छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अहम फ़ैसले में कहा है कि 15 साल से अधिक उम्र की पत्नी के साथ ज़ोर-ज़बरदस्ती से किया गया यौन संबंध वैवाहिक बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है। अदालत ने कहा कि भारतीय क़ानून में वैवाहिक बलात्कार की कोई परिभाषा ही नहीं है।
अदालत ने पत्नी से बलात्कार के आरोप में एक व्यक्ति को इसी आधार पर रिहा कर दिया।
जस्टिस एन. के. चंद्रवर्षी ने कहा कि भारतीय दंड संहिता के अनुसार, धारा 375 के तहत किसी व्यक्ति के द्वारा उसकी पत्नी के साथ किया गया यौन संबंध यदि वह 15 साल से ऊपर की है तो बलात्कार नहीं है।
जज ने कहा कि इस मामले में शिकायतकर्ता अभियुक्त की विवाहिता पत्नी है, उसकी उम्र 15 साल से अधिक है, इसलिए उसकी इच्छा के ख़िलाफ़ और ज़ोर ज़बरदस्ती से किया गया हो तो भी यह बलात्कार नहीं है।
क्या है मामला?
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अप्राकृतिक यौन और क्रूरता के आरोपों को सही पाया, लेकिन बलात्कार के आरोप को यह कह कर खारिज कर दिया कि आरोप लगाने वाली अभियुक्त की पत्नी है, वह 15 साल से अधिक की उम्र की है।
एक महिला ने अपनी पत्नी पर क्रूरता, अप्राकृतिक यौन और बलात्कार का आरोप लगाते हुए मामला दायर किया था। अदालत ने धारा 377 के तहत क्रूरता व अप्राकृतिक यौन की बात मानी, लेकिन बलात्कार के आरोप को खारिज कर दिया।
इसके कुछ दिन पहले ही केरल हाई कोर्ट ने एक फ़ैसले में कहा था कि पत्नी से बलात्कार तलाक़ का आधार बन सकता है। अदालत ने कहा था कि पत्नी से बलात्कार के आधार पर तल़ाक दिया जा सकता है भले ही इस पर सज़ा न होती हो।