सीबीआई ने लालू यादव के खिलाफ खोला पुराना मामला
सीबीआई ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ कथित रूप से भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले को खोल दिया है। यह मामला तब का है जब लालू यादव यूपीए- वन की सरकार में रेल मंत्री थे। इस मामले में आरोप है कि लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए रेलवे परियोजनाओं के आवंटन में भ्रष्टाचार हुआ था।
सीबीआई ने इस मामले में साल 2018 में जांच शुरू की थी और मई 2021 में जांच को बंद कर दिया गया था।
इस मामले में लालू प्रसाद यादव के अलावा उनके बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, उनकी बेटी चंदा यादव और रागिनी यादव को भी अभियुक्त बनाया गया है।
सीबीआई की इस कार्रवाई के बाद बिहार में एक बार फिर राजनीतिक घमासान छिड़ सकता है। याद दिलाना होगा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस साल अगस्त में बीजेपी का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना ली थी।
कुछ महीने पहले लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार के साथ दिल्ली आकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। नीतीश और लालू प्रसाद यादव 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिशों में जुटे हैं। ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि लालू यादव के खिलाफ इस पुराने मामले को खोले जाने के पीछे क्या कोई राजनीतिक मकसद है। क्या ऐसा लालू प्रसाद यादव और आरजेडी की बढ़ती सक्रियता की वजह से किया गया है।
क्या है पूरा मामला?
इस मामले में लालू प्रसाद यादव पर आरोप है कि उन्होंने रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ से दक्षिणी दिल्ली में एक प्रॉपर्टी रिश्वत के तौर पर हासिल की थी। डीएलएफ इसके बदले मुंबई के बांद्रा में रेलवे की जमीन का प्रोजेक्ट और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में सुधार का प्रोजेक्ट हासिल करना चाहती थी।
एनडीटीवी के मुताबिक, इस मामले में आरोप है कि डीएलएफ के द्वारा वित्त पोषित एक शैल कंपनी ने इस प्रॉपर्टी को उस वक्त बाजार की दर से बहुत कम कीमत पर खरीदा था और इस शैल कंपनी को बाद में तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव के रिश्तेदारों ने एक बहुत मामूली राशि देकर खरीद लिया था और इससे उन्हें दक्षिणी दिल्ली की इस प्रॉपर्टी (बंगले) का मालिकाना हक मिल गया था।
लालू प्रसाद यादव की कुछ दिनों पहले ही किडनी ट्रांसप्लांट की सर्जरी हुई है और इन दिनों वे स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं।
रेलवे भर्ती घोटाला
सीबीआई ने इस साल अक्टूबर में कथित रेलवे भर्ती घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की थी। चार्जशीट में कुल 16 लोगों के नाम थे। इसमें लालू यादव की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का भी नाम भी शामिल था। जुलाई में सीबीआई ने इस मामले में लालू यादव के पूर्व ओएसडी भोला यादव को भी गिरफ्तार कर लिया था।
रेलवे भर्ती घोटाले के मामले में अगस्त में बिहार में आरजेडी के कई नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने छापेमारी की कार्रवाई की थी। आरजेडी के विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह, राज्यसभा सांसद अशफाक करीम और फैयाज़ अहमद के आवास पर जांच एजेंसी ने छापा मारा था। ये नेता आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के करीबी हैं।
एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल
पिछले आठ सालों में सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स जैसी प्रतिष्ठित जांच एजेंसियों के काम पर सवाल उठे हैं कि क्यों ये एजेंसियां विपक्षी नेताओं, उनके रिश्तेदारों, करीबियों को धड़ाधड़ समन भेज रही हैं या उनके घरों-दफ़्तरों में छापेमारी कर रही हैं। सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स पर सरकार के इशारे पर राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करने के और विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के आरोप लगते रहे हैं।ताबड़तोड़ छापेमारी
इस साल सितंबर में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव के ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की थी। यह छापेमारी राजस्थान मध्याह्न भोजन कथित घोटाला मामले में की गई थी। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति के मामले में जांच एजेंसी ईडी ने लगातार दिल्ली-एनसीआर व कई शहरों में छापेमारी की थी।
सीबीआई ने आबकारी नीति को लेकर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर छापेमारी की थी और गाजियाबाद के पंजाब नेशनल बैंक की ब्रांच में स्थित उनके बैंक लॉकर को भी खंगाला था।
विपक्षी राजनीतिक दलों का कहना है कि मोदी सरकार विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं के खिलाफ एजेंसियों का दुरुपयोग कर उन्हें निशाना बना रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ईडी के सामने पेशी को लेकर भी कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर हमला बोला था।
कुछ महीने पहले महाराष्ट्र में शिवसेना के सांसद संजय राउत व उनके करीबियों के खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई, एनसीपी के बड़े नेताओं पर जांच एजेंसियों की कार्रवाई को लेकर महाराष्ट्र की सियासत में काफी बवाल हुआ था।
पिछले कुछ सालों में कांग्रेस से लेकर टीएमसी और आरजेडी से लेकर आम आदमी पार्टी तक कई विपक्षी दलों के ऐसे सैकड़ों नेता हैं जिन्हें जांच एजेंसियों की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। ऐसे नेताओं में आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती, पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार, सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी सहित कई नेता शामिल हैं।