जा रहे थे, लेकिन अब सख़्ती के बाद ऐसा कम ही मामला सामने आ रहा है। हालाँकि काम बंद होने के कारण ग़रीब मज़दूरों को शहर में रहना ज़्यादा ही मुश्किल हो रहा है। ऐसे लोगों के पास सबसे बड़ा संकट खाने को लेकर है। भूखे रहने की नौबत आने पर कुछ लोग अभी भी हज़ार-हज़ार किलोमीटर तक पैदल चलने के लिए जोखिम उठा रहे हैं। हालाँकि, सरकारों ने अपनी-अपनी तरफ़ से खाने-पीने की व्यवस्था करने के दावे किए हैं और सरकार ने भी राहत पैकेज की घोषणा की है। लेकिन ऐसी लगातार रिपोर्टें आ रही हैं कि ये नाकाफ़ी साबित हो रहे हैं।