कश्मीर बैठक में मोदी ने कहा, राज्य का दर्जा बहाल करने पर प्रतिबद्ध, पहले परिसीमन
जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ लगभग साढ़े तीन घंटे की बैठक के बाद यह साफ हो गया कि केंद्र सरकार सुलह सफाई के रास्ते पर है और वह राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहती है। 'एनडीटीवी' के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक में कहा कि जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने पर केंद्र प्रतिबद्ध है। लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इसके पहले परिसीमन का काम हो जाना चाहिए।
बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए पीपल्स कॉन्फ्रेंस के मुजफ़्फर बेग़ ने भी लगभग यही बात कही।
बेग़ ने कहा कि 'परिसीमन आयोग बन चुका है, यह काम कर रहा है, इस काम के लिए समय सीमा तय नहीं की जा सकती है, लिहाज़ा यह नहीं कहा जा सकता है कि कब परिसीमन का काम पूरा होगा और कब राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।'
मुजफ़्फर बेग़ ने कहा कि बातचीत बेहद सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में हुई, प्रधानमंत्री ने सबकी बातें ग़ौर से सुनीं और अपनी बातें गंभीरता से कहीं।
अल्ताफ़ बुखारी ने कहा कि बातचीत अच्छी रही और कई बार कई लोग भावुक हो गए।
क्या कहा आज़ाद ने?
कांग्रेस के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि बैठक में जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने राज्य में 2019 में जो कुछ हुआ, उस पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की। इन नेताओं ने कहा कि किसी जन प्रतिनिधि को विश्वास में लिए बग़ैर ही इतना बड़ा फ़ैसला ले लिया गया, जो ग़लत था।
आज़ाद ने कहा कि कश्मीरी पंडितों की वापसी का मुद्दा भी उठा और इस दिशा में काम करने को कहा गया, जिस पर केंद्र सरकार ने रज़ामंदी जताई और कहा कि इस दिशा में जो कुछ ज़रूरी होगा, किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर के इस पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि परिसीमन का मुद्दा उठा, प्रधानमंत्री ने यह कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने पर उनकी सरकार प्रतिबद्ध तो है, लेकिन पहले परिसीमन का काम होना चाहिए।
आज़ाद के मुताबिक़, कांग्रेस ने बैठक में माँग की कि सरकार को उन सभी सामाजिक और राजनीतिक बंदियों को रिहा करना चाहिए, जिन्हें 5 अगस्त, 2019 या उसके आसपास गिरफ्तार किया गया था।
कांग्रेस ने सरकार से जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव कराने की माँग भी की।
कांग्रेस ने सरकार से जम्मू-कश्मीर में भूमि अधिकारों और नौकरियों में गारंटी सुरक्षा प्रदान करने की भी माँग की।
क्या कहा अब्दुल्ला ने?
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उन्होंने परिसीमन के मुद्दे पर असहमति जताई। उन्होंने कहा कि परिसीमन की फिलहाल कोई ज़रूरत नहीं है, इस मामले में देश के शेष राज्य से जम्मू-कश्मीर को अलग-थलग कर दिया गया है।
लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी परिसीमन में सहयोग करने को तैयार है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि एक बैठक से ही तमाम समस्याओं का समाधान नहीं निकल सकता। उमर ने कहा कि 'दिल्ली और दिल की दूरी' कम करने के लिए केंद्र सरकार को अभी बहुत कुछ करना बाकी है, सिर्फ कहने या एक बैठक से ही यह नहीं हो जाएगा।
अनुच्छेद 370 पर अड़ी पीडीपी
पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर उनकी पार्टी किसी कीमत पर समझौता नहीं करेगी, केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में इसे ग़ैरक़ानूनी तरीके से इसे हटाया और उसके पहले किसी से कोई सहमति नहीं ली। यह कश्मीरियों की पहचान का मामला है, इसकी बहाली के लिए संवैधानिक तरीके से पीडीपी संघर्ष करती रहेगी।
महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि उन्होंने बैठक में यह साफ कहा कि यदि इस अनुच्छेद पर कोई फ़ैसला लेना ही था तो इसके लिए राज्य विधानसभा में प्रस्ताव रखा जा सकता था, पर ऐसा नहीं कर केंद्र सरकार ने एकतरफा फ़ैसला ले लिया जो, जो असंवैधानिक था। लेकिन इसकी बहाली के लिए पीडीपी संवैधानिक तरीका ही अपनाएगी।
महबूबा मुफ़्ती ने बताया कि उन्होंने बैठक में कहा कि यदि पाकिस्तान से बातचीत से अमन चैन कायम होता है और राज्य में खुशहाली लौटती है तो ऐसा किया जाना चाहिए।
'पाकिस्तान से व्यापारिक रिश्ते बहाल हों'
जम्मू-कश्मीर की इस पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगस्त 2019 के बाद से अब तक राज्य को उद्योग-व्यापार में बहुत नुक़सान हुआ है और आर्थिक स्थिति चौपट हो गई है। इसके लिए केंद्र सरकार को एक पैकेज का एलान करना चाहिए और राज्य के व्यापारियों व उद्योगपतियों की मदद करनी चाहिए।
महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि पाकिस्तान से व्यापारिक रिश्ते चालू होने चाहिए ताकि कश्मीर से आयात-निर्यात चालू हों, राज्य को फ़ायदा हो और उसकी आर्थिक स्थिति सुधरे।
'दर्द कम होगा'
पीपल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्ज़ाद लोन ने 'एनडीटीवी' से कहा कि प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक के बाद वे काफी सकारात्मक महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैठक में उन्होंने सरकार से बताया कि बीते डेढ़ साल में उनके व दूसरे लोगों के साथ क्या हुआ। उन्होंने कहा कि बैठक में दिल की बातें हुईं।
उन्होंने कहा कि यह बैठक शुरुआत है और लंबे समय में कश्मीरियों का दर्द कम होगा।
यह महत्वपूर्ण इसलिए है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि 'दिल्ली और दिल की दूरी कम होनी चाहिए।'
बता दें कि गुरुवार को प्रधानमंत्री आवास पर हुई बैठक में नेशनल कॉन्फ्रेंस के फ़ारूक अब्दुल्ला व उमर अब्दुल्ला, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, कांग्रेस के ग़ुलाम नबी आज़ाद, बीजेपी के रवीन्द्र रैना, कवींद्र गुप्ता, निर्मल सिंह, जम्मू-कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन, पैंथर्स पार्टी के भीम सिंह, मुजफ़्फ़र बेग समेत अन्य कई नेता शामिल हुए।
इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अलावा केंद्र के अन्य कई अफ़सर भी मौजूद थे।
मोदी का ट्वीट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक के बाद ट्वीट कर कहा कि हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबी यह है कि हम बैठ कर आपस में बात कर सकते हैं। उन्होंने एक दूसरे ट्वीट में कहा, 'हमारी प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है। परिसीमन जल्द होना चाहिए ताकि उसके बाद चुनाव कराए जा सकें।'
Our democracy’s biggest strength is the ability to sit across a table and exchange views. I told the leaders of J&K that it is the people, specially the youth who have to provide political leadership to J&K, and ensure their aspirations are duly fulfilled. pic.twitter.com/t743b0Su4L
— Narendra Modi (@narendramodi) June 24, 2021
'एनडीटीवी' के अनुसार, प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि जम्मू-कश्मीर में एक मौत भी दर्दनाक है और युवा पीढ़ी की रक्षा करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि 'हमें जम्मू-कश्मीर के अपने युवाओं को अवसर देने की ज़रूरत है और वे हमारे देश को बहुत कुछ देंगे।'
मोदी ने जम्मू-कश्मीर में विकास की गति पर संतोष जताते हुए कहा कि यह लोगों में नई आशा और आकांक्षाएं पैदा कर रहा है, जब लोग भ्रष्टाचार मुक्त शासन का अनुभव करते हैं, तो यह लोगों में विश्वास जगाता है और लोग प्रशासन को अपना सहयोग भी देते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक मतभेद होंगे, लेकिन सभी को राष्ट्रहित में काम करना चाहिए ताकि जम्मू-कश्मीर के लोगों को फ़ायदा हो।