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अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ भुजबल- मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र, शिंदे पैनल रद्द हो

अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ भुजबल- मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र, शिंदे पैनल रद्द हो

महाराष्ट्र में मराठा को कुनबी प्रमाणपत्र दिए जाने के अपने ही सरकार के फ़ैसले के ख़िलाफ़ छगन भुजबल ने मोर्चा क्यों खोल दिया? जानिए, उन्होंने सरकार से क्या मांग की है।

खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने अपनी ही सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। उन्होंने मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र दिए जाने का विरोध किया है। इस मामले में अपनी ही सरकार द्वारा गठित न्यायमूर्ति संदीप शिंदे समिति को रद्द करने की मांग की है। उन्होंने कहा है, 'समिति का गठन किया गया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मराठा समुदाय पिछड़ा नहीं है।' उन्होंने यह भी कहा कि हाल के दिनों में मराठों को दिए गए कुनबी जाति प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया जाना चाहिए।  

छगन भुजबल एनसीपी (अजित पवार समूह) से हैं और वह ओबीसी समुदाय से आते हैं। राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल रविवार को हिंगोली में ओबीसी समुदाय के महा एल्गर मेलावा में बोल रहे थे। 

भुजबल ने कहा कि मराठा समुदाय के पिछड़ेपन की जांच के लिए बनाई गई निर्गुडे समिति को तुलनात्मक अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतिम उत्तर जाति जनगणना होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'आखिरकार, समुदाय का पिछड़ापन अन्य समुदायों की तुलना में ही स्थापित किया जा सकता है।' भुजबल ने कहा कि कई नेताओं ने जनगणना की मांग की थी और पूरी स्पष्टता के लिए यही एकमात्र रास्ता है। 

मंत्री ने कहा कि मंडल आयोग के आँकड़ों में ओबीसी 54 प्रतिशत थे, लेकिन जब बिहार में जाति सर्वेक्षण हुआ तो ओबीसी 64 प्रतिशत निकले। उन्होंने कहा कि बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले, एनसीपी नेता शरद पवार, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी सभी जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। भुजबल ने कहा कि एक बार जाति जनगणना करा कर देख लो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उन्होंने पूछा कि जब बिहार जाति सर्वेक्षण कर सकता है, तो महाराष्ट्र क्यों नहीं करा सकता?

मराठा आरक्षण की मांग कर रहे अग्रणी एक्टिविस्ट मनोज जारांगे का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधते हुए भुजबल ने कहा कि वे ही बीड में पत्थर फेंक रहे थे और चीजों को आग लगा रहे थे।

उन्होंने कहा, 'उकसाने के लिए दिमाग़ की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन समझाने के लिए दिमाग़ की ज़रूरत होती है। किसी चीज़ को आग लगाने के लिए दिमाग़ की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन चीज़ों को सुधारने के लिए दिमाग़ की ज़रूरत होती है। चीज़ों को तोड़ने के लिए दिमाग़ की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन समाधान ढूंढने के लिए दिमाग़ की ज़रूरत होती है।' उन्होंने कहा कि उन्हें मंत्री पद का कोई मोह नहीं है क्योंकि ओबीसी की भलाई उनके फोकस में है।'

टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार इसके जवाब में जारांगे ने छत्रपति संभाजीनगर में कहा, 'भुजबल बूढ़े हो गये हैं। क्या वह कानून से ऊपर हैं? अगर हमारे प्रमाणपत्रों पर रोक लगा दी जाती है, तो उनके (ओबीसी) प्रमाणपत्रों पर अपनेआप रोक लगा दी जाएगी।' उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय ने भुजबल का समर्थन किया है, लेकिन वह समुदाय को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। 

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