केंद्रीय सचिवालय के सैकड़ों कर्मचारियों ने पदोन्नति में देरी पर प्रदर्शन किया
केंद्रीय सचिवालय सेवा यानी सीएसएस के सैकड़ों कर्मचारी नॉर्थ ब्लॉक में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के कार्यायल के बाहर इकट्ठे हुए। ये कर्मचारी लंबे समय से पदोन्नति की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में पिछले छह साल से पदोन्नति नहीं दिए जाने के कारण मध्य और वरिष्ठ प्रबंधन रैंक में क़रीब 30 फ़ीसदी पद खाली हैं।
बेरोज़गारी और भर्तियों का मुद्दा जोर-शोर से उठाने वाले 'युवा हल्ला बोल' के अध्यक्ष अनुपम ने इस मामले को लेकर ट्विटर पर एक वीडियो साझा किया है जिसमें बड़ी संख्या में कर्मचारी कार्यालय में खड़े देखे जा सकते हैं। उन्होंने ट्वीट में कहा है कि लंबे समय से कोरे आश्वसन के बाद इनके सब्र का बांध टूट गया।
और अब केंद्रीय अधिकारियों का हल्ला बोल!
— Anupam | अनुपम (@AnupamConnects) February 25, 2022
लंबे समय से कोरे आश्वासन के बाद आज इनके सब्र का बांध टूट गया और इक्कट्ठे होकर नॉर्थ ब्लॉक में मंत्री जितेंद्र सिंह से मिलने पहुँच गए।
6 साल से प्रोमोशन न देने के कारण केंद्रीय सचिवालय सेवा के 30% से ज्यादा पद खाली पड़े हैं।@CSSforum_ pic.twitter.com/70cX7LJNc8
दरअसल, केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में मध्य से वरिष्ठ प्रबंधन रैंक में लगभग 30% पद खाली हैं क्योंकि केंद्र सरकार ने पिछले छह वर्षों में केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारियों को पदोन्नत नहीं किया है।
कर्मचारियों ने पदोन्नति आदेश जारी करने के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग यानी डीओपीटी में याचिका दायर की। इन वर्षों में कई अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए हैं और पदोन्नति के बिना बढ़े हुए वेतन और पेंशन लाभों से वंचित हो गए हैं।
सरकारी अधिकारियों के संघ सीएसएस फोरम ने ट्विटर के माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षित करने की भी कोशिश की है।
सीएसएस फोरम के अनुसार, अनुभाग अधिकारी, अवर सचिव, उप सचिव, निदेशक और संयुक्त सचिव रैंक के 6,210 अधिकारी हैं, जिनमें से 1,839 पद खाली हैं। सीएसएस अधिकारी कार्यालयों की रीढ़ हैं क्योंकि फाइलें, दस्तावेज और आदेश उनके द्वारा निपटाए जाते हैं।
एक रिपोर्ट में सीएसएस के अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि लंबित अदालती मामलों के बहाने पदोन्नति अटकी हुई है। अक्टूबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण देने पर अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था।
'द हिंदू' की एक रिपोर्ट के अनुसार, डीओपीटी द्वारा जारी पदोन्नति के ख़िलाफ़ एक अवमानना याचिका दायर की गई थी और उस मामले को एससी/एसटी को पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित मामले से जोड़ा गया था। द इंडियन एक्सप्रेस ने डीओपीटी के सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि मंत्री इस मामले से अवगत हैं और पिछले कुछ समय से इसे सुलझाने के लिए काम कर रहे हैं। मंत्री के क़रीबी सूत्र के अनुसार, 'हाल ही में मंत्री ने 4,000 पदोन्नति के आदेश जारी किए, जो अदालत की मंजूरी के अधीन है। लेकिन फिर कुछ लोग इसके खिलाफ कोर्ट गए और स्टे ले लिया। जब सरकार ने कोर्ट से स्टे हटावा लिया तो कुछ याचिकाकर्ताओं को अवमानना नोटिस जारी किया गया। इसलिए, कैडर अधिकारियों के बीच मुकदमेबाजी के कारण प्रक्रिया रुक गई है।'