अब संसद के विशेष सत्र बुलाने के बाद मोदी सरकार ने 'एक देश एक चुनाव' पर पैनल भी बना दिया है। पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से शुक्रवार को रिपोर्ट दी है कि सरकार ने 'एक देश, एक चुनाव' की संभावना तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। तो क्या विशेष सत्र में 'एक देश एक चुनाव' पर फ़ैसला लिए जाने की पहले जो अटकलें लगाई जा रही थीं, उसकी पक्की तैयारी है?
यह सवाल इसलिए कि सरकार के इस फ़ैसले की ख़बर तब आई है जब एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। हालाँकि इस सत्र के लिए एजेंडा साफ़ नहीं बताया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि इस पर फ़ैसला लिया जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी पिछले कई वर्षों से 'एक देश एक चुनाव' पर जोर देते रहे हैं और इसकी ज़रूरत बताते रहे हैं।
'एक देश, एक चुनाव' का विचार पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने के लिए है। नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके बाद अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनाव होंगे। लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों के कई बड़े नेता सँभावना जता चुके हैं कि मोदी सरकार दिसंबर महीने में ही लोकसभा के चुनाव कर सकती है। ऐसी संभावना जताने वालों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी शामिल हैं।
इसी तरह की आशंका विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के दूसरे नेताओं ने भी जताई है। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने मुंबई बैठक में कहा है कि अब विपक्ष को प्रयास तेज करने की ज़रूरत है। सूत्रों के अनुसार उद्धव ने कहा है कि मोदी सरकार कुछ करने की योजना बना रही है। नीतीश कुमार ने भी कहा कि विपक्षी दलों को अपने प्रयास तेज करने चाहिए। अरविंद केजरीवाल ने भी कहा कि विपक्षी दलों को सीट बंटवारे पर बातचीत तेज करनी चाहिए और 30 सितंबर तक संयुक्त उम्मीदवार व्यवस्था की घोषणा करने का प्रयास करना चाहिए।
समझा जाता है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेताओं से कहा है कि ब्लॉक को 2 अक्टूबर तक अपना घोषणापत्र जारी करना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार गुरुवार की बैठक में कई नेताओं ने जल्द चुनाव को लेकर आशंका व्यक्त की।
इसी बीच संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की घोषणा ने कई अटकलों को जन्म दिया है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार इस विशेष सत्र में 'एक देश एक चुनाव' सहित कई विधेयकों को पास करवाना चाहती है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार संसद के विशेष सत्र में सरकार 'एक देश, एक चुनाव' के अलावा समान नागरिक संहिता और महिला आरक्षण पर बिल पेश कर सकता है। कहा जा रहा है कि इसी के साथ नये संसद भवन का उद्घाटन सत्र आयोजित किए जाने की योजना भी है। इस विशेष सत्र को बुलाने को लेकर विपक्ष ने सरकार की आलोचना की है। विपक्ष का कहना है कि बिना विपक्ष को विश्वास में लिए या विपक्ष के साथ बैठक किए हुए संसद का विशेष सत्र सरकार ने बुलाया है।
इधर, विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' की मुंबई में बैठक चल रही है। शुक्रवार को होने वाली बैठक में 28 विपक्षी दलों के लगभग 63 प्रतिनिधि अहम निर्णय लेंगे। इसके एजेंडे में एक समन्वय समिति का गठन और समूह की संरचना को मज़बूत करना है।
समूह के लिए संयोजक नियुक्त करने का मुद्दा एक विवादास्पद मामला होगा। ऐसा इसलिए कि जिसमें कई नेता इस पद के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। कुछ रिपोर्टों के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नेताओं से अपनी पार्टी से एक-एक नाम देने को कहा है। कहा जा रहा है कि अभियान और रैलियों की योजना बनाने, सोशल मीडिया को संभालने और डेटा का प्रबंधन करने के लिए चार उप-समूह बनाने की भी घोषणा की जा सकती है।