झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन शुक्रवार को बीजेपी में शामिल हो गए। राज्य में कुछ महीने में ही विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले शुक्रवार को बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ वह रांची में एक समारोह में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए।
सोरेन ने भाजपा में शामिल होने के बाद कहा, 'मैं शर्मिंदा था और इसीलिए मैंने राजनीति से संन्यास लेने का फ़ैसला किया था। हालाँकि, झारखंड के लोगों के प्यार और समर्थन के कारण मैंने राजनीति से संन्यास नहीं लेने का फै़सला किया। मैंने 'झारखंड आंदोलन' के दौरान संघर्ष देखा है।'
पूर्व सीएम ने कहा, 'मैंने सोचा था कि मैं एक नई पार्टी बनाऊंगा या किसी अन्य पार्टी में शामिल हो जाऊंगा, लेकिन मैं उस संगठन में कभी नहीं रहूंगा जहां मुझे शर्मिंदा होना पड़ा। बाद में मैंने झारखंड के लोगों की सेवा जारी रखने के लिए एक पार्टी में शामिल होने का फैसला किया।'
जेएमएम छोड़ने की घोषणा के कुछ दिनों बाद चंपाई सोरेन ने क़रीब हफ़्ते भर पहले कहा था कि उन्होंने राजनीति छोड़ने का विचार त्याग दिया है। वह अब नयी पार्टी बनाने की तैयारी में हैं। उन्होंने पहले कहा था कि वह तीन विकल्पों पर विचार कर रहे हैं- रिटायर होना, नई पार्टी शुरू करना या किसी अन्य पार्टी में शामिल होना। तब उनके बीजेपी में जाने के कयास लगाए जा रहे थे। मीडिया रिपोर्टों में उनके बीजेपी नेताओं से संपर्क में होने की भी ख़बर आई थी।
लेकिन चंपाई सोरेन ने पिछले हफ़्ते बुधवार को पीटीआई से कहा था, 'यह मेरे जीवन का एक नया अध्याय है। मैं राजनीति नहीं छोड़ूंगा क्योंकि मुझे अपने समर्थकों से बहुत प्यार और समर्थन मिला है। अध्याय समाप्त हो गया है, मैं एक नया संगठन बना सकता हूं।'
उनके पार्टी बदलने की अटकलें सबसे पहले 18 अगस्त को तब लगी थीं, जब वे कुछ विधायकों के साथ दिल्ली पहुँचे थे।
उसी दिन बाद में चंपाई सोरेन ने एक बयान जारी कर कहा कि उन्हें अपने ही लोगों द्वारा दुख महसूस हुआ, जब उस बैठक से तीन दिन पहले उनके कार्यक्रम रद्द कर दिए गए, जिसमें उनसे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए कहा गया था।
उन्होंने एक पोस्ट में कहा था, 'मैं अंदर से टूट चुका था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं। दो दिनों तक मैं चुपचाप बैठा रहा और आत्मचिंतन करता रहा, पूरे घटनाक्रम में अपनी गलती तलाशता रहा। मुझे सत्ता का जरा भी लालच नहीं था, लेकिन मैं अपने स्वाभिमान पर हुए इस आघात को किससे दिखा सकता था? मैं अपने ही लोगों द्वारा दिए गए दर्द को कहां व्यक्त कर सकता था?' उन्होंने यह भी कहा था कि पिछले चार दशकों के अपने राजनीतिक सफर में पहली बार वे अंदर से टूटा हुआ महसूस कर रहे हैं।
बता दें कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन के करीबी सहयोगी रहे चंपाई ने इसी बुधवार को जेएमएम को छोड़ दिया था। शिबू सोरेन को लिखे अपने पत्र में 67 वर्षीय नेता ने कहा, 'मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं झामुमो छोड़ दूंगा, एक ऐसी पार्टी जो मेरे लिए एक परिवार की तरह है... अतीत की घटनाओं ने मुझे बहुत दर्द के साथ यह निर्णय लेने के लिए मजबूर किया... मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि पार्टी अपने सिद्धांतों से भटक गई है।'
31 जनवरी को ईडी द्वारा गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया, तो चंपाई सोरेन को सीएम बनाया गया था। हेमंत के जेल में रहने तक वे सीएम रहे। 28 जून को हेमंत सोरेन को जमानत मिलने के बाद चंपाई सोरेन को पद छोड़ना पड़ा।