जनता की जेब में पैसे नहीं, जीएसटी पर अतिरिक्त ‘सेस’ लगाएगी मोदी सरकार?
लॉकडाउन की वजह से जब आपकी माली हालत ख़स्ता है, आपकी जेब में पैसे कम है, तब इसके लिए भी तैयार हो जाएँ कि आप पर आर्थिक बोझ बढ़ने जा रहा है। यह अतिरिक्त आर्थिक बोझ जीएसटी पर लगने वाले अधिभार यानी ‘सेस’ के रूप में होगा, जो अंतत: आपको ही चुकाना होगा।
जनता की जेब में पैसे नहीं, सरकार माँगे 'मोर'
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक ख़बर में कहा है कि केंद्र सरकार कोरोना से लड़ने के लिए अतिरिक्त पैसे का जुगाड़ करने के लिए जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) पर अतिरिक्त ‘सेस’ लगाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। जीएसटी कौंसिल की अगली बैठक में यह मुद्दा उठाया जाएगा। समझा जाता है कि 5 प्रतिशत जीएसटी स्लैब में आने वाली चीजों पर यह ‘सेस’ नहीं लगाया जाएगा, बाकी तमाम उत्पादों पर लग जाएगा।इस ‘सेस’ का विरोध केरल भले करे, पर उसने इस तरह का एक ‘सेस’ पहले ही लगा रखा है। केरल सरकार ने 2018 में आई ज़बदरस्त बाढ़ से हुए नुक़सान की भरपाई के लिए पिछले साल एक ‘सेस’ लगाया था।
नियम क्या कहता है
केरल सरकार ने जिस धारा 279 ‘ए’ के सेक्शन 4 ‘एफ़’ के आधार पर यह ‘सेस’ लगाया, उसमें कहा गया है कि प्राकृतिक आपदा या महाविनाश की स्थिति में अतिरिक्त राजस्व की उगाही के लिए निश्चित समय के लिए एक ‘सेस’ लगाया जा सकता है।
दिलचस्प बात यह है कि अतिरिक्त राजस्व उगाही के लिए जिस तर्क का इस्तेमाल सीपीआईम की केरल सरकार ने किया था, उसी का इस्तेमाल उसकी धुर विरोधी बीजेपी की केंद्र सरकार भी करेगी।
जीएसटी (राज्यों की भरपाई अधिनियम, 2017) में कहा गया है कि किसी भी वस्तु पर उसकी कीमत के 15 प्रतिशत तक का अतिरिक्त ‘सेस’ लगाया जा सकता है।
केरल की नज़ीर
केरल ने 1 अगस्त, 2019, से सभी वस्तुओं पर 1 प्रतिशत का ‘सेस’ लगा दिया। यह उन वस्तुओं पर लगाया गया जो 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के स्लैब में आते हैं।अख़बार ने यह भी दावा किया है कि केरल और असम के वित्त मंत्रियों ने इस तरह के किसी भी ‘सेस’ का विरोध करने का फ़ैसला किया है। उन्होंने कहा है कि उद्योग जगत पहले से आर्थिक संकट से गुजर रहा है और ऐसे में यह अतिरिक्त बोझ लगाना अच्छा विचार नहीं है।
असम ने किया विरोध
असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्व सर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि किसी तरह के ‘सेस’ लगाने के लिए अनुकूल परिस्थिति नहीं है। उन्होंने कहा,
“
‘उद्योग इस स्थिति में नहीं है कि वह किसी तरह का ‘सेस’ बर्दाश्त कर सके। लोगों का आत्मविश्वास गिरा हुआ है, पहले ही लोगों के वेतन में कटौती हुई है, छंटनी हुई है। तंबाकू उत्पाद और शराब जैसे सिन प्रोडक्ट्स पर अतिरिक्त सेस लगाया जा सकता है।’
हिमंत बिस्व सर्मा, वित्त मंत्री, असम
समझा जाता है कि अभी अतिरिक्त जीएसटी परिषद की बैठक में देर है। इसकी वजह यह है कि राज्यों ने जीएसटी से अपना हिस्सा माँगा है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानसमंत्री के साथ हुई मुख्यमंत्रियों की बैठक में यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि पंजाब सरकार का जीएसटी में हिस्से का लगभग 4 हज़ार करोड़ रुपये बकाया पड़ा हुआ है, केंद्र सरकार वही रकम दे दे तो बड़ी बात होगी।