केंद्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भगोड़े कारोबारी विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी से बैंकों को 18,000 करोड़ रुपये की राशि वापस कर दी गई है। केंद्र ने यह बात तब कही जब सुप्रीम कोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी को दिए गए व्यापक अधिकार के मामले में सुनवाई हो रही थी। ईडी को दी गई अधिक शक्तियों को चुनौती दी गई है और इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएँ दायर की गई हैं। इनमें दलील दी गई है कि इनको अधिक अधिकार देने से इसका दुरुपयोग हो सकता है।
इसी सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी का ज़िक्र किया।
मशहूर शराब कारोबारी माल्या ने भारत में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और कुछ अन्य बैंकों से 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। लेकिन उसे चुकाए बिना वह लंदन चले गये और तब से वहीं पर हैं।
डायमंड कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने भी कथित तौर पर पीएनबी घोटाला किया। 14 हज़ार करोड़ के घोटाले के आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी देश छोड़कर कैरीबियाई देश चले गये थे। बाद में नीरव मोदी लंदन चले गये। इनके प्रत्यर्पन की कोशिशें जारी हैं।
बहरहाल, इसी बीच सरकार ने ईडी को अधिक अधिकार दे दिए जिसके ग़लत इस्तेमाल की आशंका जाहिर की गई।
पिछले कुछ हफ्तों में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और मुकुल रोहतगी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम या पीएमएलए में हालिया संशोधनों के संभावित दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट में दलीलें रखी हैं।
कई मुद्दों पर क़ानून की आलोचना की गई है। ये मुद्दे हैं- सख्त जमानत की शर्तें, गिरफ्तारी का आधार क्या है इसके बारे में जानकारी नहीं देना, एफ़आईआर की तरह की ईसीआईआर दिए बिना ही व्यक्तियों की गिरफ्तारी, मनी लॉन्ड्रिंग की परिभाषा का विस्तार, अपराध की गतिविधियाँ, और जांच के दौरान आरोपी द्वारा दिए गए बयानों को ट्रायल के दौरान साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य बनाना।
केंद्र सरकार ने जस्टिस एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की पीठ को बताया कि विदेशों की स्थिति की तुलना में भारत में पीएमएलए के तहत जाँच के लिए बहुत कम मामले उठाए जा रहे हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने इसके लिए मिसाल दी। केंद्र ने यूके का हवाला दिया, जहां एक साल में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत 7,900 मामले दर्ज किए गए हैं, अमेरिका में 1,532, चीन में 4,691, ऑस्ट्रिया में 1,036, हांगकांग में 1,823, बेल्जियम में 1,862 और रूस में 2,764 हैं।
भारत में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 4,700 पीएमएलए के तहत मामलों की जांच की जा रही है। केंद्र ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में प्रत्येक वर्ष जाँच के लिए उठाए गए मामलों की संख्या 2015-16 में 111 मामलों से लेकर 2020-21 में 981 तक रही है। पिछले पांच वर्षों में ऐसे अपराधों के लिए 33 लाख प्राथमिकी दर्ज की गई हैं लेकिन केवल 2,086 मामलों को जाँच के लिए लिया गया है।